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राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना का मामला बंद, सुप्रीम कोर्ट ने दी सतर्क रहने की नसीहत

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का मामला बंद हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने राहुल...
राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना का मामला बंद, सुप्रीम कोर्ट ने दी सतर्क रहने की नसीहत

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का मामला बंद हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी का माफीनामा स्वीकार कर लिया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को चेतावनी दी और कहा कि राजनीतिक बयानबाजी में कोर्ट को न घसीटें। राहुल गांधी को भविष्य में और सतर्क रहने को भी कहा गया। दरअसल, लोकसभा चुनाव के दौरान जब सुप्रीम कोर्ट की ओर से राफेल विवाद पर फैसला आया था, तब राहुल गांधी ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने मान लिया है कि चौकीदार चोर है। इसी के बाद भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी थी और उनपर राजनीति में सुप्रीम कोर्ट का उपयोग करने का आरोप लगाया था।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एस के कौल और के एम एम जोसेफ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा, "राहुल गांधी को भविष्य में और अधिक सावधान रहने की जरूरत है।"

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना कार्यवाही के लिये लंबित इस मामले पर 10 मई को सुनवाई पूरी की थी। पीठ ने कहा था कि इस पर फैसला बाद में सुनाया जायेगा।

बीजेपी नेता मीनाक्षी लेखी ने याचिका में आरोप लगाया था कि राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने के लिए राफेल डील मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को तोड़मरोड़ कर पेश किया और इससे कोर्ट की अवमानना हुई है। जिसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने उनके खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया। इसके बाद, गांधी ने शीर्ष अदालत में बिना शर्त माफी मांगी और अपने खिलाफ अवमानना कार्यवाही को बंद करने की मांग की। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राफेल मामले में न्यायालय के 14 दिसंबर, 2018 के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका के समर्थन में चुनिन्दा दस्तावेज की स्वीकार्यता पर केन्द्र की प्रारंभिक आपत्तियां अस्वीकार करने के शीर्ष अदालत के फैसले के बाद दस अप्रैल को टिप्पणी की थी।

माफी को खारिज करने की थी मांग

कार्यवाही के दौरान लेखी की ओर से प्रस्तुत हुए पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी, ने तर्क दिया था कि गांधी की माफी को खारिज कर दिया जाना चाहिए और उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने अदालत के समक्ष कहा, "उन्होंने (गांधी) केवल खेद व्यक्त किया है। कानून अवमानना के मामलों में स्पष्ट है कि लाइन बिना शर्त माफी के साथ शुरू होती है।"

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