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पैराडाइज पेपर्स से सनसनी, भाजपा के दो सासंद-मंत्री समेत 714 भारतीयों के नाम भी शामिल

पनामा पेपर्स के करीब 18 महीने बाद पैराडाइज पेपर्स से काले धन पर सनसनीखेज खुलासा हुआ है। 'पैराडाइज...
पैराडाइज पेपर्स से सनसनी, भाजपा के दो सासंद-मंत्री समेत 714 भारतीयों के नाम भी शामिल

पनामा पेपर्स के करीब 18 महीने बाद पैराडाइज पेपर्स से काले धन पर सनसनीखेज खुलासा हुआ है। 'पैराडाइज पेपर्स' में 1.34 करोड़ दस्तावेज शामिल हैं। इसमें दुनिया के कई अमीर और शक्तिशाली लोगों के गोपनीय निवेश की जानकारी है। जिन लोगों के नाम का जिक्र है उनमें 714 भारतीय हैं, इनमें से एक जयंत सिन्हा फिलहाल केंद्र में विमानन राज्य मंत्री हैं।

जर्मन अखबार ‘जीटॉयचे साइटुंग’ ने ये खुलासे किए हैं। इसी अखबार ने पनामा पेपर्स का खुलासा किया था। जर्मन अखबार ने टैक्स हेवेन के नाम से जाने जाने वाले 19 देशों से ये दस्तावेज हासिल किए। इंटरनेशनल कॉन्सोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट (आइसीआइजे) ने 90 मीडिया संस्थानों के साथ मिलकर इन दस्तावेजों की जांच की है। ये खुलासे ऐसे समय में हुए हैं जब सरकार और सत्‍ता दल में, दो दिन बाद (आठ नवंबर) नोटबंदी की पहली सालगिरह ‘एंटी ब्लैक मनी डे’ के तौर पर मनाने की तैयारी चल रही है।

इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताब‌िक ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कई मंत्रियों, कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रू़डो के मुख्य फंडरेजर के नाम भी इन दस्तावेजों में हैं। भाजपा के राज्यसभा सांसद और कारोबारी आरके सिन्हा, सदी के महानायक अमिताभ बच्चन, केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन, जिक्वेस्टा हेल्थकेयर ( पहले सचिन पायलट और कार्ति चिदंबरम की स्वामित्व वाली), वाइएसआर कांग्रेस चीफ जगन मोहन रेड्डी, सन टीवी, एस्सार, एसएनसी लवलीन, विजय माल्या, राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत, कांग्रेस नेता सचिन पायलट, मीडिया लॉबिस्ट नीरा राडिया के नाम भी हैं। अभिनेता संजय दत्त की पत्नी मान्यता दत्त के पुराने नाम दिलनशीं का भी जिक्र है। 

जयंत सिन्हा का नाम राजनीति में आने से पहले ओमिड्यार नेटवर्क में साझीदारी को लेकर सामने आया है। सांसद आरके सिन्हा की कंपनी एसआइएस सिक्यॉरिटीज का नाम  सामने आया है। अमिताभ बच्चन के बरमूडा की एक कंपनी में शेयर्स होने का भी खुलासा हुआ है।  रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन लोगों ने विदेशी फर्मों और फर्जी कंपनियों की सहायता से अपने धन को ठिकाने लगाए। गुपचुप तरीके से टैक्स हैवेन्स में निवेश किया और कर की चोरी की। इन दस्तावेजों से हितों का टकराव भी उजागर हुआ है। 

"The documents speak for themselves." - ICIJ's director Gerard Ryle on our upcoming project. Sign up: https://t.co/NLua7AyzpH #PanamaPapers pic.twitter.com/T5PBDaqhFy

— ICIJ (@ICIJorg) 5 November 2017

जिन दस्तावेजों की छानबीन की गई है, उनमें से ज्यादातर बरमूडा की लॉ फर्म ऐपलबाय के हैं। 119 साल पुरानी यह कंपनी वकीलों, अकाउंटेंट्स, बैंकर्स और अन्य लोगों के नेटवर्क की एक सदस्य है। इस नेटवर्क में वे लोग भी शामिल हैं जो अपने क्लाइंट्स के लिए विदेशों में कंपनियां सेट अप करते हैं और उनके बैंक अकाउंट्स को मैनेज करते हैं। खास बात यह है कि ऐपलबाय की दूसरी सबसे बड़ी क्लाइंट एक भारतीय कंपनी है, जिसकी दुनियाभर में करीब 118 सहयोगी कंपनियां हैं। ऐपलबाय के भारतीय क्लाइंट्स में कुछ ऐसे कॉरपोरेट हाउस और कंपनियां हैं जो अक्सर सीबीआइ और ईडी जांच के दायरे में आती रही हैं। 

जयंत सिन्हा की सफाई

पैराडाइज पेपर्स के खुलासे पर जयंत सिन्हा ने कहा है कि राजनीति में आने से पहले उन्होंने ओमिड्यार नेटवर्क से इस्तीफा दे दिया था और कोई भी निजी ट्रांजेक्‍शन इसके जरिए नहीं की। उन्होंने बताया कि वे सितंबर 2009 में ओमिड्यार नेटवर्क से प्रबंध निदेशक के तौर पर जुड़े थे। वे कंपनी के भारत से जुड़े मामलों को देखते थे। दिसंबर 2013 में इस्तीफा देकर वे राजनीति में आए। सिन्हा ने कहा है कि 2010 में ओमिड्यार नेटवर्क का अमेरिकी कंपनी डी लाइट डिजाइन में निवेश की प्रक्रिया को उन्होंने शुरू किया था और उसके बाद नवंबर 2014 तक वह इस अमेरिकी कंपनी के बोर्ड में ओमिड्यार नेटवर्क की ओर से शामिल रहे। डी लाइट में वह दिसंबर 2013 तक ओमिद्यार नेटवर्क की तरफ से शामिल रहे। जनवरी 2014 से नवंबर 2014 तक वह डि लाइट के स्वतंत्र निदेशक रहे। सिन्हा ने कहा कि 2014 में केंद्रीय कैबिनेट  में शामिल होने से पहले उन्होंने इस्तीफा दे दिया और अब वह किसी तरह से कंपनी के कामकाज से नहीं जुड़े हैं। उन्होंने कहा, ‘चुनावी हलफनामे, लोकसभा और प्रधान मंत्री कार्यालय को मैंने अपनी समस्त हिस्सेदारी की जानकारी दे रखी है।‘

 मौनव्रत पर भाजपा सांसद

भाजपा सांसद आरके सिन्हा पैराडाइज पेपर्स खुलासे पर पत्रकारों के सवालों का जवाब देने से बचते दिखे। सोमवार को जब पत्रकारों ने उनसे इस बाबत सवाल पूछा तो वह चुप्पी साध गए। पहले तो उन्होंने सिर हिलाकर जवाब देने से मना कर दिया। इसके बाद पत्रकारों से एक पेन लेकर एक कागज पर लिखा, '7 दिन के भागवत महायज्ञ में मौन व्रत है।' 

 

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