प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन के अवसर पर गुजरात के मेहसाणा जिले के वडनगर निवासी और उनके बचपन के दोस्त दशरथभाई पटेल ने बताया कि मोदी ने 2001 में मुख्यमंत्री पद संभालने से तीन दशक से भी पहले 1969 में ही गुजरात के मुख्यमंत्री बनने का सपना देखा था।
प्रधानमंत्री की साधारण पृष्ठभूमि का जिक्र करते हुए, पटेल ने बताया कि कैसे मोदी स्कूल में रहते हुए वडनगर रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को चाय बेचने के लिए एक डिब्बे से दूसरे डिब्बे में जाते थे, जहां उनके पिता की चाय की दुकान थी। लेकिन स्टोरी में ट्विस्ट तब आया, जब दशरथभाई ने एक मजेदार किस्सा शेयर किया- 'नरेंद्र ने एक बार वडनगर की शर्मिष्ठा झील से मगरमच्छ का बच्चा पकड़ लिया और घर ले आए। मां हीराबेन ने डांटकर उसे वापस झील में छुड़वाया।' ये नन्हा नरेंद्र का साहस ही था, जो आज देश को लीड कर रहा है।
एक इंटरव्यू में खुलासा किया- '1969 में, मैं और नरेंद्र वडनगर में ताना-रीरी (गुजरात की मशहूर गायिका बहनें) के पुराने, जर्जर स्मारक के पास से गुजर रहे थे। तभी नरेंद्र ने कहा, 'जब मैं मुख्यमंत्री बनूंगा, इस स्मारक का जीर्णोद्धार करवाऊंगा।' उस वक्त मोदी सिर्फ 19 साल के थे, लेकिन उनका सपना बड़ा था। और क्या? 2001 में सीएम बनते ही उन्होंने वादा निभाया - ताना-रीरी स्मारक को चमका दिया। दशरथभाई ने कहा, 'उसने अपने सपने को 32 साल तक जिया, और पूरा किया।' ये है वो डिसिप्लिन, जो पीएम को सबसे अलग बनाता है।
दशरथभाई ने पुराने दिन याद करते हुए कहा, 'हम प्राइमरी स्कूल से लेकर विसनगर कॉलेज तक साथ पढ़े। आरएसएस शाखाओं में साथ जाते थे। एक बार नरेंद्र और कुछ दोस्त मेरे खेत पर आए, और हमने सूरत का फेमस उंधियू खाया। स्कूल के नाटकों में भी वो स्टार थे!' ये वो दिन थे जब पीएम का सपना सिर्फ चाय बेचना नहीं, बल्कि देश को बदलना था।