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एजेएल को सुप्रीम कोर्ट से राहत, फिलहाल खाली नहीं करना होगा हेराल्ड हाउस

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल हेराल्ड केस में सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक...
एजेएल को सुप्रीम कोर्ट से राहत, फिलहाल खाली नहीं करना होगा हेराल्ड हाउस

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल हेराल्ड केस में सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें एजेएल को हेराल्ड हाउस खाली करने का आदेश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल हेराल्ड हाउस खाली करने के आदेश को चुनौती देने वाली एजेएल की याचिका पर केन्द्र को नोटिस जारी किया।

दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में एजेएल को हेराल्ड हाउस खाली करने का आदेश दिया था, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई करते हुए हेराल्ड हाउस को खाली करने के आदेश पर स्टे लगा दिया है। न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि हमें यह तय करना है कि क्या AJL द्वारा यंग इंडियन में शेयर का ट्रांसफर करना लीज ट्रांसफर करने के समान होगा?

इससे पहले, नेशनल हेराल्ड के प्रकाशक एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) ने दिल्ली हाईकोर्ट से उस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट ने केन्द्र की तरफ से राष्ट्रीय राजधानी में हेराल्ड परिसर को खाली करने के आदेश को बरकरार रखा था। एजेएल ने यह आरोप लगाया था कि यह फैसला राजनीतिक विद्वेष का एक हिस्सा है, जिसके चलते ये निर्देश दिए गए।  

इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने सुरक्षित रख लिया था फैसला

बता दें कि 19 फरवरी, 2019 को दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और नेशनल हेराल्ड अखबार के प्रकाशक एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी की दलील सुनने के बाद इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

 लिखित जवाब देने के लिए दिया था तीन दिन का समय

इसके अलावा दिल्ली हाई कोर्ट ने दोनों वरिष्ठ अधिवक्ताओं से भी अपना-अपना लिखित जवाब तीन दिनों के भीतर कोर्ट में दाखिल करने का समय दिया था। एजेएल ने हेराल्ड हाउस खाली करने के 21 दिसंबर, 2018 के सिंगल बेंच के फैसले को डबल बेंच के सामने चुनौती दी थी।

नेशनल हेराल्ड की बिल्डिंग खाली करने का दिया था आदेश

इससे पहले हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने बीते 21 दिसंबर को एजेएल की याचिका खारिज करते हुए नेशनल हेराल्ड की बिल्डिंग खाली करने आदेश दिया था। कोर्ट ने इसके लिए दो सप्ताह तक समय दिया था। दरअसल, एजेएल ने केंद्र सरकार के उस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें 56 साल पुरानी लीज खत्म करने का आदेश दिया गया था।

जानें पूरा मामला

एजेएल नेशनल हेराल्ड अखबार की मालिकाना कंपनी है। कांग्रेस ने 26 फरवरी 2011 को इसकी 90 करोड़ की देनदारी अपने जिम्मे ले ली थी यानी कंपनी को 90 करोड़ का लोन दिया। इसके बाद पांच लाख में यंग इंडियन कंपनी बनाई गई, जिसमें सोनिया व राहुल की हिस्सेदारी 38-38 व शेष कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा व ऑस्कर फर्नाडीज के पास है। बाद में एजेएल के 10-10 रुपये के नौ करोड़ शेयर यंग इंडियन को दिए गए। बदले में यंग इंडियन को कांग्रेस का लोन चुकाना था। नौ करोड़ शेयर के साथ यंग इंडियन को कंपनी के 99 शेयर हासिल हो गए। इसके बाद कांग्रेस ने 90 करोड़ का लोन माफ कर दिया। यानी यंग इंडियन को मुफ्त में एजेएल का स्वामित्व मिल गया।

दिल्‍ली स्थित हेराल्ड हाउस को खाली कराने से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट की डबल बेंच ने अपना फैसला सुनाया और अपने फैसले में दो सप्ताह का समय देते हुए हाउस को खाली करने के लिए कहा।

नहीं थम रहीं सोनिया और राहुल की मुश्किलें

नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। इससे पहले 10 सितंबर, 2018 को दिल्ली हाई कोर्ट ने भी 2011-12 के टैक्स आकलन के मामले को दोबारा खोले जाने के मसले में दोनों नेताओं को राहत देने से साफ इनकार कर दिया था। हाई कोर्ट ने कहा था कि टैक्स संबंधी पुराने मामलों की आयकर विभाग फिर से जांच कर सकता है।

बता दें कि हाई कोर्ट के इस फैसले को दोनों नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। दोनों ने नेशनल हेराल्ड और यंग इंडियन से जुड़े टैक्स एसेसमेंट की दोबारा जांच के आयकर विभाग के आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी। बता दें कि राहुल और सोनिया के खिलाफ आयकर जांच का मुद्दा भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने उठाया था।

क्‍या है नेशनल हेराल्‍ड

नेशनल हेराल्‍ड भी उन अखबारों की श्रेणी में है, जिसकी बुनियाद आजादी के पूर्व पड़ी। हेराल्‍ड दिल्ली एवं लखनऊ से प्रकाशित होने वाला अंग्रेजी अखबार था। 1938 में देश के पंडित जवाहरलाल नेहरू ने नेशनल हेराल्‍ड अखबार की नींव रखी थी। नेशनल हेराल्ड को कांग्रेस का मुखपत्र भी माना जाता है। आर्थिक हालात के चलते 2008 में इसका प्रकाशन बंद हो गया। उस वक्‍त वह कांग्रेस की नीतियों के प्रचार-प्रसार का मुख्‍य स्रोत था।

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