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CJI के खिलाफ कथित यौन उत्पीड़न के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वकील उत्सव बैंस को भेजा नोटिस

भारत के प्रधान न्‍यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई के खिलाफ कथित यौन शोषण के मामले पर सुप्रीम कोर्ट की नई...
CJI के खिलाफ कथित यौन उत्पीड़न के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वकील उत्सव बैंस को भेजा नोटिस

भारत के प्रधान न्‍यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई के खिलाफ कथित यौन शोषण के मामले पर सुप्रीम कोर्ट की नई बेंच अब बुधवार को सुनवाई करेगी। मंगलवार को जस्टिस अरुण मिश्रा, रोहिंटन नरीमन और दीपक गुप्‍ता की बेंच के सामने हलफनामा दाखिल करने वाला वकील उत्सव बैंस कोर्ट में उपस्थित नहीं था। सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने बैंस को बुधवार को कोर्ट में उपस्थित रहने के लिए नोटिस जारी किया है। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने वकील उत्सव बैंस से कोर्ट में दायर अपने हलफनामे में सभी दावे स्पष्ट करने को कहा है।

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई बुधवार तक के लिए टाल दी है। उत्सव बैंस ने दावा किया था कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को यौन उत्पीड़न मामले में फंसाए जाने की साजिश रची जा रही है।

अपने फेसबुक पोस्ट में वकील ने किया ये दावा

उत्सव बैंस ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर लगे यौन शोषण के आरोप के मामले में एक लंबी पोस्ट फेसबुक पर लिखी थी। इस पोस्ट में उन्होने बताया था कि सीजेआई पर आरोप उन्‍हें बदनाम करने की साजिश के तहत लगाए गए हैं ताकि वह घबराकर अपने पद से इस्‍तीफा दे दें। बैंस का दावा है कि इस साजिश में उनसे भी संपर्क किया गया था और डेढ़ करोड़ की पेशकश की गई थी, लेकिन उन्‍होंने इस ऑफर को ठुकरा दिया था।

रंजन गोगोई के खिलाफ एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित करने को कहा गया था

वकील उत्‍सव बैंस का दावा है कि उनसे एक युवक के द्वारा प्रेस क्‍लब ऑफ इंडिया में इस बारे में मुख्‍य न्‍यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित करने को कहा था। उस शख्‍स ने आसाराम केस में पीड़िता के पक्ष में मेरे किए गए काम की सराहना की और उसने ये भी कहा कि वो उस पीड़ित महिला का रिश्तेदार है। मुझे वह शख्‍स एक ट्रेड एजेंट की तरह लग रहा था क्योंकि वो मेरे सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं दे सका। मैंने उससे सवाल किया था कि पीड़िता के साथ आपका क्या रिश्‍ता है मेरे इस सवाल पर वो हड़बड़ा गया और अचानक, उसने मुझसे कहा कि यदि मैं पीड़िता की पैरवी करता हूं तो वह इस केस के लिए मुझको 50 लाख रुपये देगा। मैंने उसकी पेशकश ठुकरा दी थी।

इससे पहले हुई सुनवाई  में क्या बोले सीजेआई

इससे पहले हुई सुनवाई में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने अपने ऊपर एक महिला द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों से इनकार कर दिया था। ऑनलाइन मीडिया में एक महिला द्वारा कथित तौर पर उत्पीड़न के संबंध में लगाए गए आरोपों से जुड़ी सभी खबरों को खारिज करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, 'न्यायपालिका की स्वतंत्रता खतरे में है और न्यायपालिका को अस्थिर करने की कोशिश की जा रही है।' चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाली बेंच ने इस पर फिलहाल कोई आदेश पारित नहीं किया और मीडिया को न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए संयम दिखाने को कहा है। सीजेआई का कहना है कि यह आरोप बेबुनियाद और अविश्वसनीय है।

सीजेआई ने कहा था कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता गंभीर खतरे में है और न्यायपालिका को अस्थिर करने के लिए एक 'बड़ी साजिश' की जा रही है। उनका कहना है कि यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली महिला के पीछे कोई बड़ी ताकत है, जो सीजेआई के ऑफिस को डिएक्टिवेट करना चाहती है। 

पिछली सुनवाई में सीजेआई ने कहा था, मुझे कोई पैसे के आधार पर नहीं खरीद सकता, लोगों को कुछ चाहिए था तो उन्होंने इसे आधार बनाया। उन्होंने कहा, हम सभी न्यायपालिका की स्वतंत्रता से चिंतित हैं क्योंकि लोगों का न्यायिक प्रणाली में विश्वास है। सीजेआई गोगोई ने कहा था कि न्यायपालिका को बलि का बकरा नहीं बनाया जा सकता।

सीजेआई रंजन गोगोई पर कथित यौन उत्पीड़न का आरोप

मीडिया रिपोर्टेस के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी का एक हलफनामा सामने आया है। 22 पन्नों के इस हलफनामे में पूर्व कर्मचारी ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न और घटना के बाद उसके परिवार को परेशान करने का आरोप लगाया है। इन रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह महिला जूनियर कोर्ट असिस्टेंट के तौर पर काम करती थी। महिला ने आरोप लगाया है कि चीफ जस्टिस ने पिछले साल अक्टूबर 10 और 11 को अपने घर के ऑफिस में 'फायदा' उठाने की कोशिश की। हालांकि जस्टिस गोगोई ने महिला द्वारा लगाए गए इन आरोपों से इनकार किया है।

21 अक्टूबर को महिला को नौकरी से बाहर कर दिया गया

महिला ने अपने हलफनामे में यह भी कहा है कि उसने जस्टिस गोगोई की मांग ठुकरा दिया और ऑफिस से बाहर आ गई। इसके बाद 21 अक्टूबर को उसे उसकी नौकरी से बाहर कर दिया गया। महिला ने सीनियर रिटायर्ड जजों की समिति बनाकर उसके आरोपों पर जांच कराने की मांग की है।

 

 

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