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उमर अब्दुल्ला की हिरासत पर जम्मू-कश्मीर प्रशासन को SC का नोटिस, 2 मार्च को अगली सुनवाई

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला को सार्वजनिक सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में लेने के मामले को...
उमर अब्दुल्ला की हिरासत पर जम्मू-कश्मीर प्रशासन को SC का नोटिस, 2 मार्च को अगली सुनवाई

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला को सार्वजनिक सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में लेने के मामले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 2 मार्च को सुनवाई करेगी। जस्टिस अरुण मिश्रा और इंदिरा बनर्जी की बेंच ने आज इस याचिका की सुनवाई की तारीख मुकर्रर की है।

उमर अब्दुल्ला को सार्वजनिक सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में लेने के मामले को उनकी बहन सारा पायलट ने चुनौती थी थी। सुप्रीम कोर्ट ने सारा द्वारा दायर इसी याचिका पर जम्मू-कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी किया है। सारा पायलट की तरफ से कोर्ट में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल पैरवी के लिए पहुंचे थे।

बहन सारा ने दायर की है याचिका

सारा पायलट ने सोमवार को सार्वजनिक सुरक्षा कानून के तहत अपने भाई की नजरबंदी को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। याचिका में कहा गया था कि नजरबंदी का आदेश “जाहिर तौर पर गैरकानूनी” है और उसमें “सार्वजनिक व्यवस्था के रखरखाव के लिए खतरा” होने का कोई सवाल ही नहीं था। सारा ने याचिका में हिरासत में लिए गए अपने भाई उमर अब्दुल्ला की रिहाई की मांग की है।

एक जज के हटने से गठित करनी पड़ी नई पीठ

याचिका की सुनवाई के लिए दो न्यायाधीशों की नई पीठ बनानी पड़ी थी क्योंकि पहले पीठ में मौजूद न्यायमूर्ति एम.एम शांतनगौडर सुनवाई से पहले ही बिना कारण बताए मामले में सुनवाई से अलग हो गए थे। सारा पायलट की याचिका इससे पहले न्यायमूर्ति एन.वी रमन्ना, न्यायमूर्ति एम एम शांतनगौडर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की तीन सदस्यीय पीठ के पास थी।

जम्मू कश्मीर जन सुरक्षा कानून 1978 के तहत उमर अब्दुल्ला को हिरासत में लिया गया है। पायलट ने इस हिरासत को “अवैध” बताया है। उनका कहना है कि उनके भाई के बाहर रहने से किसी भी तरह शांति व्यवस्था बहाल रखने में कोई परेशानी नहीं होने वाली है। उनसे किसी को खतरे का सवाल ही नहीं उठता।

पिछले साल अगस्त से हैं नजरबंद नेता

केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने और राज्य को दो केंद्रशासित क्षेत्रों- लद्दाख एवं जम्मू कश्मीर में बांटने की घोषणा के बाद 5 अगस्त 2019 से ही उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती हिरासत में हैं। केंद्र सरकार का कहना है कि उन्हें एहतियातन नजरबंद रखा गया है। अब उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के खिलाफ जन सुरक्षा कानून (पीएसए) लगा दिया गया है।

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