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सबरीमला में महिलाओं की एंट्री: पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज

केरल के सबरीमला स्थित भगवान अयप्पा के मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की इजाजत देने के मुद्दे...
सबरीमला में महिलाओं की एंट्री: पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज

केरल के सबरीमला स्थित भगवान अयप्पा के मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की इजाजत देने के मुद्दे पर याचिकाओं के एक समूह पर सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की एक संविधान पीठ सोमवार को सुनवाई शुरू करेगी। चीफ जस्टिस एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली 9 सदस्यीय पीठ 60 याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।  

9 जजों की बेंच करेगी सुनवाई

सबरीमला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश मामले पर सोमवार को सुनवाई के लिए बेंच में जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एल. नागेश्वर राव, जस्टिस एम. एम. शांतनगौडर, जस्टिस एस. ए. नजीर, जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी, जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं। इनमें पहले की बेंच के कोई जज नहीं हैं। शीर्ष न्यायालय ने 2018 के फैसले पर पुनर्विचार की मांग करने वाली याचिकाओं के समूह को सूचीबद्ध करने के बारे में सूचना देते हुए 6 जनवरी को एक नोटिस जारी किया था।

महिलाओं को मिली थी प्रवेश की इजाजत

28 सितंबर, 2018 को एक संवैधानिक बेंच ने 10 साल से 50 साल के बीच की उम्र की महिलाओं को सबरीमला के भगवान अयप्पा के मंदिर में नहीं जाने देने की परंपरा को असंवैधानिक बताया था और सभी महिलाओं के लिए मंदिर के दरवाजे खोल दिए थे। इसके बाद 50 से भी ज्यादा पुनर्विचार याचिकाएं इस फैसले के खिलाफ दाखिल की गई थीं। तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की एक पीठ द्वारा इस विषय में 3:2 से बहुमत का फैसला सुनाए जाने के बाद नौ सदस्यीय पीठ का गठन किया गया।

धार्मिक स्थानों पर संवैधानिक मूल्यों का पालन सिर्फ सबरीमला तक सीमित नहीं

बिना पुराने फैसले पर रोक लगाए, 14 नवंबर को एक दूसरी पांच जजों की बेंच ने मामला सात जजों की बेंच तो सौंप दिया ताकि वे सुप्रीम कोर्ट के लिए इस मामले को देखने के लिए गाइडलाइन बनाएं। कोर्ट ने कहा कि धार्मिक स्थानों पर संवैधानिक मूल्यों का पालन सिर्फ सबरीमला तक सीमित नहीं है बल्कि कोर्ट के लिए जरूरी है कि वह अहम और पूरा न्याय करने के लिए अपनी न्यायिक नीति को आगे बढ़ाए। इसके बाद चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने 9 जजों की बेंच का गठन कर दिया।

मस्जिदों, मंदिरों में एंट्री पर भी फैसला

गौर करने वाली बात यह है कि बेंच का जो भी फैसला होगा वह सिर्फ सबरीमला केस के लिए नहीं बल्कि मस्जिदों में महिलाओं की एंट्री, दाऊदी बोहरा समुदाय में महिलाओं में खतना और पारसियों के फायर टेंपल्स में महिलाओं की एंट्री पर भी होगा। यह इसलिए इतना अहम होगा क्योंकि सभी धर्मों में लैंगिक समानता को स्थापित करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाएगा।

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