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शहरों को बदलने चले दो मंत्रालयों के मिलने-बिछड़ने की कहानी, आवास बचा, गरीबी गायब

पिछले दो दशक में तीन बार हो चुका है शहरी विकास और आवास एवं शहरी गरीबी उपशमन से जुड़े मंत्रालयों का विलय और विभाजन।
शहरों को बदलने चले दो मंत्रालयों के मिलने-बिछड़ने की कहानी, आवास बचा, गरीबी गायब

केंद्र सरकार ने शहरी विकास मंत्रालय और आवास एवं शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालयों को मिलाकर आवास और शहरी मामलों का नया मंत्रालय बना दिया है। इन दोनों मंत्रालयों की जिम्मेदारी वेंकैया नायडू के पास थी। उनके उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने के बाद केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय का प्रभार सौंपा गया है। नए मंत्रालय के नाम का खुलासा राष्ट्रपति कार्यालय से जारी प्रेस विज्ञप्ति में हुआ है।

पिछले दिनों खबर आई थी कि केंद्र सरकार ने शहरी विकास से जुड़े दोनों मंत्रालय के विलय की कवायद शुरू कर दी है। इसके पीछे की वजह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मिनिमन गवर्नमेंट की नीति को बताया जा रहा है। लेकिन अतीत में झांकें तो दोनों मंत्रालय कई बार अलग हो चुके हैं और कई बार इनका विलय किया गया। इस दौरान इनके नाम भी बदलते रहे। अब नए मंत्रालय के नाम में आवास को तो जगह मिली है, लेकिन शहरी गरीबी का जिक्र इसमें नहीं है जबकि पिछले तीन दशक के दौरान शहरी गरीबी या रोजगार से संबंधित मंत्रालय केंद्र सरकार का हिस्सा रहा है।

करना पड़ता था योजनाओं का बंटवारा  

फिलहाल शहरी विकास से जुड़ी कई योजनाएं शहरी विकास मंत्रालय के पास थीं, जबकि आवास और शहरी गरीबों के कल्याण संबंधी नीतियों व योजनाओं का जिम्मा एक अलग मंत्रालय संभाल रहा था। जेएनएनयूआरएम जैसी बड़ी योजनाओं को दोनों मंत्रालयों के बीच बांटना पड़ता था। हालांकि, मोदी सरकार में दोनों मंत्रालयों का जिम्मा एक ही मंत्री के पास था, लेकिन मिलते-जुलते कार्यक्षेत्र के चलते दोनों मंत्रालयों के बीच कामकाज के बंटवारे में दिक्कतें महसूस की जाती थीं। केंद्र सरकार के सचिवों की एक समिति ने दोनों मंत्रालयों के विलय की सिफारिश की थी।

विलय और बंटवारे का अतीत 

शहरी विकास और आवास एवं शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालयों के विलय की यह पहली घटना नहीं है। पिछले 70 वर्षों में शहरी विकास और आवास से जुड़े मंत्रालयों के नाम बदलते रहे हैं। नई दिल्ली के निर्माण भवन स्थित इन दोनों मंत्रालय की जगह 1952 में वर्क्स, हाउसिंग एंड सप्लाई मिनिस्ट्री थी। बाद में हाउसिंग एंड सप्लाई मिनिस्ट्री बनी जिसका नाम बदलकर वर्क्स एंड हाउसिंग कर दिया गया।

अस्सी के दशक में देश की तरक्की के लिए शहरों की दशा सुधारना जरूरी समझा गया। इस तरह 1985 में शहरी विकास मंत्रालय अस्तित्व में आया। इसके बाद 1995 में शहरी रोजगार और गरीब उन्मूलन नाम का विभाग बना जो आगे चलकर शहरी मामले एवं रोजगार मंत्रालय के तहत काम करने लगा। तब शहरी विकास भी इसी मंत्रालय के तहत आता था। 1999 में दोनों विभाग अलग किए गए लेकिन साल भर बाद ही इनका विलय कर दिया गया। साल 2004 में दोनों मंत्रालय फिर से अलग होकर शहरी विकास मंत्रालय और आवास एवं शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय बने थे जो अब फिर से एक हो गए हैं। 

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