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सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की 100% VVPAT मिलान वाली याचिका, कहा- इससे लोकतंत्र को पहुंचेगा नुकसान

लोकसभा चुनाव के नतीजे आने से पहले ही अपनी चुनावी संभावनाओं को लेकर आशंकित विपक्ष को ईवीएम के मुद्दे पर...
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की 100% VVPAT मिलान वाली याचिका, कहा- इससे लोकतंत्र को पहुंचेगा नुकसान

लोकसभा चुनाव के नतीजे आने से पहले ही अपनी चुनावी संभावनाओं को लेकर आशंकित विपक्ष को ईवीएम के मुद्दे पर दोहरा झटका लगा है। वीवीपैट के ईवीएम से 100 फीसदी मिलान की मांग वाली याचिका को ही सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। यही नहीं शीर्ष अदालत ने याचियों को फटकार लगाते हुए कहा कि ऐसी अर्जियों को बार-बार नहीं सुना जा सकता।

टेक्नोक्रैट्स के एक ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि वेरिफिकेशन के लिए सभी ईवीएम का वीवीपैट से मिलान किया जाना चाहिए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस अर्जी को खारिज करते हुए कहा कि यह मेरिट के मुताबिक नहीं है।

यही करते रहे तो इससे लोकतंत्र को नुकसान होगा

याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'इस मामले पर पहले ही मुख्य न्यायाधीश की बेंच फैसला दे चुकी है फिर आप इस मामले को वेकेशन बेंच के सामने क्यों उठा रहे हैं?'। इस याचिका को बकवास बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यही करते रहे तो इससे लोकतंत्र को नुकसान होगा।

 ‘सिर्फ चर्चा और अशांति का हथियार है ये याचिका

यही नहीं सुप्रीम कोर्ट की बेंच में शामिल जस्टिस अरुण मिश्रा ने याचिकाकर्ताओं को फटकार लगाते हुए कहा, 'इस तरह की याचिकाओं को हम बार-बार एंटरटेन नहीं करेंगे। हम लोगों द्वारा जनप्रतिनिधियों के निर्वाचन के तरीके के बीच में नहीं आ सकते। यही नहीं शीर्ष अदालत ने इस याचिका सिर्फ उपद्रव और चर्चा का हथियार करार दिया।

इससे पहले 7 मई को हुई थी सुनवाई

इससे पहले मंगलवार 7 मई को सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम और वीवीपैट की पर्चियों के मिलान को लेकर सुनवाई हुई थी। इस दौरान विपक्ष के द्वारा दाखिल की गई याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। विपक्ष की मांग थी कि 50 फीसदी वीवीपैट पर्चियों की ईवीएम से मिलान का आदेश चुनाव आयोग को दिया जाए। याचिका को खारिज करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि अदालत इस मामले को बार-बार क्यों सुने।

वीवीपैट पर्चियों के ईवीएम से मिलान की मांग पर क्या कहा था आयोग ने

बता दें 50 फीसदी तक वीवीपैट पर्चियों के ईवीएम से मिलान की मांग पर चुनाव आयोग ने कहा था कि वीवीपीएटी स्लिप काउंटिंग की वर्तमान पद्धति में कोई बदलाव संभव नहीं है। पैनल ने यह भी कहा कि अगर वीवीपीएटी की पर्चियों की गिनती 50 फिसदी बढ़ जाती है तो लोकसभा चुनाव परिणाम 6 से 9 दिनों की देरी से आएगा। अपने हलफनामे में आयोग ने कहा है कि औसतन, एक मतदान केंद्र की वीवीपीएटी स्लिप काउंट के लिए एक घंटे का समय लगता है। अगर कुल विधानसभा क्षेत्र की संख्या 50% तक बढ़ जाती है तो कम से कम 6 दिन लगेंगे और कुछ विधानसभाक्षेत्रों में 400 से अधिक बूथ हैं तो वहां मतगणना में 9 दिन लग सकते हैं।

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