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सुप्रीम कोर्ट का फैसला, चुनी हुई सरकार का सम्मान करें एलजी, कैबिनेट की सलाह मानने के लिए बाध्य

एलजी और दिल्ली सरकार के बीच अधिकारों के विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अहम फैसला सुनाया है।...
सुप्रीम कोर्ट का फैसला, चुनी हुई सरकार का सम्मान करें एलजी, कैबिनेट की सलाह मानने के लिए बाध्य

एलजी और दिल्ली सरकार के बीच अधिकारों के विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उपराज्यपाल दिल्ली में फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं, एलजी को कैबिनेट की सलाह के मुताबिक ही काम करना होगा। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यह भी सपष्ट कर दिया है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना संभव नहीं है।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, शीर्ष अदालत ने  कहा कि दिल्ली के एलजी के पास कोई स्वतंत्र निर्णय लेने की शक्ति नहीं है, वह एक अवरोधक के रूप में कार्य नहीं कर सकते।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एलजी मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह पर कार्य करने के लिए बाध्य हैं। अदालत ने यह भी कहा कि कैबिनेट के सभी निर्णयों को एलजी को सूचित किया जाना चाहिए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इस पर एलजी की सहमति आवश्यक है।

कोर्ट का कहना है कि एलजी को यांत्रिक तरीके से कार्य नहीं करना चाहिए और न ही मंत्रिपरिषद के फैसले को रोकना चाहिए।

बता दें कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। जिसमें कोर्ट ने कहा था कि उपराज्यपाल ही दिल्ली के प्रशासनिक मुखिया हैं और कोई भी निर्णय उनकी मंजूरी के बिना नहीं लिया जाए।

इस मामले में संविधान पीठ ने पिछले साल 6 दिसंबर को सुनवाई पूरी की थी। पांच जजों की संविधान पीठ में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के साथ जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं।

इससे पहले 4 अगस्त 2016 को दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि दिल्ली एक केन्द्र शासित क्षेत्र है। यहां केंद्र के प्रतिनिधि उपराज्यपाल की मंजूरी से ही निर्णय लिए जा सकते हैं।

गौरतलब है कि आप सरकार की उपराज्यपाल के साथ अधिकारों की लड़ाई लंबे समय से जारी है। पहले तत्कालीन एलजी नजीब जंग और केजरीवाल सरकार के बीच टकराव सामने आया। इसके बाद केजरीवाल ने जंग की तुलना तानाशाह हिटलर तक से की। दिसंबर, 2016 में अनिल बैजल के उपराज्यपाल बनने के बाद भी यह लड़ाई चल रही है। मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ मारपीट के आरोप के बाद अधिकारियों की हड़ताल और घर-घर राशन वितरण की योजना को मंजूरी नहीं देने पर भी विवाद रहा। यही वजह है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हमेशा उपराज्यपाल पर फाइलें अटकाने का आरोप जड़ते हैं। हाल ही में वो अपने तीन मंत्रियों के साथ 9 दिनों तक एलजी ऑफिस में धरने पर बैठे थे।

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