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कश्मीर मुद्दे पर पीएम मोदी देश को गुमराह कर रहे या जान-बूझकर हो रहे हैंः इल्तिजा मुफ्ती

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की...
कश्मीर मुद्दे पर पीएम मोदी देश को गुमराह कर रहे या जान-बूझकर हो रहे हैंः इल्तिजा मुफ्ती

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को या तो गुमराह किया जा रहा है या वह "जान-बूझकर देश को गुमराह कर रहे हैं।"

दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “मैं पीएम मोदी का सम्मान करता हूं। लेकिन मुझे नहीं पता कि उन्हें गुमराह किया जा रहा है या वह जानबूझकर देश को गुमराह कर रहे हैं।”

‘केंद्र से ज्यादा नाराज हैं कश्मीर के लोग’

इल्तिजा मुफ्ती ने कहा कि भले ही कश्मीर के लोग महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला जैसे स्थानीय नेताओं से नाराज हैं, लेकिन वो केंद्र सरकार से ज्यादा नाराज हैं। उन्होंने कहा, "अमित शाह वहां जाएं और खुद देखें।"

गौरतलब है, पिछले छह महीने से नजरबंद पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर हाल में पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत मामला दर्ज किया गया था। उन पर आतंकवादियों का समर्थन करने और हिरासत के दौरान विभाजनकारी नीति को बढ़ावा देने के आरोप लगाया गया है। इस कानून के तहत किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा सकता है और बिना किसी ट्रायल के दो साल तक जेल में रखा जा सकता है। उमर अब्दुल्ला की बहन सारा पायलट ने पीएसए लगाए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। 

इन नेताओं पर लगा पीएसए

इसके अलावा भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 2011 बैच के टॉपर और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट के संस्थापक शाह फैसल पर भी पीएसए लगाया गया है। बता दें कि महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला समेत कई अन्य भी पिछले साल 5 अगस्त से नजरबंद हैं। 5 अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद केन्द्र सरकार ने उसे दो केन्द्र शासित प्रदेशों लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में विभाजित कर दिया था।

कब आया था यह कानून

जम्मू-कश्मीर में पीएसए को पूर्व मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला ने साल 1978 में लागू किया था। उन्होंने ये कानून उस समय जम्मू-कश्मीर के जंगलों की अवैध कटाई कर रहे लोगों को रोकने के लिए लागू किया था। बाद में इस पीएसए कानून का इस्तेमाल उन लोगों के लिए भी किया जाने लगा, जिससे राज्य की कानून-व्यवस्था के ‌‌लिए संकट माना जाता है।

 

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