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पीएम मोदी की बायोपिक पर रोक के आदेश का ‘नमो टीवी’ से संबंध नहीं: चुनाव आयोग

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बायोपिक पर रोक के बाद नमो टीवी पर भी रोक की खबरें आ रही थीं। इसे लेकर...
पीएम मोदी की बायोपिक पर रोक के आदेश का ‘नमो टीवी’ से संबंध नहीं: चुनाव आयोग

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बायोपिक पर रोक के बाद नमो टीवी पर भी रोक की खबरें आ रही थीं। इसे लेकर चुनाव आयोग के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर आधारित फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने वाले आयोग के आदेश का नमो टीवी से कोई लेना-देना नहीं है।

बुधवार को चुनाव आयोग के अधिकारियों ने कहा था कि कहा था कि फिल्म पर दिया गया आदेश नमो टीवी पर भी लागू होगा जिसके प्रसारण को चुनाव के दौरान अनुमति नहीं दी जा सकती। अधिकारियों ने कहा था कि फिल्म पर आयोग का फैसला चैनल पर भी लागू होता है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अब अधिकारियों ने कहा कि बायोपिक पर दिए गए आदेश को उन्होंने “गलत समझ” लिया और इसका नमो टीवी से कोई संबंध नहीं है।

अधिकारियों का कहना है कि दिल्ली के मुख्य चुनाव अधिकारी से नमो टीवी पर राजनीतिक विज्ञापन के पूर्व प्रमाणन के संबंध में कुछ स्पष्टीकरण मांगा गया था। इस स्पष्टीकरण पर चुनाव आयोग अब गौर कर रहा है।

अधिकारियों ने पहले क्या कहा था

अधिकारियों ने उस वक्त आदेश के एक पैराग्राफ का संदर्भ देते हुए कहा था, ‘‘पहले से प्रमाणित किसी भी प्रचार सामग्री से जुड़े पोस्टर या प्रचार का कोई भी माध्यम, जो किसी उम्मीदवार के बारे में चुनावी आयाम का प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से चित्रण करता हो, चुनाव आचार संहिता के दौरान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा।’’    

मोदी की बायोपिक पर रोक

आयोग ने मोदी की बायोपिक के प्रदर्शन को यह कहते हुए रोक दिया कि किसी भी राजनीतिक दल या राजनेता के चुनावी हितों को साधने के मकसद को पूरा करने वाली किसी फिल्म को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रदर्शित नहीं किया जा सकता है।

शुरू से विवादित रहा 'नमो टीवी'

31 मार्च को नमो टीवी देश की कुछ DTH सर्विस पर लॉन्च हुआ था, जिस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण, भारतीय जनता पार्टी का चुनावी प्रचार, मोदी सरकार की योजनाओं का बखान किया जा रहा है। इसको लेकर कांग्रेस और कई विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी।

चुनाव आयोग ने मांगा था जवाब

चुनाव आयोग ने नमो टीवी को लेकर सख्ती दिखाते हुए और भारतीय जनता पार्टी से जवाब मांगा था। इतना ही नहीं नमो टीवी को चुनाव आयोग ने एक राजनीतिक विज्ञापन की श्रेणी में रखा था। सूचना प्रसारण मंत्रालय ने चुनाव आयोग को दिए अपने जवाब ने कहा था कि यह कोई चैनल नहीं है इसलिए इसे किसी तरह की परमिशन की जरूरत नहीं है।

आयोग इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी से सवाल भी करेगा और इस पर होने वाले पूरे खर्च की जानकारी सालाना ऑडिट रिपोर्ट में शामिल करनी होगी। हालांकि, भाजपा पहले ही ये मान चुकी है कि उसने इस चैनल पर होने वाले खर्च का ब्योरा ऑडिट रिपोर्ट में दिया है।

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