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अब बचेगी झारखंड के घरों की पहचान, हेमंत सोरेन ने दिए पीएम की नीति को बदलने के निर्देश

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत झारखंड में पक्‍के छत के बदले खपड़े के घरों के निर्माण को प्राथमिकता दी...
अब बचेगी झारखंड के घरों की पहचान, हेमंत सोरेन ने दिए पीएम की नीति को बदलने के निर्देश

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत झारखंड में पक्‍के छत के बदले खपड़े के घरों के निर्माण को प्राथमिकता दी जाएगी। मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस तरह का निर्देश दिया है। उन्‍होंने कहा है कि इससे घरों में समरूपता आयेगी। लागत कम पड़ेगी और खपड़े के घर से कुम्‍हारों को भी रोजगार मिलेगा तो बंबू फार्मिंग को भी बढ़ावा मिलेगा।


मुख्‍यमंत्री ने पहले ही ग्रामीण विकास विभाग को प्रधानमंत्री आवास योजना के परिवर्तन का निर्देश दिया था। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत झारखंड में 12.73 लाख आवासों का निर्माण होना है। ग्रामीण विकास विभाग के अनुसार 11.80 लाख आवासों का निबंधन किया गया है। जिसमें करीब 11.60 लाख आवासों की स्‍वीकृति दी गई है। लगभग 58 प्रतिशत आवासों के निर्माण का काम पूरा कर लिया गया है।

जानकार मानते हैं कि प्रधानमंत्री आवास योजना के स्‍वरूप के परिवर्तन से आदिवासी गांवों की अपनी पहचान और खूबसूरती कायम रह सकेगी। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अब तक सिर्फ पक्‍के मकान बन रहे थे। नतीजा था कि ग्रामीण इलाकों में आदिवासी घरों की जो खूबसूरती थी, उनकी अलग पहचान थी वह मिट रही थी। झारखंड के अनेक जिलों में आदिम जनजाति प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निर्मित पक्‍के मकानों में रहना पसंद नहीं करते। इन मकानों में रहने के बदले वे जानवरों को रखते थे, स्‍टोर के रूप में इस्‍तेमाल करते हैं। योजना में परिवर्तन से कुम्‍हारों को रोजगार मिलेगा, लागत कम आयेगी साथ ही बांस उत्‍पादकों को भी बड़ा बाजार हासिल होगा।

 

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