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हाथरस मामले के दौरान गिरफ्तार केरल पत्रकार कप्पन की पत्नी का सवाल, 'दोहरा मापदंड क्यों'?

पत्रकार सिद्दीक कप्पन को उत्तर प्रदेश पुलिस ने 5 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था, जब वो हाथरस में 19 वर्षीय...
हाथरस मामले के दौरान गिरफ्तार केरल पत्रकार कप्पन की पत्नी का सवाल, 'दोहरा मापदंड क्यों'?

पत्रकार सिद्दीक कप्पन को उत्तर प्रदेश पुलिस ने 5 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था, जब वो हाथरस में 19 वर्षीय दलित महिला के साथ कथित सामूहिक बलात्कार और हत्या की रिपोर्ट करने के लिए जा रहे थे। उनकी पत्नी रहयनाथ ने एक महीने से अधिक समय गुजरने के बाद भी उन्हें नहीं सुना है।

कप्पन का परिवार चिंतित है क्योंकि मथुरा कोर्ट ने उनके दोस्तों और परिवार को मथुरा जेल में बंद पत्रकार से मिलने की इजाजत नहीं दी, जहां वो बंद हैं। कप्पन के वकीलों का कहना है कि इसने जमानत प्रक्रिया में और देरी की है।

पत्नी रहयनाथ कहती हैं, “उनका अपराध क्या है? मैं उनसे कम-से-कम एक बार देखना चाहती हूं, भले ही वीडियो कॉल के माध्यम से हीं सही। कप्पन को मधुमेह है और हम उनकी वर्तमान स्वास्थ्य स्थिति को लेकर अंधेरे में हैं। मैं अपनी इच्छाशक्ति और साहस को खो रही हूं।“

दिल्ली स्थित पत्रकार और केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (केयूडब्ल्यूजे) की सचिव कप्पन, मलयालम पोर्टल अजीमुखम के लिए काम कर रहे थें। कप्पन, तीन अन्य लोगों के साथ मथुरा से गिरफ्तार किया गए थे और पुलिस का आरोप है कि वे क्षेत्र में शांति को बाधित करने की साजिश कर रहे थे। इन चारों पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया है और कप्पन पर राजद्रोह लगाए गए हैं।

गिरफ्तारी के एक महीने बाद भी पत्रकार कप्पन की जमानत याचिका पर सुनवाई नहीं हुई है। पत्रकार संघ ने पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की थी और कोर्ट से कप्पन की जमानत याचिका पर तुरंत सुनवाई करने का आग्रह किया था। कप्पन के मामले में प्रेस की स्वतंत्रता के उल्लंघन और न्याय से इनकार करने पर संघ ने भी चिंता जताई है।

कोर्ट 16 नवंबर को केयूडब्ल्यूजे के वकील विल्स मैथ्यूज के आवेदन पर सुनवाई करेगी। आदेवन में उल्लेख किया गया है, “वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मुलाकात का भी कोई मौका नहीं दिया गया और ई-जेल व्यवस्था के तहत ई-मुलकात के अनुरोध को भी अस्वीकार कर दिया गया। उनके परिवार के सदस्य पूरी तरह से उन पर निर्भर हैं और उनकी जरूरतों का ख्याल रखने के लिए कोई अन्य नहीं है।“ इस आवेदन में कप्पन की 90- वर्षीय वृद्ध माँ की व्यथा का भी उल्लेख है।

कप्पन की पत्नी रहिनाथ का कहना है कि वो यह समझने में नाकाम है कि उनके पति की गिरफ्तारी क्यों हुई। हाल ही में जब रिपब्लिक टीवी के अर्नब गोस्वामी को हिरासत में लिया गया था। तो लोगों का एक बड़ा तबका गोस्वामी की गिरफ्तारी की तुलना आपातकाल से दौर से करने लगें, लेकिन उनके पति की गिरफ्तारी पर किसी की जुबान नहीं खुली। कप्पन की 35 वर्षीय पत्नी कहती हैं, “ऐसा दोहरा मापदंड क्यों? वही मंत्री कप्पन की रिहाई पर मेरी दलीलों और पत्रों पर चुप हैं।"

जबकि यूपी पुलिस ने कप्पन, रहयनाथ, उनके सहयोगियों और मित्रों पर षड्यंत्र के आरोपों और अन्य आतंकी गतिविधियों के आरोप लगाए हैं। एडवोकेट विल्स मैथ्यूज कहते हैं, “वो एक घटना की रिपोर्ट करने जा रहे थे, जो राष्ट्रीय महत्व से जुड़ा था।“ मैथ्यूज कहते हैं कि आवेदन में हमने प्रेस की आजादी के मामले को भी इंगित किया है और वो निर्दोष के हकदार हैं।

हालांकि, केयूडब्ल्यूजे ने कप्पन की गिरफ्तारी के बाद 6 अक्टूबर को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में मामले को संदर्भित किया था और याचिकाकर्ताओं को याचिका में संशोधन करने के लिए कहा था। कप्पन के वकीलों का कहना है कि मथुरा कोर्ट द्वारा पत्रकार से मिलने के उनके अनुरोध को अस्वीकार करने के बाद वे याचिका में संशोधन करने में विफल रहे।

केयूडब्ल्यूजे का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों को मथुरा अदालत द्वारा अनुमति देने से इनकार कर दिया गया था, जब उन्होंने 16 अक्टूबर को कप्पन से मिलने की कोशिश की थी। मैथ्यूज ने कहा, “मथुरा अदालत ने पहले हमें जेल जाने और कप्पन से मिलने के लिए कहा। लेकिन जेल प्रशासन ने सीजेएम के आदेश पर जोर दिया। जब हम वापस कोर्ट में गए, तो उन्होंने हमें इंतजार कराया और देर शाम हमारे आवेदन को खारिज कर दिया गया।”

केयूडब्ल्यूजे के पूर्व सचिव पी के मणिकांतन कहते हैं कि उत्तर प्रदेश पुलिस और सरकार अपने सहयोगी को न्याय दिलाने में विफल रही है। आगे मणिकंतन कहते हैं, “हमने अब तक केवल पुलिस संस्करण ही सुना है। कप्पन की कहानी के पक्ष को कोई नहीं जानता है। पुलिस का कहना है कि वह पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से जुड़े हैं। लेकिन उनका परिवार, दोस्त और उनके जानने वाले लोग इस बात को कहते हैं कि वो पीएफआई के सदस्य नहीं हैं, वो एक पत्रकार हैं।”

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