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राष्ट्रपति का देश को संबोधन, कहा-युवाओं में दिखती है नए भारत की एक झलक

भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 71वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश को संबोधित किया।...
राष्ट्रपति का देश को संबोधन, कहा-युवाओं में दिखती है नए भारत की एक झलक

भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 71वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश को संबोधित किया। उन्होंने देशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि लोगों से ही देश बनता है। राष्ट्रपति ने देश की सेना, स्वच्छ भारत अभियान, प्रवासी भारतीय, ओलंपिक 2020, इसरो और शिक्षा की सराहना की। उन्होंने सरकार से शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में और जोर देने की अपील की।

रामनाथ कोविंद ने कहा कि विकास पथ पर आगे बढ़ते हुए हमारा देश और हम सभी देशवासी, विश्व-समुदाय के साथ सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, ताकि हमारा और पूरी मानवता का भविष्य सुरक्षित रहे और हम समृद्धिशाली बने। उन्होंने कहा कि देश का कोई बच्चा अथवा युवा शिक्षा से वंचित न रहें, ऐसे हमे प्रयास करने होंगे।

लोकतंत्र के लिए सत्ता और विपक्ष दोनों अहम

संबोधन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि लोकतंत्र में सत्ता एवं विपक्ष दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका महत्वपूर्ण होती है। राजनैतिक विचारों की अभिव्यक्ति के साथ-साथ देश के सामुहिक विकास और कल्याण के लिए दोनों पक्षों को मिलकर आगे बढ़ना चाहिए।

इस तारीख का विशेष महत्व

उन्होंने कहा कि सात दशक पहले 26 जनवरी को हमारा संविधान लागू हुआ था। उसके पहले ही इस तारीख का विशेष महत्व स्थापित हो चुका था। ‘पूर्ण स्वराज’ का संकल्प लेने के बाद हमारे 1930 से 1947 तक प्रतिवर्ष 26 जनवरी को ‘पूर्ण स्वराज दिवस’ के रूप में मनाया करते थे। इसीलिए सन 1950 में उसी ऐतिहासिक दिवस पर, हम भारत के लोगों ने एक गणतंत्र के रूप में अपनी यात्रा शुरू की थी। तब से प्रतिवर्ष 26 जनवरी को हम गणतंत्र दिवस मनाते हैं।

बापू के जीवन-मूल्यों को अपनाना

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे संविधान ने सभी को एक स्वाधीन लोकतंत्र के नागरिक के रूप में कुछ अधिकार प्रदान किए हैं। लेकिन संविधान के अंतर्गत ही हम सब ने यह ज़िम्मेदारी भी ली है कि हम न्याय, स्वतंत्रता और समानता तथा भाईचारे के मूलभूत लोकतांत्रिक आदर्शों के प्रति सदैव प्रतिबद्ध रहें। उन्होंने कहा कि राष्ट्र के निरंतर विकास तथा परस्पर भाईचारे के लिए यही सबसे उत्तम मार्ग है। राष्ट्रपिता बापू के जीवन-मूल्यों को अपनाने से इन संवैधानिक आदर्शों का अनुपालन करना और भी सरल हो जाता है। ऐसा करके हम सब महात्मा गांधी की 150वीं जयंती को और भी बेहतर आयाम दे सकेंगे।

देश का कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न हो

संबोधन करते हुए रामनाथ कोविंद ने कहा कि भारत में प्राचीन काल से ही एक अच्छी शिक्षा व्यवस्था की आधारशिला नालंदा और तक्षशिला जैसे महान विश्वविद्यालयों के रूप में रखी जा चुकी थी। भारत ने आदिकाल से ज्ञान को शक्ति, प्रसिद्धि अथवा धन से अधिक मूल्यवान माना है। लंबे समय तक औपनिवेशिक शासन के कारण हमारी आधुनिक शिक्षा व्यवस्था का आधार का आजादी के बाद से प्रारम्भ हुआ है। तब हमारे संसाधन बहुत ही सीमित थे। फिर भी, शिक्षा के क्षेत्र में हमारी कई उपलब्धियां उल्लेखनीय हैं। हमारा प्रयास है कि देश का कोई भी बच्चा अथवा युवा, शिक्षा की सुविधा से वंचित न रहे। वहीं, शिक्षा प्रणाली में सुधार करते हुए अपनी शिक्षा व्यवस्था को विश्व स्तरीय बनाने के लिए हमें निरंतर प्रयास करते रहना है।

युवाओं में दिखती है नए भारत की एक झलक

उन्होंने कहा कि अब हम इक्कीसवीं सदी के तीसरे दशक में प्रवेश कर चुके हैं। यह नए भारत के निर्माण और भारतीयों की नई पीढ़ी के उदय का दशक होने जा रहा है। इस शताब्दी में जन्मे युवा बढ़-चढ़ कर राष्ट्रीय विचार-विमर्श में अपनी भागीदारी निभा रहे हैं। हालांकि, समय बीतने के साथ हमारे स्वाधीनता संग्राम के प्रत्यक्ष साक्षी रहे लोग हमसे धीरे-धीरे बिछुड़ते जा रहे हैं। लेकिन, हमारे स्वाधीनता संग्राम की आस्थाएं हमेशा मौजूद रहेंगी। हमारी अगली पीढ़ी हमारे देश के आधारभूत मूल्यों में गहरी आस्था रखती है। हमारे युवाओं के लिए राष्ट्र सदैव सर्वोपरि रहता है। मुझे इन युवाओं में एक उभरते हुए नए भारत की झलक दिखाई देती है।

‘पूरा विश्व एक परिवार’

राष्ट्रपति ने कहा कि पूरे विश्व को एक ही परिवार समझने की ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का मंत्र अन्य देशों से हमारे सम्बन्धों को मजबूत बनाती है। हम अपने लोकतान्त्रिक मूल्यों तथा विकास और उपलब्धियों को समूचे विश्व के साथ साझा करते आए हैं।

गणतंत्र दिवस के उत्सव में विदेशी राष्ट्र प्रमुखों को आमंत्रित करने की हमारी परंपरा रही है। मुझे प्रसन्नता है कि इस वर्ष भी गणतन्त्र दिवस के उत्सव में हमारे प्रतिष्ठित मित्र ब्राज़ील के राष्ट्रपति श्री हायर बोल्सोनारो हमारे सम्मानित अतिथि के रूप में सम्मिलित होंगे।

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