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अयोध्या मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड के विवादित जमीन पर दावा छोड़ने के आसार, वैकल्पिक जमीन देने की शर्त

सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त किए गए मध्यस्थता पैनल ने बुधवार को समझौता रिपोर्ट पेश की। सूत्रों के...
अयोध्या मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड के विवादित जमीन पर दावा छोड़ने के आसार, वैकल्पिक जमीन देने की शर्त

सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त किए गए मध्यस्थता पैनल ने बुधवार को समझौता रिपोर्ट पेश की। सूत्रों के मुताबिक, इसमें कहा गया कि मुस्लिम और हिंदू पक्ष विवादित भूमि पर समझौते के लिए तैयार हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि मुस्लिम पक्ष विवादित भूमि से दावा छोड़ने को राजी है, मगर मस्जिद के लिए जगह दिए जाने के बाद।

अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद को हल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित मध्यस्थता समिति ने बुधवार को न्यायालय में सीलबंद लिफाफे में एक रिपोर्ट सौंपी जिसमें सूत्रों के अनुसार, हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों के बीच ‘‘एक तरह का समझौता’’ है।

मध्यस्थता समिति से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्वाणी अखाड़ा, निर्मोही अखाड़ा, राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति और कुछ अन्य हिंदू पक्षकार भूमि विवाद को आपसी सहमति से सुलझाने के समर्थन में हैं। हालांकि शीर्ष अदालत में पेश हुए एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि सुनवाई समाप्त होने के बाद मीडिया जिस रिपोर्ट के बारे में बात कर रहा है उसका कोई मूल्य नहीं है।

मध्यस्थता समिति की अध्यक्षता उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एफ एम आई कलीफुल्ला कर रहे हैं और इसमें आध्यात्मिक गुरु तथा आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के संस्थापक श्री श्री रवि शंकर तथा वरिष्ठ अधिवक्ता और प्रख्यात मध्यस्थ श्रीराम पंचू शामिल हैं।

पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के प्रावधानों के तहत समझौता करने की मांग

सूत्रों ने बताया कि पक्षकारों ने पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के प्रावधानों के तहत समझौता करने की मांग की है जिसमें कहा गया है कि मंदिरों के विध्वंस के बाद बनी और 1947 की तरह अब मौजूद मस्जिद या अन्य धार्मिक स्थानों के संबंध में कोई विवाद नहीं है। अधिनियम, हालांकि, राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को इसके दायरे से बाहर रखता है। बोर्ड ने देश के सभी धार्मिक स्थलों की 1947 से पहले वाली स्थिति बरकरार रखने के कानून को लागू करने की मांग की है।

इस शर्त पर समझौता

बोर्ड विवादित जमीन के बदले किसी और स्थान पर वैकल्पिक जमीन देने की शर्त पर सहमत हुआ है। सूत्रों ने कहा कि मुस्लिम पक्षकारों ने सुझाव दिया है कि विचाराधीन भूमि सरकार को अधिग्रहण में दी जा सकती है, और वक्फ बोर्ड एएसआई मस्जिदों की एक चुनिंदा सूची प्रस्तुत कर सकता है जो उन्हें नमाज के लिए उपलब्ध कराई जा सकती है। सूत्रों ने कहा कि समझौता पत्र में अयोध्या की कुछ मस्जिदों की मरम्मत किए जाने और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा संरक्षित कुछ मॉन्यूमेंट्स में इबादत की अनुमति दिए जाने की मांग भी की गई है।

हालांकि सुन्नी बोर्ड इस मामले में मुस्लिम पक्षकारों का प्रतिनिधित्व कर रहा है लेकिन छह अन्य पक्षकार भी हैं। लिहाजा अन्य पक्षकारों का भी रुख देखना होगा।

श्री श्री ने कहा- शुक्रिया

रविशंकर ने ट्वीट किया, ‘‘सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता पर जो भरोसा जताया उसके लिए मैं उसका आभार जताता हूं। मैं ईमानदार और अथक भागीदारी के लिए सभी पक्षकारों को धन्यवाद देता हूं। मध्यस्थता की पूरी प्रक्रिया भाईचारे और समझ के भाव से चली जो इस देश के मूल्यों की साक्षी है।’’

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