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गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति मुर्मू का राष्ट्र के नाम संदेश, कहा- महिला और पुरुष के बीच समानता अब केवल नारे नहीं रह गए हैं

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्‍या पर यानी बुधवार को आजादी के बाद देश की...
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति मुर्मू का राष्ट्र के नाम संदेश, कहा- महिला और पुरुष के बीच समानता अब केवल नारे नहीं रह गए हैं

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्‍या पर यानी बुधवार को आजादी के बाद देश की विकास यात्रा के बारे में विस्‍तार से चर्चा की। राष्‍ट्र के नाम अपने संबोधन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि संविधान के लागू होने से लेकर आज तक हमारी यात्रा अद्भुत रही है। इससे कई अन्य देशों को प्रेरणा मिली है। प्रत्येक नागरिक को भारत की गौरव-गाथा पर गर्व का अनुभव होता है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बाबासाहेब आंबेडकर और अन्य विभूतियों द्वारा प्रस्तुत भविष्य के मानचित्र का जिक्र करते हुए कहा कि हम काफी हद तक उनकी उम्मीदों पर खरे उतरे भी हैं, लेकिन यह भी महसूस करते हैं कि गांधीजी के सर्वोदय के आदर्शों को प्राप्त करना, सभी का उत्थान किया जाना अभी बाकी है।

राष्ट्रपति मुर्मू ने देश के 74वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन में यह बात कही। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत विश्व की सबसे पुरानी और जीवंत सभ्यताओं में से एक है तथा उसे लोकतंत्र की जननी कहा जाता है, फिर भी हमारा आधुनिक गणतंत्र युवा है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि मैं उन बहादुर जवानों की विशेष रूप से सराहना करती हूं जो सीमाओं की रक्षा करते हैं और किसी भी त्याग तथा बलिदान के लिए सदैव तैयार रहते हैं। देशवासियों को आंतरिक सुरक्षा प्रदान करने वाले अर्ध-सैनिक बलों तथा पुलिस-बलों के बहादुर जवानों की मैं सराहना करती हूं।

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि मैं किसानों, मजदूरों, वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की भूमिकाओं की सराहना करती हूं जिनकी सामूहिक शक्ति हमारे देश को "जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान" की भावना के अनुरूप आगे बढ़ने में सक्षम बनाती है।

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या राष्ट्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि इस वर्ष भारत जी20 देशों के समूह की अध्यक्षता कर रहा है। विश्व-बंधुत्व के अपने आदर्श के अनुरूप, हम सभी की शांति और समृद्धि के पक्षधर हैं। जी20 की अध्यक्षता बेहतर विश्व के निर्माण में योगदान हेतु भारत को अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान करती है।

राष्ट्रपति ने कहा कि महिला सशक्तीकरण तथा महिला और पुरुष के बीच समानता अब केवल नारे नहीं रह गए हैं। मेरे मन में कोई संदेह नहीं है कि महिलाएं ही आने वाले कल के भारत को स्वरूप देने के लिए अधिकतम योगदान देंगी।

उन्होंने कहा कि पिछले साल भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया।यह उपलब्धि, आर्थिक अनिश्चितता से भरी वैश्विक पृष्ठभूमि में प्राप्त की गई। सक्षम नेतृत्व और प्रभावी संघर्षशीलता के बल पर हम शीघ्र ही मंदी से बाहर आ गए और अपनी विकास यात्रा को फिर से शुरू किया।

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि हम सब एक ही हैं, और हम सभी भारतीय हैं। इतने सारे पंथों और इतनी सारी भाषाओं ने हमें विभाजित नहीं किया है बल्कि हमें जोड़ा है। इसलिए हम एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में सफल हुए हैं। यही भारत का सार-तत्व है।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत एक गरीब और निरक्षर राष्ट्र की स्थिति से आगे बढ़ते हुए विश्व-मंच पर एक आत्मविश्वास से भरे राष्ट्र का स्थान ले चुका है। संविधान-निर्माताओं की सामूहिक बुद्धिमत्ता से मिले मार्गदर्शन के बिना यह प्रगति संभव नहीं थी।

 

स्वतंत्रता के प्रारंभिक वर्षों की चुनौतियों का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि बाबासाहेब आंबेडकर और अन्य विभूतियों ने हमें एक मानचित्र तथा एक नैतिक आधार प्रदान किया और उस राह पर चलने की जिम्मेदारी हम सब की है। उन्होंने कहा, ‘‘ हम काफी हद तक उनकी उम्मीदों पर खरे उतरे भी हैं लेकिन हम यह महसूस करते हैं कि गांधीजी के सर्वोदय के आदर्शों को प्राप्त करना अर्थात सभी का उत्थान किया जाना अभी बाकी है।’’

 

राष्ट्रपति ने कहा कि हमने सभी क्षेत्रों में उत्साहवर्धक प्रगति हासिल की है तथा सर्वोदय के मिशन में आर्थिक मंच पर भी प्रगति सबसे अधिक उत्साहजनक रही है। उन्होंने कहा कि पिछले साल भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया तथा यह उल्लेख करना जरूरी है कि यह उपलब्धि आर्थिक अनिश्चितता से भरी वैश्विक पृष्ठभूमि में प्राप्त की गई है।

 

कोविड-19 के वैश्विक प्रभावों के संदर्भ में उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी चौथे वर्ष में प्रवेश कर चुकी है और दुनिया के अधिकांश हिस्सों में आर्थिक विकास पर इसका प्रभाव पड़ रहा है।

 

राष्ट्रपति ने कहा कि शुरुआती दौर में कोविड-19 से भारत की अर्थव्यवस्था को काफी क्षति पहुंची, फिर भी सक्षम नेतृत्व और प्रभावशीलता के बल पर हम इससे बाहर आ गए और अपनी विकास यात्रा को फिर से शुरू किया।

 

मुर्मू ने कहा, ‘‘अर्थव्यवस्था के अधिकांश क्षेत्र अब हमारी महामारी के प्रभाव से बाहर आ गए हैं। भारत तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक है । यह सरकार द्वारा समय पर किए गए प्रयासों द्वारा ही संभव हो पाया है।’’

 

उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में आत्मनिर्भर भारत अभियान के प्रति जन सामान्य के बीच विशेष उत्साह देखा जा रहा है।

 

सरकार की कल्याण योजनाओं का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि कई क्षेत्रों में विशेष प्रोत्साहन योजनाएं लागू की गई हैं और यह संतोष की बात है कि जो लोग हाशिए पर रह गए थे, उनका भी योजनाओं और कार्यक्रमों में समावेश किया गया है तथा कठिनाई में उनकी मदद की गई है।

 

उन्होंने कहा कि मार्च 2020 में घोषित प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना पर अमल करते हुए सरकार ने उस समय गरीब परिवारों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की, जब हमारे देशवासी कोविड-19 की महामारी के कारण अकस्मात उत्पन्न हुए आर्थिक विरोध का सामना कर रहे थे।

 

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजनाओं का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि इस सहायता की वजह से किसी को खाली पेट नहीं सोना पड़ा तथा गरीब परिवारों के हित को सर्वोपरि रखते हुए इस योजना की अवधि को बार बार बढ़ाया गया तथा लगभग 81 करोड़ देशवासी लाभान्वित होते रहे।

 

उन्होंने कहा कि इस सहायता को आगे बढ़ाते हुए सरकार ने घोषणा की है कि वर्ष 2023 के दौरान सभी लाभार्थियों को उनका मासिक राशन मिलेगा। इस ऐतिहासिक कदम से सरकार ने कमजोर वर्गों के आर्थिक विकास के साथ उनकी देखभाल की जिम्मेदारी ली है।

 

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हमारी अर्थव्यवस्था का आधार सुदृढ़ होने के कारण ही हम उपयोगी प्रयासों को शुरू करने और उन्हें आगे बढ़ाने में सक्षम हो सके हैं। हमारा अंतिम लक्ष्य ऐसा वातावरण बनाना है जिससे सभी नागरिक व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से अपनी वास्तविक क्षमताओं का उपयोग करें एवं उनका जीवन फले फूले।’’

 

मुर्मू ने कहा कि गणतंत्र का एक और वर्ष बीत चुका है तथा एक नया वर्ष शुरू हो रहा है..यह अभूतपूर्व परिवर्तन का दौर रहा है महामारी के प्रकोप से दुनिया कुछ ही दिनों में बदल गई थी। उन्होंने कहा कि पिछले 3 वर्षों के दौरान जब भी हमें लगा कि हमने वायरस पर काबू पा लिया है तो वायरस फिर किसी विकृत रूप में वापस आ गया।

 

उन्होंने कहा कि लेकिन अब इससे घबराने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि हमने यह समझ लिया है कि हमारा नेतृत्व कर रहे हमारे वैज्ञानिक और डॉक्टर, हमारे प्रशासक और कोरोना योद्धा.. वायरस से उत्पन्न किसी भी स्थिति से निपटने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। राष्ट्रपति ने कहा कि हमने यह भी सीखा है कि हम अपनी सुरक्षा में कभी कमी नहीं आने देंगे तथा सतर्क रहेंगे।

 

मुर्मू ने कहा कि विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए हमें प्राचीन परंपराओं को नई दृष्टि से देखना होगा हमें अपनी मूलभूत प्राथमिकताओं पर भी पुनर्विचार करना होगा परंपरागत जीवन मूल्यों के वैज्ञानिक आयामों को समझना होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि हमें एक बार फिर प्रकृति के प्रति सम्मान का भाव और अनंत ब्रह्मांड के सम्मुख विनम्रता का भाव जागृत करना होगा।

 

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