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शरद पवार, अजीत पवार सहित 70 पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस, 25 हजार करोड़ के घोटाले का है मामला

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटाला मामले में राष्ट्रवादी...
शरद पवार, अजीत पवार सहित 70 पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस, 25 हजार करोड़ के घोटाले का है मामला

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटाला मामले में राष्ट्रवादी कांग्रेस(एनसीपी) प्रमुख शरद पवार, उनके भतीजे अजीत पवार और अन्य के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। यह मामला ऐसे समय दर्ज किया गया है जब राज्य में अगले महीने विधानसभा चुनाव होने हैं।

अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय एजेंसी द्वारा धन शोधन निरोधक अधिनियम के तहत पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर के तुल्य मानी जाने वाली प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज की गई है। यह मामला मुंबई पुलिस की एफआईआर के आधार पर दर्ज किया है जिसमें बैंक के पूर्व अध्यक्ष, महाराष्ट्र के पूर्व उप मुख्यमंत्री अजीत पवार और सहकारी बैंक के 70 पूर्व पदाधिकारियों का नाम है। ईडी के अधिकारियों ने बताया कि यह घोटाला करीब 25 हजार करोड़ का है।

बयान दर्ज करने के लिए जल्द भेजा जा सकता है समन

माना जा रहा है कि आरोपियों को एजेंसी की ओर से जल्द ही उनके बयान दर्ज करने के लिए समन भेजा जाएगा।

ये हैं आरोपी

ईडी के इस मामले में आरोपियों में दिलीपराव देशमुख, इशरलाल जैन, जयंत पाटिल, शिवाजी राव, आनंद राव अदसुल, राजेंद्र शिंगाने और मदन पाटिल शामिल हैं।

मुंबई पुलिस ने दर्ज की थी प्राथमिकी

राज्य की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की दर्ज शिकायत के आधार पर इस साल अगस्त में मुंबई पुलिस ने एक प्राथमिकी दर्ज की थी। एक कार्यकर्ता सुरिंदर अरोड़ा ने 2015 में ईओडब्ल्यू के साथ एक शिकायत दर्ज की थी और उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था जिसके बाद प्राथमिकी दर्ज की गई थी। मुंबई पुलिस की दर्ज प्राथमिकी के आधार पर ही ईडी ने मनी लांड्रिंग के आरोप में आपराधिक आरोप लगाए हैं। ईओडब्ल्यू से बांबे हाईकोर्ट ने मामला दर्ज करने को कहा था। इससे पहले न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति एसके शिंदे ने कहा था कि इस मामले में आरोपितों के खिलाफ 'विश्र्वसनीय साक्ष्य' हैं।

सरकारी खजाने को लगभग 25 हजार करोड़ रुपये का घाटा

पुलिस की ओर से दर्ज एफआइआर के अनुसार, एक जनवरी 2007 से 31 मार्च 2017 के बीच हुए महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटाले के कारण सरकारी खजाने को कथित तौर पर 25 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (NABARD) के साथ-साथ महाराष्ट्र सहकारी समितियों (MCS) अधिनियम के तहत एक अर्ध-न्यायिक जांच आयोग द्वारा दायर एक चार्जशीट के निरीक्षण ने अजीत पवार के "निर्णय, कार्य और नीलामी" को उत्तरदायी ठहराया था।  अजीत पवार ने 10 नवंबर, 2010 से 26 सितंबर, 2014 तक राज्य के उपमुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया था।

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