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नक्सल प्रभावित इलाकों में कौशल विकास पर है जोरः रूडी

केंद्रीय कौशल विकास मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने कहा है कि देश के नक्सल प्रभावित इलाकों में युवाओं के बीच कौशल प्रशिक्षण पर सरकार पूरा ध्यान दे रही है।
नक्सल प्रभावित इलाकों में कौशल विकास पर है जोरः रूडी

नई दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में हिंदी आउटलुक की ओर से ‘लाल गलियारे में विकास’ विषय पर आयोजित संवाद की शुरुआत करते हुए रूडी ने नक्सल प्रभावित राज्यों के युवाओं के बीच कौशल प्रशिक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि देश की शिक्षा व्यवस्‍था की यह बड़ी खामी रही है कि यहां नियमित शिक्षा के साथ अनिवार्य कौशल का प्रशिक्षण नहीं दिया जाता। उन्होंने कहा कि अगर बच्चों के बीच स्कूली शिक्षा के साथ सामान्य प्रशिक्षण मसलन, ड्राइविंग, ब्यूटिशियन, पेंटिंग, प्लंबिंग आदि को अनिवार्य कर दिया जाता तो देश के पास एक व्यापक प्रशिक्षित वर्क फोर्स होता। उन्होंने सवाल ‌उठाया कि देश में प्रोफेसर और इकॉनोमिक्स, प्रोफेसर ऑफ फिजिक्स आदि होते हैं मगर प्रोफेसर ऑफ प्लंबिंग नहीं होता। ऐसा क्यो? रूडी ने कहा कि दरअसल देश में शिक्षा और कौशल नहीं डिग्री को महत्वपूर्ण बना दिया गया है जिसके कारण हमारे देश की एक बड़ी आबादी बेरोजगार है। कौशल विकास मंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार ने इस स्थिति को बदलने का फैसला किया है और यह पहली बार हुआ है कि कौशल विकास को सही तरीके से परिभाषित किया गया है।

कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने दावा किया कि छत्तीसगढ़ से नक्सलियों का बहुत जल्द सफाया हो जाएगा क्योंकि उनके नेतृत्व में सरकार राज्य में नक्सल प्रभावित इलाकों में सड़क, रेल तथा अन्य प्रकार के संपर्क बनाने में पूरी ताकत से जुड़ी है। उन्होंने दावा कि उनकी सरकार ने बस्तर के दुर्गम से दुर्गम इलाकों में जनवितरण प्रणाली के तहत एक रुपये किलो के दर से चावल और मुफ्त में नमक की आपूर्त‌ि सुनिश्चित कर दी है जिससे नक्सल प्रभावित इलाके के लोगों में सरकार के प्रति भरोसा बढ़ा है। उन्होंने कहा कि वह वादा करते हैं कि आने वाले समय में छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि देश के हर राज्य से लाल गलियारा यानी नक्सल प्रभावित इलाका समाप्त हो जाएगा और सिर्फ हरा गलियारा रह जाएगा। रमन सिंह ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित कर रही है बस्तर के खूबसूरत जंगलों में आम लोग निर्विघ्न होकर पर्यटन के लिए आएं और प्रकृति का आनंद लें। ऐसा होने पर यह लाल गलियारा नहीं बल्कि हरा गलियारा होगा जो कि शांति का गलियारा होगा।

आउटलुक संवाद में केंद्रीय आईटी और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि दूरस्‍थ और नक्सल प्रभावित इलाकों के लोगों को भी देश के विकास में भागीदार बनने ही उतनी ही इच्छा है जितनी देश के बाकी हिस्से के लोगों को। उन्होंने कहा कि इसे मात्र इसी बात से समझ सकते हैं कि देश की 125 करोड़ की आबादी में 104 करोड़ मोबाइल कनेक्‍शन हैं। जाहिर है कि दूर-दूर तक मोबाइल की पहुंच हो चुकी है। उन्होंने यह भी कहा कि यह सरकार जिस तरह डिजिटल इंडिया के कार्यक्रम को बढ़ा रही है उससे नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास होना तय है।

कार्यक्रम में वरिष्ठ कांग्रेस नेता और कई राज्यों में राज्यपाल के पद पर रहे भीष्म नारायण सिंह ने भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि झारखंड में नक्सल हिंसा का खामियाजा उन्होंने व्यक्तिगत रूप से भुगता है मगर वह नक्सलियों पर गोली चलाने के हिमायती नहीं रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह समझना होगा कि नक्सली बाहर से नहीं आए। वे हमारे ही लोग हैं और उनसे निपटने के लिए हमेशा राजनीतिक समाधान ही बेहतर होता है। उन्होंने इस संबंध में असम के हिंसक गुटों से निपटने में राज्यपाल के रूप में अपने अनुभव का भी विवरण दिया।

झारखंड के वरिष्ठ मंत्री सरयू राय ने समारोह में झारखंड में नक्सल गतिविधयों और उससे निबटने में झारखंड सरकार के उपायों की जानकारी दी। इसके अलावा छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और झारखंड में शीर्ष स्तर पर पुलिस के पद संभालने वाले अधिकारियों विभूति नारायण राय, विष्‍णु दयाल राम, दुर्गेश माधव अवस्‍थी, मनीष शंकर शर्मा आदि ने यह जानकारी दी कि किस तरह इन राज्यों में पुलिस ने दुर्गम हालात में भी नक्सलियों से लोहा लिया है। केंद्रीय सूचना आयुक्त और पूर्व आईपीएस अधिकारी यशोवर्धन आजाद ने भी कार्यक्रम में अपने विचार रखे। उद्योगपति संजय डालमिया और जेके जैन समेत कई क्षेत्रों के जाने-माने लोग कार्यक्रम में मौजूद थे।

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