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देश में सिर्फ 89,534 लोगों का टेस्ट, यूपी-बिहार जैसे राज्यों में टेस्टिंग लैब का कम होना बड़ी समस्या

  भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एपिडेमियोलॉजी और कम्युनिकेबल डिजीज विभाग के प्रमुख...
देश में सिर्फ 89,534 लोगों का टेस्ट, यूपी-बिहार जैसे राज्यों में टेस्टिंग लैब का कम होना बड़ी समस्या

 

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एपिडेमियोलॉजी और कम्युनिकेबल डिजीज विभाग के प्रमुख रमन गंगाखेडकर का कहना है के देश और राज्य के स्तर पर लॉक डाउन खत्म करना इस बात पर निर्भर करता है कि  कोरोनावायरस के संक्रमित मरीजों की संख्या कितनी जल्दी दोगुनी होती है। सरकार ने रविवार को जो आंकड़े बताएं उसके मुताबिक पिछले 4 दिनों से कुछ ज्यादा समय में मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई है। हालांकि मरीजों की संख्या इस बात पर भी निर्भर करती है कि कितने ज्यादा टेस्ट किए जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानक के अनुसार प्रत्येक 10 लाख लोगों में से औसतन 15000 का टेस्ट किया जाना चाहिए। लेकिन आईसीएमआर के ही आंकड़ों के अनुसार 5 अप्रैल तक पूरे भारत में सिर्फ 89,534 टेस्ट हुए हैं।

सरकारी और निजी मिलाकर देश में सिर्फ 196 टेस्ट लैब

भारत में कोरोनावायरस के संक्रमित लोगों का पता लगाने के लिए प्रीवेंटिव टेस्टिंग बहुत कम हो रही है। इसका प्रमुख कारण टेस्ट करने वाली प्रयोगशालाओं (लैब) की संख्या कम होना है। आईसीएमआर द्वारा स्वीकृत सरकारी प्रयोगशालाओं की संख्या सिर्फ 136 है। इसके अलावा चार और सरकारी लैब को टेस्ट के लायक पाया गया है। आईसीएमआर ने 56 निजी प्रयोगशालाओं को भी कोरोनावायरस की टेस्टिंग करने की मंजूरी दी है। इस तरह देखा जाए तो पूरे देश में सिर्फ 196 लैब हैं जहां टेस्टिंग की जा सकती है।

20 करोड़ आबादी वाले यूपी में सिर्फ 10 और 10 करोड़ आबादी वाले बिहार में चार लैब

राज्यों के स्तर पर टेस्टिंग लैब की कमी ज्यादा साफ नजर आती है। महाराष्ट्र और तमिलनाडु ही ऐसे राज्य हैं जहां टेस्टिंग लैब की संख्या पर्याप्त लगती है। करीब 11.2 करोड़ की आबादी वाले महाराष्ट्र में  27 और 7.2 करोड़ की आबादी वाले तमिलनाडु में 19 लैब है। बाकी राज्यों में आबादी के हिसाब से तुलना करें तो टेस्टिंग लैब बहुत कम हैं। उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश की आबादी सबसे ज्यादा 20 करोड़ है जबकि यहां सिर्फ 10 लैब हैं। 2011 की जनगणना के मुताबिक बिहार की आबादी 10.4 करोड़ है जबकि यहां टेस्टिंग लैब सिर्फ चार हैं। इसी तरह 9.12 करोड़ की आबादी वाले पश्चिम बंगाल में आठ, 7.26 करोड़ की आबादी वाले मध्यप्रदेश में सात, 6.85 करोड़ की आबादी वाले राजस्थान में आठ और 6 करोड़ की आबादी वाले गुजरात में 10 लैब हैं। बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश की स्थिति इसलिए भी ज्यादा चिंताजनक लगती है क्योंकि इन तीनों राज्यों में आबादी का घनत्व काफी ज्यादा है। बिहार में यह सबसे ज्यादा 1102 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। इसी तरह पश्चिम बंगाल में 1069 और उत्तर प्रदेश में 828 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है।

आईसीएमआर को 8 अप्रैल तक 7 लाख रैपिड टेस्टिंग किट मिलने की उम्मीद

भारत में कम टेस्ट होने की एक और प्रमुख वजह टेस्टिंग किट का अभाव है। घरेलू स्तर पर इन्हें बनाने की कोशिशों के साथ-साथ इनका ज्यादा आयात  करने की भी कोशिश की जा रही है। सरकार का कहना है कि आईसीएमआर को 8 अप्रैल तक 7 लाख रैपिड एंटीबॉडी टेस्टिंग किट मिल जाएंगे। इनसे सिर्फ 5 मिनट में कोरोना के पॉजिटिव केस का पता चल जाएगा।

 

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