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आईएनएस विक्रमादित्य पर लगी आग बुझाने की कोशिश में नौसेना अफसर शहीद

कर्नाटक के कारवार के पास देश के सबसे बड़े विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य में  शुक्रवार को आग लग...
आईएनएस विक्रमादित्य पर लगी आग बुझाने की कोशिश में नौसेना अफसर शहीद

कर्नाटक के कारवार के पास देश के सबसे बड़े विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य में  शुक्रवार को आग लग गई। इसे बुझाने की कोशिश में नौसेना के एक अफसर शहीद हो गए। आग उस समय लगी जब यह पोत कारवार बंदरगाह पहुंच रहा था।

नेवी के मुताबिक, लेफ्टिनेंट कमांडर डीएस चौहान ने बहादुरी से प्रभावित कम्पार्टमेंट में आग पर नियंत्रण पाने की कोशिश की। इसी दौरान वे धुएं के चलते वह बेहोश हो गए जिसके बाद डीएस चौहान को करवार में नेवी अस्पताल ले जाया गया। लेकिन उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। नेवी के अनुसार, युद्धपोत को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। आग पर नियंत्रण पा लिया गया। जांच के आदेश भी दे दिए गए हैं।

2016 में भी हुआ था हादसा

इससे पहले साल 2016 में भी आईएनएस विक्रमादित्य पर दुर्घटना हो चुकी है। तब जहरीली गैस लीक होने से नौसेना के दो कर्मियों की जान चली गई थी।

क्या है आईएनएस की खासियत

आईएनएस विक्रमादित्य अपडेट किया गया कीव क्लास का एयरक्राफ्ट कैरियर है, जो भारतीय नौसेना में 2013 में सर्विस में आया। रूस के युद्धपोत एडमिरल गोर्शकोव को ही नौसेना ने आईएनएस विक्रमादित्य नाम दिया गया है। उज्जैन के महान सम्राट विक्रमादित्य के सम्मान में इसका फिर से नामकरण किया गया। इससे पहले 1987 में यह तत्कालीन सोवियत नेवी में शामिल हुआ था।

आईएनएस विक्रमादित्य लगातार 45 दिन समुद्र में रह सकता है। इसकी हवाई पट्टी 284 मीटर लंबी और अधिकतम 60 मीटर चौड़ी है। इस विमानवाहक पोत का आकार तीन फुटबॉल मैदान के बराबर है। 15 हजार करोड़ रुपए की लागत से बने विक्रमादित्य पर 30 लड़ाकू विमान, टोही हेलिकॉप्टर तैनात किए जा सकते हैं। विक्रमादित्य पर कुल 22 डेक हैं। एक बार में 1600 से अधिक जवान इस पर तैनात किए जा सकते हैं। इस पर लगे जनरेटर से 18 मेगावाट बिजली मिलती है। इसमें समुद्री पानी को स्वच्छ कर पीने योग्य बनाने वाला ऑस्मोसिस प्लांट भी लगा है।

 

 

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