Advertisement

सीजेआई को क्लीन चिट देने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के बाहर प्रदर्शन, धारा 144 लागू

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को यौन उत्पीड़न मामले में क्लीन चिट मिलने के एक दिन बाद कई महिला वकील और...
सीजेआई को क्लीन चिट देने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के बाहर प्रदर्शन, धारा 144 लागू

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को यौन उत्पीड़न मामले में क्लीन चिट मिलने के एक दिन बाद कई महिला वकील और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के बाहर प्रदर्शन किया। किसी भी प्रकार की अवांछित स्थिति पैदा न हो इसके लिए कोर्ट परिसर के आसपास धारा 144 लगा दी गई है।

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि महिला के सम्मान और न्याय के लिए यह लड़ाई है। सुप्रीम कोर्ट के बाहर प्रदर्शनकारियों ने महिला को न्याय दिलाने के लिए नारेबाजी भी की। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि कथित पीड़िता के बयान को गंभीरता से नहीं लिया गया।

जैसा कि किसी भी तरह के प्रदर्शन के लिए शीर्ष अदालत के बाहर इकट्ठा होने की अनुमति नहीं है लिहाजा दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया और आगे बढ़ने से रोकने के लिए क्षेत्र में सीआरपीसी धारा 144 लगा दी।

आरोप लगाने वाली महिला ने जताई थी निराशा

सीजेआई रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली सुप्रीम कोर्ट की पूर्व महिला कर्मचारी ने न्यायालय की आंतरिक समिति द्वारा सोमवार को उन्हें क्लीन चिट दिये जाने पर कहा था कि वह “बेहद निराश और हताश” हैं। उन्होंने कहा कि भारत की एक महिला नागरिक के तौर पर उसके साथ “घोर अन्याय” हुआ है और उसका “सबसे बड़ा डर” सच हो गया और देश की शीर्ष अदालत से न्याय की उसकी उम्मीदें पूरी तरह समाप्त हो गई है।

उन्होंने कहा कि आज, मैं कमजोर और निरीह लोगों को न्याय देने की हमारी व्यवस्था की क्षमता पर विश्वास खोने के कगार पर हूं।  उन्होंने कहा कि उन्हें मीडिया से पता चला कि सीजेआई अपना बयान दर्ज कराने के लिये समिति के समक्ष पेश हुए लेकिन इस बात की जानकारी नहीं है कि आरोपों से परिचित अन्य लोगों को समिति के समक्ष बुलाया गया या नहीं।

समिति ने दी क्लीन चिट

सीजेआई गोगोई को यौन उत्पीड़न के आरोपों से सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की आंतरिक समिति ने क्लीन चिट देते हुये कहा है कि उसे उनके खिलाफ कोई ‘‘ठोस आधार’’ नहीं मिला।

सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल के कार्यालय की एक नोटिस में कहा गया है कि न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट ‘‘सार्वजनिक नहीं की जायेगी।’’ समिति में दो महिला न्यायाधीश न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी भी शामिल थीं।

समिति ने एकपक्षीय रिपोर्ट दी

समिति ने एकपक्षीय रिपोर्ट दी क्योंकि इस महिला ने तीन दिन जांच कार्यवाही में शामिल होने के बाद 30 अप्रैल को इससे अलग होने का निर्णय लिया था। महिला ने इसके साथ ही एक विस्तृत प्रेस विज्ञप्ति जारी करके समिति के वातावरण को ‘‘बहुत ही भयभीत करने वाला’’ बताया था और अपना वकील ले जाने की अनुमति नहीं दिये जाने सहित कुछ आपत्तियां भी उठायी थीं। इसके बाद, प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई भी एक मई को समिति के समक्ष पेश हुये थे और उन्होंने अपना बयान दर्ज कराया था।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad