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जेएनयू हिंसा पर विपक्ष ने मोदी सरकार को घेरा, विश्वविद्यालय ने एचआरडी को विस्तृत रिपोर्ट सौंपी

देश की राजधानी दिल्ली में स्थित जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में रविवार को हुए नकाबपोश भीड़ के...
जेएनयू हिंसा पर विपक्ष ने मोदी सरकार को घेरा, विश्वविद्यालय ने एचआरडी को विस्तृत रिपोर्ट सौंपी

देश की राजधानी दिल्ली में स्थित जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में रविवार को हुए नकाबपोश भीड़ के हमले और हिंसा को लेकर विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली पुलिस के आयुक्त अमूल्य पटनायक से बात की हिंसा की पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी से जांच कराने के आदेश दिए। वहीं दिल्ली पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। दूसरी ओर देश के देश के कई शैक्षणिक संस्थानों के छात्रों ने इस घटना की निंदा की है और वे प्रदर्शन भी कर रहे हैं। जेएनयू छात्र संघ ने दावा किया कि एबीवीपी के सदस्य नकाब पहनकर परिसर में लाठियां, रॉड लेकर घूम रहे थे। जबकि एबीवीपी ने दावा किया कि वामपंथी छात्र संगठनों एसएफआई, आईसा और डीएसएफ के सदस्यों ने उन पर बुरी तरह हमला किया। हमले में 34 से अधिक छात्रों के घायल होने की खबर है।

दिल्ली पुलिस ने जेएनयू  हिंसा की जांच शुरू कर दी है। दिल्ली पुलिस के डीसीपी यूनिवर्सिटी कैंपस में गए हैं, वहीं मेन गेट पर ताला लगा दिया गया है। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जेएनयू में स्थिति पर दिल्ली पुलिस के आयुक्त अमूल्य पटनायक से बात की और रविवार रात परिसर में हुई हिंसा की पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी से जांच कराने के आदेश दिए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। गृह मंत्री के कार्यालय ने ट्वीट किया, “केंद्रीय गृह मंत्री ने जेएनयू हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस आयुक्त से बात की और उन्हें जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए।” ट्वीट में कहा गया, “मंत्री ने संयुक्त पुलिस आयुक्त स्तर के किसी अधिकारी से इसकी जांच कराने और जल्द से जल्द रिपोर्ट देने को कहा है।” गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस से जेएनयू में मौजूदा स्थिति और शांति बहाल करने के लिए उठाए गए कदमों पर रिपोर्ट मांगी है। एक अधिकारी ने कहा, “गृह मंत्री ने दिल्ली पुलिस आयुक्त से बात की और जेएनयू में हिंसा के बारे में पूछा।”  समझा जाता है कि शाह ने पुलिस आयुक्त को जेएनयू में शांति सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव कदम उठाने का निर्देश भी दिया है।

विश्वविद्यालय ने एचआरडी को विस्तृत रिपोर्ट सौंपी

जेएनयू के कुलपति एम. जगदीश कुमार ने ‘से कहा, ‘‘ पूरे घटनाक्रम की विस्तृत रिपोर्ट एचआरडी मंत्रालय को भेज दी गई है। मौजूदा स्थिति की विस्तृत जानकारी देने के लिए प्रशासन के शीर्ष अधिकारी मंत्रालय में मौजूद हैं।’’ केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने जेएनयू छात्रों से विश्वविद्यालय की गरिमा बनाए रखने और परिसर में शांति बनाए रखने का आग्रह किया है।

मामला दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा के हवाले, उपराज्यपाल ने की बैठक

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) हिंसा मामले की जांच को दिल्ली पुलिस ने अपनी अपराध शाखा को सौंप दिया है। वहीं विश्वविद्यालय के शीर्ष अधिकारियों ने उपराज्यपाल अनिल बैजल से मुलाकात की और उन्हें परिसर की मौजूदा स्थिति के बारे में बताया। जेएनयू परिसर में रविवार को हुई हिंसा के बाद यह कदम उठाया गया है। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि जेएनयू मामले को दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा के हवाले कर दिया गया है।

दिल्ली पुलिस ने दर्ज किया मामला, एम्स से 34 छात्र डिस्चार्ज

दिल्ली पुलिस ने हिंसा मामले में पहली एफआईआर दर्ज कर ली है। जानकारी के अनुसार, इस मामले की जांच अब क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई है। पुलिस के मुताबिक, जो वीडियो सामने आए हैं उनमें कुछ की पहचान की जा रही है, जल्द ही उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिशें भी की जा रही हैं। अभी तक कुल 34 लोग घायल हैं उन्हें एम्स से रिलीज किया जा चुका है।

जेएनयू  वाइस चांसलर ने की शांति की अपील

जेएनयू  के वाइस चांसलर एम. जगदीश कुमार ने छात्रों से शांति की अपील की है। यूनिवर्सिटी की ओर से सभी छात्रों को पढ़ाई करने के अवसर दिए जाएंगे, हम छात्रों को विश्वास दिलाते हैं कि रजिस्ट्रेशन नहीं रुकेगा। छात्रों को किसी तरह से डरने की जरूरत नहीं है।

योगेंद्र यादव से धक्कामुक्की

स्वराज अभियान के प्रमुख योगेंद्र यादव पर जेएनयू परिसर के बाहर रविवार को धक्कामुक्की की गई। यादव ने कहा कि वहां गुंडागर्दी को रोकने के लिए कोई नहीं था और उन्हें मीडिया से बात नहीं करने दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मी वहां खड़े थे लेकिन कुछ नहीं कर रहे थे। उन्होंने कहा, 'यदि पुलिस डरी हुई है तो वह अपनी वर्दी उतार सकती है।'

आज कैसी है स्थिति?

इस बीच, सोमवार सुबह जेएनयू के बाहर स्थिति तनावपूर्ण लेकिन शांतिपूर्ण रही क्योंकि विश्वविद्यालय के गार्डों ने गेट पर कड़ी चौकसी बनाए रखी, विश्वविद्यालय में प्रवेश करने वाले सभी लोगों के आई-कार्ड की जांच की।

विपक्ष ने सरकार को घेरा

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हिंसा पर निराशा जाहिर की और कहा कि यह उस डर को दिखाती है जो 'हमारे देश को नियंत्रित कर रही फासीवादी ताकतों को' छात्रों से लगता है। उन्होंने ट्वीट किया, 'नकाबपोश लोगों द्वारा जेएनयू छात्रों और शिक्षकों पर किया गया नृशंस हमला चौंकाने वाला है, जिसमें कई गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। हमारे देश को नियंत्रित कर रही फासीवादी ताकतें, बहादुर विद्यार्थियों की आवाज से डरती हैं। जेएनयू में आज हुई हिंसा उस डर को दर्शाती है।'

विपक्षी कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा घायल छात्रों को देखने एम्स पहुंची और घटना की निंदा की। उन्होंने कहा, 'घायल छात्रों ने एम्स के ट्रॉमा सेंटर में बताया कि कैंपस में गुंडे घुस आए और उन्होंने डंडों तथा अन्य हथियारों से हमला कर दिया। कई लोगों के पैर टूट गए हैं और कई के सिर पर चोट लगी है। एक छात्र ने कहा कि पुलिस ने उसके सिर पर कई बार लात मारी।'

कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, 'जेएनयू में छात्रों से मारपीट की गई। टीचर्स को पीटा गया। गुंडों ने महिला हॉस्टल में तोड़फोड़ की। पुलिस कहीं नहीं है। जेएनयू प्रशासन नहीं है। क्या इस तरह मोदी सरकार छात्रों और युवाओं से बदला लेना चाहती है?'

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने केंद्र सरकार पर हमलावरों को समर्थन देने का आरोप लगाया। उन्होंने ट्वीट किया, 'अगर यह लाइव टीवी में हो रहा है तो यह सिर्फ सरकार के समर्थन से हो सकता है।'

बसपा प्रमुख मायावती ने सोमवार सुबह ट्वीट कर इस घटना की निंदा की, साथ ही लिखा कि इस घटना की न्यायिक जांच होनी चाहिए। मायावती के अलावा कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने भी इस घटना का आरोप एबीवीपी  पर लगाया। माकपा नेता सीताराम येचुरी ने हिंसा के लिए जेएनयू प्रशासन और एबीवीपी को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने इसे हिंदुत्व के एजेंडे का विरोध करने वाले छात्रों पर नियोजित हमला करार दिया।

दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने ट्वीट किया, 'मैं जेएनयू में हुई हिंसा की खबर से हैरान हूं। स्टूडेंट्स पर बुरी तरह से हमला किया गया। पुलिस को तत्काल हिंसा रोकनी चाहिए और शांति बहाल करनी चाहिए। देश किस तरह प्रगति करेगा जब स्टूडेंट्स यूनिवर्सिटी के अंदर ही सुरक्षित नहीं हैं।'

भाजपा ने क्या कहा?

भाजपा ने भी घटना की निंदा की है। पार्टी ने कहा है कि अराजत तत्वों की यह कोशिश है। पार्टी ने मामले पर ट्वीट करते हुए कहा है कि अराजक शक्तियां छात्रों का इस्तेमाल कर अशांति फैलाकर अपने गिरते राजनीतिक हैसियत को बचाना चाहती है। पार्टी ने कहा कि विश्वविद्यालय सिर्फ सीखने और शिक्षा पाने का केंद्र बना रहना चाहिए।  भाजपा नेता और जेएनयू के छात्र रहे विदेश मंत्री एस जयशंकर और वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने हिंसा की निंदा की है। सीतारमण ने इसे डरावना बताया और कहा कि मोदी सरकार सभी विश्वविद्यालयों को छात्रों के लिए सुरक्षित स्थल बनाना चाहती है। वहीं, जयशंकर के साथ ही केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इसे विश्वविद्यालय की संस्कृति और परंपरा के खिलाफ बताया।

जेएनयूएसयू ने की वीसी के इस्तीफे मांग, हिंसा के लिए ठहराया जिम्मेदार

जेएनयू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) ने कुलपति ममिडला जगदीश कुमार से इस्तीफा देने की मांग की है। जेएनयूएसयू के एक बयान में कहा गया है, "यह कुलपति एक कायर कुलपति है जो पिछले दरवाजे के माध्यम से अवैध नीतियों का परिचय देता है, छात्रों या शिक्षकों के सवालों से दूर भागता है और फिर जेएनयू को निष्क्रिय करने के लिए स्थिति बनाता है।"

कई शिक्षण संस्थानों ने किया विरोध

जेएनयू में हुए मारपीट की घटना के विरोध में देश के अलग अलग हिस्सों में प्रदर्शन भी शुरू हो गए। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में छात्रों ने इसका विरोध किया। इसके साथ ही देर रात मुंबई के गेट ऑप इंडिया पर भी लोगों ने इसका विरोध किया। कोलकाता की जाधवपुर यूनिवर्सिटी और पुणे के एफटीआईआई में भी छात्रों ने जेएनयू में हुई हिंसा का विरोध किया।

नकाबपोशों ने किया था हमला

रॉड और डंडों से लैस नकाबपोश लोगों द्वारा छात्रों एवं शिक्षकों पर हमला करने और परिसर में संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के बाद रविवार रात जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में हिंसा भड़क उठी थी। इसके बाद प्रशासन को परिसर में पुलिस बुलानी पड़ी। इस घटना में कम से कम 34 लोग घायल हो गए और उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था।

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