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राम मंदिर ट्रस्ट के गठन की घोषणा, मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन 29 किमी दूर दी गई

अयोध्या में राम मंदिर बनाने के मामले पर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के...
राम मंदिर ट्रस्ट के गठन की घोषणा, मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन 29 किमी दूर दी गई

अयोध्या में राम मंदिर बनाने के मामले पर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक मोदी कैबिनेट ने बुधवार को राम मंदिर ट्रस्ट बनाने को मंजूरी दे दी है। लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर ट्रस्ट बनाने की जानकारी दी है। इस ट्रस्ट का नाम ‘श्री राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र’ रखा गया है। इस बीच, उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को अयोध्या जिले में पांच एकड़ जमीन आवंटित कर दी है जो राम जन्म भूमि से 29 किलोमीटर दूर है।

पीएम ने कहा कि राम मंदिर के लिए वृहद योजना बनाई गई है। इसके बाद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए सरकार द्वारा स्थापित ट्रस्ट ‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र’ में 15 सदस्य होंगे, जिसमें एक दलित समुदाय के होंगे सदस्य भी शामिल होंगे। वहीं, केंद्र सरकार के मुताबिक  ट्रस्ट का कार्यालय R-20, ग्रेटर कैलाश पार्ट -1, नई दिल्ली 110048 में होगा।

ट्रस्ट में 15 सदस्य में से एक दलित

अमित शाह ने ट्वीट करते हुए कहा, "श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट में 15 सदस्य होंगे, जिनमें से एक सदस्य हमेशा दलित समाज से होगा।” गृह मंत्री ने पीएम बधाई देते हुए कहा कि यह अभूतपूर्व निर्णय सामाजिक सद्भाव को मजबूत करता है।

कैबिनेट ने तैयार की विस्तृत योजना

पीएम ने कहा, “मुझे यह घोषणा करते हुए प्रसन्नता हो रही है कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, कैबिनेट ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए एक विस्तृत योजना तैयार की है। कोर्ट के निर्देशानुसार ‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र’ के लिए एक प्रस्ताव कैबिनेट ने पारित किया है।

मस्जिद की जमीन अयोध्या के धनीपुर में

 

केंद्र सरकार ने मंदिर निर्माण की दिशा में कदम उठाया है तो उत्तर प्रदेश ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के दूसरे हिस्से पर अमल शुरू कर दिया। इसकी जानकारी राज्य सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने दी है। यह जमीन सोहावाल तहसील के धनीपुर गांव में दी गई है जो राम जन्म भूमि से करीब 29 किलोमीटर दूर है। श्रीकांत शर्मा ने कहा कि मस्जिद के लिए आवंटित की गई पांच एकड़ जमीन जिला मुख्यालय से करीब 18 किलोमीटर दूर है। 

कोर्ट ने दिया था ऐतिहासिक फैसला

गौरतलब है कि पिछले साल 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने वर्षों से चल रहे इस मामले पर एतिहासिक फैसला सुनाया था। कोर्ट ने विवादित भूमि को मंदिर के पक्ष में देने का फैसला सुनाया था, जबकि दूसरे पक्ष को अयोध्या के बाहरी क्षेत्र में 5 एकड़ जमीन देने की बात कही थी।

पांच सदी पुराना है मामला

अयोध्या मंदिर विवाद पांच सदी से चला आ रहा है। ऐसा माना जाता है कि मुगल बादशाह बाबर ने मंदिर को ध्वस्त करवाकर मीर बांकी की अगुवाई में मस्जिद का निर्माण करवाया था और यह विवाद आजादी के बाद से बीते साल सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए ऐतिहासिक फैसले तक बना रहा। 25 सितंबर 1990 को भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली थी ताकि एक समुदाय को इस महत्वपूर्ण मु्द्दे से अवगत कराया जा सके। हजारों कार सेवक अयोध्या में जमा हुए। जिसके बाद 23 अक्टूबर को बिहार में लालू यादव ने आडवाणी की रथ यात्रा रुकवा कर उन्हें गिरफ्तार करवा दिया था।  उसके बाद 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद ढ़ाह दिया गया जिसके बाद देश में दंगे शुरू हो गए। इस दंगे में करीब 2000 लोगों के मारे गए थे।

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