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आधार डाटा की कथित चोरी का खुलासा करने वाली रिपोर्टर के खिलाफ एफआईआर

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के उप निदेशक ने द ट्रिब्यून अखबार और उसकी संवाददाता रचना...
आधार डाटा की कथित चोरी का खुलासा करने वाली रिपोर्टर के खिलाफ एफआईआर

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के उप निदेशक ने द ट्रिब्यून अखबार और उसकी संवाददाता रचना खैरा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। यह एफआईआर उस रिपोर्ट को लेकर कराई गई है जिसमें आधार के गोपनीय डाटा में कथित सेंधमारी की बात कही है। पिछले दिनों द ट्रिब्यून ने अपने रिपोर्ट में खुलासा किया था कि 500 रूपये के बदले करोड़ों आधार के गोपनीय डाटा को बेचा जा रहा है। जबकि यूआईडीएआई ने इसे खारिज किया था।

अंग्रेजी समाचार पत्र द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक इस एफआईआर में अनिल कुमार, सुनील कुमार और राज का भी नाम है, द ट्रिब्यून की रिपोर्ट में इन लोगों ने बताया था कि रिपोर्टिंग के दौरान खैरा ने इनसे संपर्क किया था।

ज्वाइंट कमिश्नर (अपराध शाखा) आलोक कुमार ने पुष्टि की कि एक प्राथमिकी दर्ज की गई है और जांच शुरू कर दी गई है। एफआईआर को अपराध शाखा की साइबर सेल के तहत भारतीय दंड संहिता की धारा 41 9 (प्रतिरूपण द्वारा धोखाधड़ी के लिए सजा), 420 (धोखाधड़ी), 468 (जालसाजी) और 471 (वास्तविक जाली दस्तावेज के रूप में) के तहत दर्ज किया गया है, साथ ही आईटी की धारा 66 अधिनियम और आधार अधिनियम की धारा 36/37 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

बता दें कि अंग्रेजी अखबार द ट्रिब्यून ने दावा किया कि मात्र 500 रुपये देकर किसी भी शख्स की आधार से जुड़ी जानकारी को खरीद सकते हैं। इस खुलासे के बाद कांग्रेस समेत कई राजनीतिक दलों ने केन्द्र सरकार को कटघरे में खड़ा किया।

खबर के अनुसार, यदि आपको आधार डेटा चाहिए तो बस पेटीएम के माध्यम से 500 रुपए देना होगा और 10 मिनट के भीतर सारी जानकारी आपको दे दी जाएगी। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एक रैकेट है जो कि गेटवे नाम के माध्यम से लॉग इन और पासवर्ड देगा। इसके बाद किसी का भी आधार नंबर उसमें डालने पर आपको उस नंबर पर उपलब्ध सारी जानकारियां मिल जाएगी।

हालांकि UIDAI ने इस रिपोर्ट को खारिज किया है। UIDAI का कहना है कि यह गलत रिपोर्टिंग का मामला है। UIDAI ने कहा, “हम भरोसा देते हैं कि आधार डाटा की कोई चोरी नहीं हुई है और यह डाटा पूरी तरह सुरक्षित और संरक्षित है।”

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