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पहलू खान मामले पर बोले जस्टिस चंद्रचूड़-'पुलिस की जांच में कमी होने से बरी होते हैं आरोपी'

राजस्थान में मॉब लिंचिंग के शिकार हुए पहलू खान मामले में पिछले दिनों लोअर कोर्ट ने 6 आरोपियों को बरी कर...
पहलू खान मामले पर बोले जस्टिस चंद्रचूड़-'पुलिस की जांच में कमी होने से बरी होते हैं आरोपी'

राजस्थान में मॉब लिंचिंग के शिकार हुए पहलू खान मामले में पिछले दिनों लोअर कोर्ट ने 6 आरोपियों को बरी कर दिया। इस पर अब सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस धनंजय चंद्रचूड़ ने बयान दिया है। जस्टिस धनंजय चंद्रचूड़ ने कहा कि एक न्यायाधीश होने की बहुत बड़ी पीड़ा ये है कि आपको सबूतों के आधार पर फैसला करना होता है लेकिन पुलिस की जांच इतनी अपर्याप्त है कि आरोपियों को बरी करना पड़ रहा है।

जस्टिस धनंजय चंद्रचूड़ का कहना है कि जिन मामलों की जांच अदालतों की निगरानी में हुई हैं उनमें "शायद बेहतर परिणाम देखने को मिला है।"

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने एक कार्यक्रम में कहा, "वे मामले, जिसे अदालतों से एक उचित स्तर पर याचिका दायर की गई है और अदालतें जांच की निगरानी करने में सक्षम हैं  ने शायद बेहतर परिणाम दिखाया है।"

उन्होंने पहलु खान मामले के बारे में बात करते हुए कहा, "मैं आपको बताता हूं कि यह एक न्यायाधीश होने की बहुत बड़ी पीड़ा है क्योंकि आपको सबूतों के आधार पर फैसला करना है। आप पाते हैं कि पुलिस की जांच इतनी विकट है अपर्याप्त है कि नतीजतन बरी का फैसला आ रहा है।"

क्या है मामला?

मवेशी व्यापारी पहलू खान को 2017 में अलवर जिले में गौ तस्करी के संदेह में पीट-पीटकर मार डाला गया था। अलवर की एक अदालत ने गुरुवार को मामले के सभी छह आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। हालांकि, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार अदालत के फैसले के खिलाफ अपील दायर करेगी।

एसआईटी करेगी मामले की जांच

अलवर लिंचिंग मामले की जांच के लिए शुक्रवार को कांग्रेस सरकार ने एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की घोषणा की है। राज्य सरकार के शुक्रवार देर रात जारी बयान के अनुसार यह दल 15 दिन में अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपेगा।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कह चुके हैं कि राज्य सरकार निचली अदालत के फैसले को चुनौती देगी। बयान के अनुसार मुख्यमंत्री गहलोत ने पहलू खान प्रकरण में हाल ही आए अदालत के निर्णय की शुक्रवार शाम मुख्यमंत्री कार्यालय में उच्च अधिकारियों के साथ विस्तार से समीक्षा की। गहलोत ने इस प्रकरण की जांच में रही त्रुटियों पर विस्तार से चर्चा की।

बैठक में निर्णय लिया गया कि अधीनस्थ अदालत के निर्णय के खिलाफ अपील की जाए जिसके लिए एक वरिष्ठ अधिवक्ता की सेवाएं ली जाएंगी। इसके साथ ही प्रकरण की जांच के लिए एडीजी (अपराध) की निगरानी में विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया जाएगा। यह एसआईटी 15 दिन में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।

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