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जानें कौन है वो वकील जो रॉबर्ट वाड्रा के मामले की कर रहे हैं पैरवी

इन दिनों मनी लांड्रिंग के एक मामले में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा से...
जानें कौन है वो वकील जो रॉबर्ट वाड्रा के मामले की कर रहे हैं पैरवी

इन दिनों मनी लांड्रिंग के एक मामले में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तरफ से पूछताछ का सिलासिला जारी है। बताया जा रहा है कि मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला वाड्रा के करीबी सहयोगी मनोज अरोड़ा से जुड़ा हुआ है, जिसमें कोर्ट ने वाड्रा की गिरफ्तारी पर 16 फरवरी तक रोक लगा दी है। इस मामले में रॉबर्ट वाड्रा की ओर से कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य और सीनियर एडवोकेट केटीएस तुलसी पैरवी कर रहे हैं। जाने माने वकील केटीएस तुलसी ने इससे पहले कई मामलों की पैरवी की है। अब देखना ये होगा कि क्या तुलसी वाड्रा को इस केस में सफलता दिला पाएंगे।

केटीएस तुलसी ने इन बड़े मामलों में की है पैरवी

केटीएस तुलसी प्रतिष्ठित अधिवक्ता और कानून विशेषज्ञ हैं। वह सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल और राज्यसभा सांसद रह चुके हैं।  रॉबर्ट वाड्रा, देविंदर पाल सिंह भुल्लर और उपहार सिनेमा अग्निकाण्ड जैसे केस लड़ने वाले केटीएस तुलसी भी आसाराम को बेल नहीं दिला पाए।

रॉबर्ट वाड्रा मनी लॉन्ड्रिंग केस

2005 से ही विवादों में घिरें रॉबर्ट वाड्रा को मनी लॉन्ड्रिंग केस के मामले में 7 फरवरी और 8 फरवरी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के दफ्तर में पूछताछ के लिए हाजिर होना पड़ा, जहां उनकी 5 घंटे तक पूछताछ हुई। मनी लॉन्ड्रिग केस में अब भी पूछताछ जारी है। ईडीने रॉबर्ट वाड्रा को अपने जयपुर कार्यालय में 12 फरवरी को पेश होने के लिए कहा है। इस मामले की पैरवी प्रतिष्ठित अधिवक्ता और कानून विशेषज्ञ केटीएस तुलसी कर रहे हैं।

 

कोयला घोटाला

कोयला घोटाला मामले में निचली अदालत की तरफ से पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को सम्मन भेजा गया था, जिसके खिलाफ मनमोहन सिंह ने सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही थी जिसके बाद कांग्रेस ने देश के नामी वकीलों की फौज लगा दी थी। मामले की पैरवी के लिए कपिल सिब्बल और राज्यसभा सांसद केटीएस तुलसी का नाम सामने लाया गया। बता दें कि देश के बड़े वकीलों में शुमार कई नाम कांग्रेस से आते हैं जैसे कपिल सिब्बल, पी चिदंबरम, सलमान खुर्शीद से लेकर अश्वनी कुमार और मनीष तिवारी तक। 

आसाराम केस

यौन उत्पीड़न के मामले में दोषी करार दिए गए आसाराम बापू ने इस केस से बरी होने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगाया था। आसाराम ने पांच सालों में लगभग सात महंगे वकीलों का सहारा लिया था। इनमें से एक नाम केटीएस तुलसी का भी था। बता दें कि इस केस में राम जेठमलानी, राजू रामचंद्रन, सुब्रमण्यम स्वामी, सिद्धार्थ लूथरा, सलमान खुर्शीद और यूयू ललित जैसे नाम शामिल हैं।

भारतीय युवा कांग्रेस अध्यक्ष मनिंदरजीत सिंह बिट्टा पर जानलेवा हमला मामला

 

1993 में अखिल भारतीय युवा कांग्रेस अध्यक्ष मनिंदरजीत सिंह बिट्टा पर जानलेवा हमले के मामले में मौत की सजा पा चुके आतंकवादी देवेंद्र पाल सिंह भुल्लर को मौत की सजा सुनाई गई थी। इस पर भुल्लर की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि भुल्लर की मानसिक हालत ठीक नहीं है, इसलिए उसकी मौत की सजा उम्रकैद में बदल दी जानी चाहिए। सीनियर एडवोकेट केटीएस तुलसी के माध्यम से दायर याचिका में भुल्लर की पत्नी नवनीत कौर ने कहा है कि उसके पति को फांसी पर लटकाना उसके साथ अत्याचार, अमानवीय और संविधान की धारा 21 का उल्लंघन होगा, जिसमें मानसिक रूप से विक्षिप्त लोगों पर मुकदमा चलाने की मनाही है। कौर का कहना है कि भुल्लर की दया याचिका पर फैसला होने में 5700 से ज्यादा दिनों की देरी हुई, जिससे वह अपना मानसिक संतुलन खो बैठा।

दिल्ली का उपहार अग्निकांड मामला 

1997 के उपहार सिनेमा अग्निकांड मामले उपहार अग्निकांड के पीड़ितों के संगठन का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता केटीएस तुलसी ने भी मांग की थी कि दोषियों को सिर्फ जेल ही नहीं भेजा जाए बल्कि उनकी सजा भी बढ़ाई जाए।

दिल्ली के उपहार सिनेमा अग्निकांड में 59 लोगों की आग में झुलसकर मौत हुई थी। देश की राजधानी में हुए इस भीषण हादसे में सिनेमा मालिकों की लापरवाही साफ तौर पर सामने आई थी। आग सिनेमा हाल के बेसमेंट में रखे जनरेटर से शुरू हुई और धीरे-धीरे पूरे हाल को आग ने अपने आगोश में ले लिया। हाल के भीरत भगदड़ मचने से 100 से ज्यादा लोग घायल भी हुए थे। सिनेमा के मालिक गोपाल और सुशील अंसल को इस अग्निकांड का दोषी माना गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने दोनों भाइयों पर 30-30 लाख का जुर्माना लगाकर उन्हें रिहा कर दिया।

इतनी फीस लेते हैं के.टी.एस. तुलसी

देश के वरिष्ठ अधिवक्ता के.टी.एस. तुलसी हर पेशी के लिए 5 लाख की फीस लेते हैं। इनकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता बिना किसी फीस के ही करते हैं। देश के पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल हैं के.टी.एस. तुलसी। वरिष्ठ अधिवक्ता पुरानी कारें रखने के काफी शौकीन हैं।

कोयला घोटाले में हर पेशी के लिए थे केवल 33 हजार रुपये

हैरानी की बात यह है कि जहां तुलसी एक पेशी पर हरियाणा सरकार की ओर से पैरवी करने के 11 लाख रुपये चार्ज कर रहे थे वहीं जब उन्होंने करोड़ों रुपये के कोयला घोटाले में सरकार की ओर से पैरवी की तो प्रत्येक सुनवाई के केवल 33 हजार रुपये लिए थे।  

हुड्डा सरकार ने केटीएस तुलसी को एक केस की पैरवी के लिए दिए थे 5.5 करोड़ रुपये

हरियाणा की पिछली सरकार ने एक केस में पैरवी के लिए वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी को 5.5 करोड़ रुपए में अनबंधित किया था। एक आरटीआई के जरिए यह खुलासा हुआ था। बता दें कि हरियाणा में पिछली सरकार कांग्रेस की थी और भूपेंद्र सिंह हुड्डा राज्य के सीएम थे।

साल 2012 में हरियाणा के मानेसर स्थित मारूति प्लांट में वर्कर्स और मैनेजमेंट के बीच विवाद हुआ था। इस दौरान हिंसा भड़क गई थी और इसमें मारूति फैक्ट्री के एक मैनेजर की मौत हो गई थी। इस मामले में प्लांट के 150 कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया था। इस केस में हरियाणा सरकार की ओर से पैरवी के लिए वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी की सेवाएं ली गई थीं।

साइकिल से संसद पहुंचने को लेकर भी सुर्खियों में रहे तुलसी

राज्यसभा सांसद और वरीष्ठ वकील केटीएस तुलसी साइकिल से संसद पहुंचने को लेकर भी सुर्खियों में रहे थे। जब एक ओर दिल्ली में प्रदूषण को लेकर बड़ी बहस चल रही थी पर कोई भी अपनी सुविधाओं को लेकर समझौते के मूड में नहीं था, तभी राज्यसभा के सांसद और वरीष्ठ वकील केटीएस तुलसी साइकिल से संसद पहुंचे जो समाज के लिए एक मिसाल तथा चर्चा का विषय बना।

 

राज्यसभा सांसद मनोनित होने के बाद बोले थे तुलसी, चुनौती के साथ-साथ सुनहरा मौका भी है

फरवरी, 2014 में राज्यसभा सांसद मनोनीत होने पर केटीएस तुलसी ने कहा था कि उन्हें आज भी होशियारपुर से जुड़ी कई यादें याद है। राज्यसभा सांसद केटीएस तुलसी ने कहा था कि आपराधिक न्याय प्रणाली को देश में और कारगर बनाने के लिए मिला यह पद अब मेरे लिए चुनौती के साथ-साथ सुनहरा मौका भी है जिसे सफलतापूर्वक निभाऊंगा। मेरा मानना है कि हर आपराधिक मामले को तीन से छह महीने में हल किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा था, हमारी आपराधीक न्याय प्रणाली में सुधार अब मेरे जीवन का मुख्य लक्ष्य रहेगा। हाल ही में संसद में देखा कई अवरोधों के बारे में पूछे जाने पर सांसद तुलसी ने कहा कि यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। संसद में चल रही कार्रवाई देश विदेश के लोग देखते हैं अत: संसद में हर मुद्दे पर सार्थक बहस होनी चाहिए।

1980 में, तुलसी ने क्रिमीनल लॉ का अभ्यास शुरू किया। 1987 में, उन्हें एक वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नियुक्त किया गया। तीन साल बाद 1990 में, उन्हें भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नामित किया गया। 1994 से वह आपराधिक न्याय सोसायटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष हैं। तुलसी ने सर्वोच्च न्यायालय में दस बार से अधिक बार भारत सरकार का प्रतिनिधित्व किया है। 

पार्ट टाइम में लेक्चरर के रूप में काम किया

 साल 1973 और 1976 के बीच केटीएस तुलसी ने पार्ट टाइम में लेक्चरर के रूप में काम किया। इस बीच तुलसी ने दो किताबें भी लिखी-  Tulsi's Digest of Accident Claims Cases and Landlord & Tenant Cases.

1947 से लेकर 1950 तक होशियारपुर में डिस्ट्रिक अटार्नी के पद पर तैनात रहे केटीएस तुलसी के पिता

पंजाब के कपूरथला जिले के गांव होशियारपुर में जन्म लेने वाले प्रख्यात वकील और देश के पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया पद पर रहे 67 वर्षीय एडवोकेट केटीएस तुलसी राज्यसभा सांसद भी हैं। 1947 में होशियारपुर में जन्में केटीएस तुलसी के पिता गुरबचन सिंह तुलसी देश के विभाजन के समय साल 1947 से लेकर 1950 तक होशियारपुर में डिस्ट्रिक अटार्नी के पद पर तैनात रहे।

प्रिंसिपल पद पर रहते हुए रिटायर हुई थीं केटीएस तुलसी की मां

साल 1950 में गुरबचन सिंह तुलसी का तबादला लुधियाना होने पर केटीएस तुलसी का स्कूली पढ़ाई लुधियाना में हुई। केटीएस तुलसी की मां बलजीत कौर तुलसी गवर्नमेंट कॉलेज चंडीगढ़ में बतौर प्रिंसिपल पद पर रहते हुए रिटायर हुई थी।

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