Advertisement

जम्मू-कश्मीर में 18 अलगाववादी और 160 से ज्यादा नेताओं की सुरक्षा हटाई गई

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कश्मीर के 18 हुर्रियत नेताओं और 160 राजनीतिज्ञों को दी गई सुरक्षा वापस ले ली है।...
जम्मू-कश्मीर में 18 अलगाववादी और 160 से ज्यादा नेताओं की सुरक्षा हटाई गई

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कश्मीर के 18 हुर्रियत नेताओं और 160 राजनीतिज्ञों को दी गई सुरक्षा वापस ले ली है। इससे पहले भी सरकार ने पुलवामा हमले के बाद सख्त कदम उठाते हुए पांच अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस ली थी। पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हमले में चालीस जवान शहीद हो गए थे। इस घटना के बाद कश्मीर घाटी में अलगाववादी नेताओं पर केंद्र सरकार लगातार कड़ी कार्रवाई कर रही है।

जिन प्रमुख हुर्रियत नेताओं की सुरक्षा वापस ली गई है उनमें एसएएस गिलानी, अगा सैयद मौसवी, मौलवी अब्बास अंसारी, यासीन मलिक, सलीम गिलानी, शाहिद उल इस्लाम, जफर अकबर भट, नईम अहमद खान, फारुख अहमद किचलू, मसरूर अब्बास अंसारी, अगा सैयद अब्दुल हुसैन, अब्दुल गनी शाह, मोहम्मद मुसादिक भट और मुख्तार अहमद वजा शामिल हैं।

100 गाड़ियां और 1000 जवान लगे थे सुरक्षा में

इस फैसले के बाद 1000 से ज्यादा जवान और 100 से ज्यादा गाड़ियां पुलिस की रूटीन ड्यूटी के लिए फ्री होंगी। सिविल सर्विसेज के 2010 के टॉपर और हाल ही में आईएएस की नौकरी छोड़ने वाले शाह फैजल का नाम भी सुरक्षा छिनने वालों की सूची में है। राज्य के मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा समीक्षा की बैठक में कहा गया कि अलगाववादियों को दी गई सुरक्षा संसाधनों की बर्बादी है।

इन नेताओं की सुरक्षा पहले ही हटा ली गई थी

इससे पहले रविवार को भी पांच अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस ली गई थी। मीरवाइज उमर फारुक के अलावा अब्दुल गनी बट्ट, हाशिम कुरैशी, बिलाल लोन, शब्बीर शाह की सुरक्षा हटाने का फैसला किया गया था। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के साथ संदिग्ध तौर पर संपर्क रखने वाले कश्मीरी अलगाववादी नेताओं को मिली सुरक्षा की समीक्षा की, जिसके बाद ये फैसला किया गया। एक शीर्ष अधिकारी ने बताया था कि केंद्र सरकार ने एक सुझाव दिया था जिसके बाद ऐसे व्यक्तियों को मिली सुरक्षा की समीक्षा की जाएगी, जिन पर आईएसआई के साथ संबंधों का शक है।

अलगाववादियों की प्रतिक्रिया

जम्मू-कश्मीर सरकार ने पांच अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस ली थी। इसके बाद हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की प्रतिक्रिया सामने आई थी। एक बयान में हुर्रियत की ओर से कहा गया कि उन्होंने कभी सुरक्षा नहीं मांगी थी। मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व वाले हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने कहा, ‘सरकार ने खुद ही अलगाववादी नेताओं को सुरक्षा मुहैया कराने का फैसला किया था, जिसकी कभी मांग नहीं की गई।’ मीरवाइज उमर फारूक, उन चार अलगाववादी नेताओं में शामिल थे, जिनकी सुरक्षा वापस ली गई थी। बयान में आगे कहा गया, ‘मीरवाइज उमर फारूक ने वास्तव में कई बार कहा कि वह चाहते हैं कि सुरक्षा वापस ले ली जाए।’ बयान के मुताबिक, ‘सुरक्षा वापस लेने के फैसले से न तो अलगाववादी नेताओं के रुख में बदलाव आएगा और न ही इससे जमीनी हालात पर कोई असर पड़ेगा।’

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement