Advertisement

कठुआ रेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा- पीड़िता के परिवार और वकील को सुरक्षा दे राज्य सरकार

  कठुआ रेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता के वकील और उसके परिवार की याचिका पर सुनवाई करते हुए...
कठुआ रेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा- पीड़िता के परिवार और वकील को सुरक्षा दे राज्य सरकार

कठुआ रेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता के वकील और उसके परिवार की याचिका पर सुनवाई करते हुए जम्मू-कश्मीर की सरकार से जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट में इस पर अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी।

पीड़िता के परिवार और वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके इस केस को जम्मू-कश्मीर से बाहर ट्रांसफर करने की मांग की है।

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान जम्मू-कश्मीर सरकार को पीड़िता के परिवार और वकील को सुरक्षा देने का भी निर्देश दिया है।

गौरतलब है कि देश को झकझोर देने वाले कठुआ गैंगरेप मामले में पीड़िता के पिता ने केस को राज्य से बाहर ट्रांसकर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। पीड़ित परिवार इस मामले की सुनवाई जम्मू-कश्मीर से बाहर ट्रांसफर करवाना चाहता है। 

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पीड़ित पक्ष की महिला वकील दीपिका राजावत ने कहा कि इस केस में सियासी हस्तक्षेप हो सकती है। हालिया दिनों में आरोपियों के पक्ष में प्रदर्शन से भी वह बेहद चिंतित हैं। इसलिए इस मामले की सुनवाई किसी दूसरे राज्य में होनी चाहिए।


इससे पहले पीड़िता की वकील दीपिका सिंह राजावत ने अपने साथ बलात्कार या हत्या कराए जाने की आशंका जताई है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, वकील ने कहा, “आज, मैं नहीं जानती, मैं अपने होश में नहीं हूं। मेरा बलात्कार किया जा सकता है, मुझे मार दिया जा सकता है। वे मुझे अदालत में केस लड़ने की इजाजत नहीं दे सकते। उन्होंने मुझे अलग कर दिया है, मुझे नहीं पता है कि मैं कैसे बच सकती हूं। "

उन्होंने कहा कि उन्हें हिंदू विरोधी कहा जा रहा है और उनका सामाजिक रूप से बहिष्कार कर दिया गया है।

इसके अलावा, दीपिका ने कहा कि वह अपने और अपने परिवार के लिए सुरक्षा की मांग करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पास  जाएंगी।

उन्होंने कहा, "मैं यह सुप्रीम कोर्ट को बताऊंगी। मुझे बुरा लग रहा है और यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। आप मेरी दुर्दशा की कल्पना कर सकते हैं, लेकिन मैं न्याय के लिए खड़ी हूं और हम आठ साल की लड़की के लिए न्याय चाहते हैं।"

इससे पहले रविवार को, भारतीय बार कौंसिल (बीसीआई) ने कहा कि जम्मू-कश्मीर बार एसोसिएशन के वकीलों के कार्यों की जांच के लिए एक पैनल का गठन किया गया है, जिन्होंने पुलिस को कठुआ बलात्कार और हत्या के मामले में आरोपपत्र दाखिल करने से रोक दिया था।

मामले के संबंध में, दो एफआईआर दर्ज की गई हैं: एक अपराध के मामले में कथित रूप से शामिल होने के लिए आठ लोगों के खिलाफ और एक अन्य वकीलों के खिलाफ दर्ज किया गया है जिसमें कथित रूप से वकीलों ने आरोपपत्र दाखिल करने से रोक दिया था।

वहीं इस मामले में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के दो मंत्रियों चंद्र प्रकाश गंगा और लाल सिंह ने आरोपियों के समर्थन में रैली में शामिल होने के आरोपों के बाद अपना इस्तीफा दे दिया है।

गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के कठुआ में आठ साल की बच्ची के रेप और हत्या के तीन महीने बाद इस घटना को लेकर देशभर में हंगामा हो रहा है। पुलिस की अपराध शाखा ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में 15 पेज का आरोपपत्र दाखिल किया। इसमें इस बात का खुलासा हुआ है कि बकरवाल समुदाय की बच्ची का अपहरण, बलात्कार और उसकी हत्या इलाके से इस अल्पसंख्यक समुदाय को हटाने की एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा थी। कथित तौर पर आठ साल की इस बच्ची को रासना गांव में देवीस्थान मंदिर में कई दिनों तक बंधक बनाकर रखा गया और सेवादार समेत कई लोगों ने कई बार उसका बलात्कार किया। इस खुलासे के बाद जहां इसे साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है, वहीं इस पर लगातार राजनीति भी की जा रही है।

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement