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श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रशासन में त्रावणकोर शाही परिवार के अधिकार रहेंगे बरकरार: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने केरल के तिरुवनंतपुरम में ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रशासन में...
श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रशासन में त्रावणकोर शाही परिवार के अधिकार रहेंगे बरकरार: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने केरल के तिरुवनंतपुरम में ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रशासन में त्रावणकोर शाही परिवार के अधिकारों को बरकरार रखने का आदेश दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि मंदिर के मामलों के प्रबंधन वाली प्रशासनिक समिति की अध्यक्षता तिरुवनंतपुरम के जिला न्यायाधीश करेंगे। 

बता दें कि न्यायालय ने केरल हाईकोर्ट के 31 जनवरी 2011 के उस आदेश को रद्द किया, जिसमें राज्य सरकार से श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का नियंत्रण लेने के लिए न्यास गठित करने को कहा गया था।

वहीं, इस फैसले के बाद शाही परिवार के सदस्य आदित्य वर्मा ने कहा कि श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हम तहे-दिल से स्वागत करते हैं। यह भगवान श्री पद्मनाभ के साथ हमारे परिवार के संबंध को फिर से स्थापित करता है। इसे लेकर परिवार खुश है। हम पूरे फैसले को पढ़ने के लिए उत्सुक हैं।

दरअसल, त्रावणकोर के राजपरिवार ने केरल हाईकोर्ट के 2011 के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी जिसमें कोर्ट ने श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रशासन और संपत्ति का राज्य सरकार द्वारा अधिग्रहण का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने मंदिर के सभी तहखानों को खोलने का भी आदेश दिया था।

बता दें कि कथित वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों के मद्देनजर ऐतिहासिक मंदिर के प्रशासन और प्रबंधन को लेकर विवाद पिछले नौ साल से शीर्ष अदालत में लंबित था। इस भव्य मंदिर का पुनर्निर्माण 18वीं सदी में इसके मौजूदा स्वरूप में त्रावणकोर शाही परिवार ने कराया था, जिने 1947 में भारतीय संघ में विलय से पहले दक्षिणी केरल और उससे लगे तमिलनाडु के कुछ भागों पर शासन किया था। 

स्वतंत्रता के बाद भी मंदिर का संचालन पूर्ववर्ती राजपरिवार द्वारा नियंत्रित ट्रस्ट करता रहा, जिसके कुलदेवता भगवान पद्मनाभ (विष्णु) हैं। न्यायमूर्ति यू यू ललित और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की पीठ ने पिछले साल 10 अप्रैल को मामले में केरल हाईकोर्ट के 31 जनवरी, 2011 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था। 

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को मंदिर, उसकी संपत्तियों का प्रबंधन संभालने तथा परिपाटियों के अनुरूप मंदिर का संचालन करने के लिए एक निकाय या ट्रस्ट बनाने के लिहाज से कदम उठाने का निर्देश दिया था। 

बता दें कि शीर्ष अदालत ने दो मई, 2011 को मंदिर के प्रबंधन और संपत्तियों पर नियंत्रण से संबंधित हाईकोर्ट के निर्देश पर रोक लगा दी थी। न्यायालय ने यह निर्देश भी दिया था कि मंदिर के खजाने में मूल्यवान वस्तुओं, आभूषणों का भी विस्तृत विवरण तैयार किया जाएगा। 

शीर्ष अदालत ने आठ जुलाई, 2011 को कहा था कि मंदिर के तहखाने-बी के खुलने की प्रक्रिया पर अगले आदेश तक रोक रहेगी। जुलाई 2017 में न्यायालय ने कहा था कि वह इन दावों का अध्ययन करेगा कि मंदिर के एक तहखाने में रहस्यमयी ऊर्जा वाला अपार खजाना है!

 

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