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लोन मोरेटोरियम केस: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अंतिम बार टाल रहे हैं मामला, अब सभी पूरी प्लानिंग के साथ आएं

लोन मोरेटोरियम मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले को बार-बार टाला जा रहा है। अब...
लोन मोरेटोरियम केस: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अंतिम बार टाल रहे हैं मामला, अब सभी पूरी प्लानिंग के साथ आएं

लोन मोरेटोरियम मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले को बार-बार टाला जा रहा है। अब इस केस को केवल एक बार टाला जा रहा है वो भी फाइनल सुनवाई के लिए। इस दौरान सब अपना जवाब दाखिल करें और मामले में ठोस योजना के साथ शीर्ष अदालत आएं।

साथ ही कोर्ट ने कहा कि तब तक 31 अगस्त तक एनपीए ना हुए लोन डिफॉल्टरों को एनपीए घोषित ना करने अंतरिम आदेश जारी रहेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह दिए। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने अदालत से कहा, उच्चतम स्तर पर विचार हो रहा है। राहत के लिए बैंकों और अन्य हितधारकों के परामर्श में दो या तीन दौर की बैठक हो चुकी है और  चिंताओं की जांच की जा रही है। केंद्र ने दो सप्ताह का वक्त मांगा था इस पर अदालत ने पूछा था कि दो हफ्ते में क्या होने वाला है?  आपको विभिन्न क्षेत्रों के लिए कुछ ठोस करना होगा। वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जस्टिस अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एम आर शाह की तीन जजों की बेंच ने मामले की सुनवाई की।


गौरतलब है कि पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि इस निर्णय से लोन लेने वालों पर दोहरी मार पड़ रही है क्योंकि उनसे चक्रवृद्धि ब्याज लिया जा रहा है। याचिकाकर्ता ने कहा था कि यह योजना दोगुनी मार है क्योंकि वे हमें चक्रवृद्धि ब्याज चार्ज किया जा रहा है। ब्याज पर ब्याज वसूलने के लिए बैंक इसे डिफॉल्ट मान रहे हैं। यह हमारी ओर से डिफ़ॉल्ट नहीं है। सभी सेक्टर बैठ गए हैं लेकिन आरबीआई चाहता है कि बैंक कोविड-19 के दौरान मुनाफा कमाए और यह अनसुना है।'

साथ ही याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया, 'आरबीआई देश से लूटे गए करोड़ों रुपयों से नहीं जागा। आरबीआई वैधानिक नियामक है, बैंकों का एजेंट नहीं। ब्याज पर ब्याज बिलकुल गलत है और इसे चार्ज नहीं किया जा सकता। आईबीसी को उद्योग को राहत देने के लिए निलंबित किया गया लेकिन उधारकर्ताओं के बारे में क्या?'

बता दें कि , केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में हलफनामा दायर कर बताया था कि लोन मोरेटोरियम दो साल के लिए बढ़ सकता है। मगर यह कुछ ही सेक्टरों को दिया जाएगा। मेहता ने कोर्ट में उन सेक्टरों की लिस्ट सौंपी है, जिन्हें आगे राहत दी जा सकती है। पिछली सुनवाई में लॉकडाउन पीरियड में लोन मोरेटोरियम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए 7 दिन मेंहलफनामा देकर ब्याज माफी की गुंजाइश पर स्थिति स्पष्ट करने को कहा था।

अदालत ने कहा था कि 'लोगों की परेशानियों की चिंता छोड़कर आप सिर्फ बिजनेस के बारे में नहीं सोच सकते। सरकार आरबीआई के फैसले की आड़ ले रही है, जबकि उसके पास खुद निर्णय लेने का हक है। डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत सरकार बैंकों को ब्याज पर ब्याज वसूलने से रोक सकती है।' कोर्ट ने कमेंट किया था कि बैंक हजारों करोड़ रुपए एनपीए में डाल देते हैं, मगर कुछ महीने के लिए टाली गई ईएमआई पर ब्याज वसूलना चाहते हैं।

गौरतलब है कि कोरोना और लॉकडाउन के कारण से आरबीआई ने मार्च में लोगों को मोरेटोरियम यानी लोन की ईएमआई 3 महीने के लिए टालने की सुविधा दी थी। बाद में इसे 3 महीने और बढ़ाकर 31 अगस्त तक के लिए कर दिया गया। आरबीआई ने कहा था कि लोन की किश्त 6 महीने नहीं चुकाएंगे, तो इसे डिफॉल्ट नहीं माना जाएगा। लेकिन, मोरेटोरियम के बाद बकाया पेमेंट पर पूरा ब्याज देना पड़ेगा। ब्याज की शर्त को कुछ ग्राहकों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है । उनकी दलील है कि मोरेटोरियम में इंटरेस्ट पर छूट मिलनी चाहिए, क्योंकि ब्याज पर ब्याज वसूलना गलत है। एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुनवाई में यह मांग भी रखी कि जब तक ब्याज माफी की अर्जी पर निर्णय नहीं होता, तब तक मोरेटोरियम पीरियड बढ़ा देना चाहिए।

 

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