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'मन की बात' में पीएम मोदी का नया मंत्र- "अब खेलें भी और खिलें भी", बोले- 41 साल बाद आई हॉकी में जान, कोरोना पर भी कही बड़ी बात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात के 80वें संस्करण में खेल दिवस से जुड़ी बातें बताईं।...
'मन की बात' में पीएम मोदी का नया मंत्र-

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात के 80वें संस्करण में खेल दिवस से जुड़ी बातें बताईं। पीएम मोदी ने कहा कि आज मेजर ध्यानचंद जी की जंयती है। हमारा देश उनकी स्मृति में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाता है। 4 दशक बाद भारत को ओलंपिक में हॉकी का पदक मिला। इस समय मेजर ध्यानचंद जहां भी होंगे वहां उनकी आत्मा को प्रसन्नता होगी। पीएम मोदी ने नया मंत्र देते हुए कहा, "अब खेलें भी और खिलें भी"। उन्होंने कहा कि 41 साल बाद हॉकी में जान आई है। आगे पीएम मोदी ने कोरोना को लेकर भी देशवासियों को सावधान किया है। पीएम ने कहा, वैक्सीनेशन के बीच 'दवाई भी और कड़ाई भी' का ध्यान रखें।

उन्होंने खेलों के बारे में बताते हुए कहा कि हर परिवार में अब खेलों के बारे में चर्चा होने लगी है। क्या हमें अब इसे रूकने देना चाहिए? अब खेल-कूद को रूकना नहीं है। इस गति को अब रोकना नहीं है। अब हमारे खेल के मैदान भरे हुए होने चाहिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि देश के युवाओं ने मन में ठान लिया कि कैसे दुनिया में भारत के खिलौनों की पहचान बनानी है। वे अब नए-नए प्रयोग कर रहे हैं। आज युवा इसपर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में बताया कि तमिलनाडु के शिवगंगा ज़िले के गांव की ग्राम पंचायत ने स्थानीय लोगों के साथ मिलकर कचरे से बिजली बनाने का प्रोजेक्ट बनाया है। पूरे गांव से कचरा लाकर उससे बिजली बनाई जाती है। बिजली का इस्तेमाल गांव की स्ट्रीट लाइटों में इस्तेमाल होता है।

उन्होंने आगे कहा कि हमारे देश में जितने राज्य वाटर सिटी प्लस होंगे उतनी ही स्वच्छता बढ़ेगी और हमारी नदियां भी साफ होंगी। पानी बचाने की मानवीय ज़िम्मेदारी निभाने के संस्कार भी होंगे।

पीएम ने विश्वकर्मा जयंती के बारे में बताते हुए कहा कि अगले कुछ दिनों में ही ‘विश्वकर्मा जयंती’ भी आने वाली है। भगवान विश्वकर्मा को हमारे यहाँ विश्व की सृजन शक्ति का प्रतीक माना गया है।"

उन्होंने आगे कहा कि "दुनिया में भले स्किल की पहचान आज नए तरीके से हो रही है, लेकिन हमारे ऋषियों ने तो हजारों सालों से स्किल और स्किल पर बल दिया है । उन्होंने स्किल को, हुनर को, कौशल को, आस्था से जोड़कर हमारे जीवन दर्शन का हिस्सा बना दिया है ।"

पीएम मोदी ने संस्कृत भाषा की पढ़ाई के बारे में जानकारी देते हुए कहा, "हाल ही में, मुझे कई ऐसे लोगों के बारे में जानने को मिला, जो विदेशों में संस्कृत पढ़ाने का प्रेरक कार्य कर रहे हैं ।" उन्होंने कहा, "डॉ. चिरापत प्रपंडविद्या और डॉ. कुसुमा रक्षामणि, ये दोनों थाईलैंड में संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं । उन्होंने थाई और संस्कृत भाषा में तुलनात्मक साहित्य की रचना भी की है ।"

उन्होंने कहा कि, "इसी तरह सिडनी संस्कृत स्कूल, ऑस्ट्रेलिया के उन प्रमुख संस्थानों में से एक है, जहाँ विद्यार्थियों को संस्कृत भाषा पढ़ाई जाती है | ये स्कूल बच्चों के लिए संस्कृत व्याकरण शिविर, संस्कृत नाटक और संस्कृत दिवस जैसे कार्यक्रमों का भी आयोजन भी करते हैं ।"

 

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