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UNGA में पीएम मोदी की बुद्ध वाली टिप्पणी गलत: संभाजी भिड़े

विवादास्पद दक्षिणपंथी नेता संभाजी भिड़े ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भगवान बुद्ध वाली...
UNGA में पीएम मोदी की बुद्ध वाली टिप्पणी गलत: संभाजी भिड़े

विवादास्पद दक्षिणपंथी नेता संभाजी भिड़े ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भगवान बुद्ध वाली टिप्पणी 'गलत' थी क्योंकि उनकी सीख आज की दुनिया के लिए 'उपयोगी नहीं' है।

भिड़े ने सांगली में एक कार्यक्रम में दावा किया कि दुनिया को वर्तमान समय में शांति का संदेश नहीं चाहिए जो बुद्ध ने अपने उपदेश में दिया था।

उन्होंने कहा, 'पीएम नरेंद्र मोदी ने यह (बुद्ध का उल्लेख) करके गलती की। हमने दुनिया को बुद्ध दिया लेकिन यह (बुद्ध का शांति और सहिष्णुता का संदेश) अब उपयोगी नहीं है। अगर आपको दुनिया में व्यवस्था कायम करनी है तो हमें छत्रपति शिवाजी महाराज और उनके पुत्र संभाजी महाराज के 'विचारों' की आवश्यकता होगी।'

मोदी ने क्या कहा था?

शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74 वें सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारत ने दुनिया को युद्ध नहीं बुद्ध दिए हैं। राष्ट्रों को आतंकवाद के खिलाफ एक संयुक्त लड़ाई के लिए प्रेरित करते हुए, उन्होंने कहा था कि भारत ने दुनिया को बुद्ध के शांति के संदेश दिए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा था कि आतंक के खिलाफ दुनिया का एकजुट होना जरूरी है और भारत ने विश्व को हमेशा से शांति और भाईचारे का संदेश दिया है। मोदी ने ये भी कहा था कि हम मानते हैं कि आतंकवाद किसी एक देश की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की और मानवता की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है।

कौन है संभाजी भिड़े?

गौरतलब है कि संभाजी भिड़े महाराष्‍ट्र के संगठन शिव प्रतिष्‍ठान हिंदुस्‍तान के प्रमुख हैं और जनवरी 2018 में हुई कोरेगांव-भीमा हिंसा में आरोपी भी हैं। पीएम मोदी भी उन्हें ‘गुरूजी’ कह कर संबोधित करते हैं। वे राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पूर्व कार्यकर्ता भी हैं।

देते रहे हैं विवादित बयान

संभाजी भिड़े ने कहा था कि अमेरिका को चंद्रमा पर अंतरिक्षयान भेजने में तब कामयाबी मिली जब उसने इसके लिए एकादशी की तिथि चुनी। भिड़े का बयान भारत के चंद्रयान-2 अभियान के अंतिम क्षणों में उससे संपर्क टूटने की खबरों के मद्देनजर आया था। शोलापुर में भिड़े ने कहा, 'अमेरिका ने 38 बार चांद पर अंतरिक्षयान भेजने की कोशिश की लेकिन नाकाम रहा। इसके बाद कुछ अमेरिकी वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया कि क्‍यों न अमेरिकी काल-गणना की जगह भारतीय काल-गणना का प्रयोग किया जाए। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने इस पर अमल किया और 39वीं बार एकादशी के दिन अंतरिक्ष यान भेजा और अंतत: वे सफल रहे।'

 

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