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अब तक यात्रियों समेत AN-32 के चार विमान हो चुके गायब, वायुसेना को आज तक नहीं मिला मलबा

सोमवार को असम के जोरहाट एयरबेस से उड़ान भरने के बाद लापता जिस एएन-32 विमान को खोजने में भारतीय सेना ने...
अब तक यात्रियों समेत AN-32 के चार विमान हो चुके गायब, वायुसेना को आज तक नहीं मिला मलबा

सोमवार को असम के जोरहाट एयरबेस से उड़ान भरने के बाद लापता जिस एएन-32 विमान को खोजने में भारतीय सेना ने ऐड़ी-चोटी का जोर लगाया हुआ है। उस विमान का इस्तेमाल भारतीय वायुसेना करीब तीन दशकों से कर रही है लेकिन ऐसा पहली बार नहीं है जब कोई एएन-32 विमान उड़ान भरने के बाद गायब हो गया हो। इससे पहले भी दो और एएन-32 विमान लापता हुए हैं,  जिसका आज तक मलबा भी नहीं मिला है। अब ये तीसरा एएन-32 विमान है जिसका तीसरे दिन भी पता नहीं चल सका है। इस विमान को खोजने के लिए वायुसेना के साथ थल सेना भी जुट गई है। हालांकि, अभी तक विमान के किसी मलबे को नहीं देखा गया है।

इन सबके बीच आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही विमानों के बारे में जो उड़ान भरने के बाद हो गए लापता, आज तक नहीं पता चला इन विमानों के बारे में। 

दरअसल, ये विमान पहली बार 25 मार्च 1986 को हिंद महासागर के ऊपर गायब हुआ था। तब ये विमान सोवियत यूनियन के रास्ते ओमान के रास्ते होते हुए भारत आ रहा था। इसमें कुल सात लोग सवार थे, लेकिन इस विमान का आज भी कुछ पता नहीं लग पाया है।

जब बंगाल की खाड़ी से लापता हो गया था एएन-32, 29 लोग थे सवार

22 जुलाई 2016 में, भारतीय वायुसेना का एक एएन-32 परिवहन विमान 29 लोगों के साथ बंगाल की खाड़ी से लापता हो गया था। एयरफोर्स के एएन-32 विमान ने सुबह ठीक 8.30 बजे तांबरम (चेन्नई) स्टेशन से पोर्ट ब्लेयर के लिए उड़ान भरी थी। ये एक सामान्य उड़ान थी। विमान को उड़े अभी 30 मिनट ही हुए थे कि पायलट ने एयर ट्रैफिक कंट्रोलर (एटीसी) से मौसम खराब होने की शिकायत की। रास्ता बदलने की भी बात कही लेकिन अचानक ये संपर्क टूट गया। करीब 9.20 बजे विमान हवा में गोते लगाता दिखा। ये आखिरी मौका था जब विमान को रडार पर देखा गया। इसके बाद 2 साल, 11 महीने से एएन-32 का कोई पता नहीं चला है। इस विमान के लापता होने के बाद वायुसेना ने अबतक का सबसे लंबा खोजी अभियान चलाया था, जो लगभग एक माह तक चला था।  

अभी तक किसी की खबर नहीं

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तब से अब तक न तो विमान का कुछ पता चला है और न उसमें सवार 29 लोगों की ही कोई खबर है। हादसे के बाद से गायब लोगों के परिजन हर जगह गुहार लगा चुके हैं, लेकिन किसी ने भी उनके सवालों का कोई जवाब नहीं दिया है। यहां तक कि समुद्र के अंदर सर्च ऑपरेशन भी महज इसलिए रोक दिया गया था क्योंकि रोबोट ऑपरेट व्हीकल (आरओवी) खराब हो चुका था।

मेचुका में पहले भी दुर्घटनाग्रस्त हो चुका एन-32 एयरक्राफ्ट

जुलाई 2016 से पहले यह विमान दो बार दुर्घटनाग्रस्त हो चुका है। पहली बार 25 मार्च 1986 को हिंद महासागर के ऊपर से यह विमान गायब हुआ था। तब यह विमान सोवियत यूनियन से ओमान के रास्ते होते हुए भारत आ रहा था। इसमें तीन क्रू मेंबर और चार यात्री सवार थे। तब इस विमान और उन लोगों के बारे में कुछ भी पता नहीं चल पाया था।

10 जून 2009 को अरुणाचल प्रदेश के मेचुका से उड़ान भरने के बाद

उसके बाद दूसरी बार 10 जून 2009 को अरुणाचल प्रदेश के मेचुका से उड़ान भरने के बाद ये विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। उस समय एएन-32 विमान में कुल 13 लोग सवार थे।

फिर एक बार लापता हुए एएन-32

अब एक बार फिर वायुसेना का एक और एएन-32 विमान चीन बॉर्डर पर लापता है। इसका सर्च ऑपरेशन जारी है, लेकिन अभी तक लापता विमान मिस्ट्री बना हुआ है। असम के जोरहाट से चीन की सीमा के पास अरुणाचल प्रदेश के मेंचुका के लिए उड़ान भरने वाला वायुसेना का एएन-32 विमान सोमवार दोपहर को लापता हो गया था।

लापता विमान का पता लगाने के लिए भारतीय वायुसेना ने अपने विमानों और हेलीकॉप्टरों के बेड़े को लगाया है। वायुसेना ने दो एमआई हेलीकॉप्टरों के साथ ही सी-130जे और सुखोई विमानों को भी लापता विमान की खोज में लगाया है। इसके अलावा भारतीय नौसेना ने एक नौसैनिक समुद्री जहाज को भी खोज में लगाया है। वहीं, इसरो ने भी अपने RISAT सेटेलाइट यानी रडार इमेजिंग सैटेलाइट को भी मदद के लिए अभियान में शामिल किया है।

जानिए, एएन-32 विमान के बारे में 

एएन-32 दो इंजन वाला टर्बोप्रोप मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट है। ये एयरक्राफ्ट रूसी विमान एएन-26 का आधुनिक वर्जन है। इस विमान की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यह किसी भी मौसम में उड़ान भरने में सक्षम है। इस एयरक्राफ्ट को इंदिरा गांधी की सरकार के समय रूस और भारत के बीच दोस्ताना संबंध और भारतीय वायुसेना की जरूरतों को देखते हुए मंगाया गया था। इसका अधिकतम इस्तेमाल कम और मध्यम हवाई दूरी के लिए सैन्य साजो-सामान पहुचांने, आपदा के समय घायलों को अस्पताल लाने और ले जाने, जावनों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने में किया जाता है।

भारत में जब भी युद्ध और प्राकृतिक आपदा जैसी परिस्थितियां हुई हैं इस विमान ने इंडियन एयरफोर्स का बहुत साथ निभाया है। कारगिल युद्ध के दौरान यह विमान जवानों को दुर्गम स्थानों पर भेजने में अहम साबित हुआ था।

दुनिया में इस्तेमाल

दुनिया के 10 देशों में 240 से अधिक एएन विमान संचालित किए जा रहे हैं। भारत में 105 विमान अभी सेवा में हैं।

1980 में शामिल हुआ था एएन-32 विमान

सोवियत एरा का यह एयरक्राफ्ट 1980 में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था। इसे लगातार अपडेट किया गया। हालांकि बताया जा रहा है कि लापता प्लेन एएन-32 इन अपग्रेडेड एयरक्राफ्ट का हिस्सा नहीं है।

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