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सारदा घोटाला मामले में कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के घर सीबीआई का छापा

सारदा चिट फंड घोटाले में सीबीआई ने कोलकाता पुलिस के पूर्व आयुक्त राजीव कुमार के खिलाफ लुक आउट नोटिस...
सारदा घोटाला मामले में कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के घर सीबीआई का छापा

सारदा चिट फंड घोटाले में सीबीआई ने कोलकाता पुलिस के पूर्व आयुक्त राजीव कुमार के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी करने के बाद उनके घर और कार्यालय पर छापा मारा। लुक आउट नोटिस होने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी माने जाने वाले राजीव देश छोड़कर नहीं जा सकते हैं। इसके लिए देश के कई एयरपोर्ट को भी नोटिस दिया गया है। सीबीआई ने पूछताछ के लिए कल तक राजीव कुमार से कोलकाता सीबीआई ऑफिस पहुंचने के लिए नोटिस दिया है।

नोटिस के मुताबिक, राजीव एक साल तक देश से बाहर नहीं जा सकते हैं और यदि वह ऐसा प्रयास करते हैं तो इमीग्रेशन अधिकारी उन्हें गिरफ्तार कर सीबीआई को सौंप देंगे। इमीग्रेशन ब्यूरो गृह मंत्रालय के तहत काम करता है। नोटिस 23 मई को जारी किया गया।

सीबीआई इसी मामले में कुमार से पूछताछ करने के लिए उन्हें गिरफ्तार करना चाहती है। 24 मई तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगी हुई थी। जिसे बढ़ाने के लिए वह उच्चतम न्यायालय गए लेकिन उन्हें वहां से राहत नहीं मिली। सारदा चिटफंड घोटाला मामले में गिरफ्तारी से राहत बढ़ाने की मांग करने वाली कोलकाता के पूर्व कमिश्नर राजीव कुमार की याचिका सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है। इसके बाद कुमार ने बारासात की निचली अदालत में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी। उसे भी खारिज कर दिया गया।

हो सकती है गिरफ्तारी

गिरफ्तारी से मिली राहत की अवधि समाप्त होने के बाद अब राजीव कुमार को सीबीआई कभी भी गिरफ्तार कर सकती है। उत्तर प्रदेश के संभल में उनके पैतृक घर पर भी पुलिस की तैनाती कर दी गई है। इसके अलावा सुरक्षा एजेंसियां राजीव कुमार की तलाश में लग गई हैं। बता दें, पश्चिम बंगाल की अदालतों के वकील हड़ताल पर हैं, इसलिए राजीव कुमार चाहकर भी कलकत्ता हाईकोर्ट का रूख नहीं कर पा रहे हैं।

क्या है आरोप

कोलकाता के पूर्व कमिश्नर राजीव कुमार पर करोड़ों रुपये के सारदा चिटफंड घोटाले के सबूतों को मिटाने का आरोप है। सीबीआई का आरोप है कि ताकतवर नेताओं को बचाने के लिए कुमार घोटाले से जुड़े सबूतों को मिटाने की कोशिश की थी। सीबीआई ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर राजीव कुमार को गिरफ्तार कर पूछताछ की अनुमति मांगी थी। बता दें कि घोटाले की जांच के लिए 2013 में ममता सरकार ने एसआईटी का गठन किया था। इसकी अगुवाई राजीव कुमार कर रहे थे. बाद में इस मामले को सीबीआई के पास भेज दिया गया था। सीबीआई का दावा है कि केस तबादला होने के बाद भी राजीव कुमार ने कई सबूतों को उन्हें नहीं सौंपा और छिपाने की कोशिश की।

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