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रामदेव से पहले इन गुरुओं ने पूरी दुनिया में लहराया योग का परचम

"जब हम योग की बात करते हैं तब बाबा रामदेव की छवि हमारी आंखों में तैरने लगती है। लोगों की आम धारणा है कि...
रामदेव से पहले इन गुरुओं ने पूरी दुनिया में लहराया योग का परचम

"जब हम योग की बात करते हैं तब बाबा रामदेव की छवि हमारी आंखों में तैरने लगती है। लोगों की आम धारणा है कि विश्व समुदाय को योग विद्या सिखाने में इनका अहम योगदान है, लेकिन आपको बता दें कि रामदेव से पहले भी कई योग गुरु हुए हैं जो विश्व भर में काफी चर्चित रहे।"

भारत की धरती पर कई ऐसे योग गुरु हुए जिन्होंने देश-दुनिया में योग को पहुंचाने का प्रयास किया और सफलता भी पाई। ऐसे ही कुछ योग गुरूओं के बारे में हम आपको जानकारी दे रहे हैं।

 स्वामी शिवानंद (1887-1963)

माना जाता है कि विश्व भर में आज भी सबसे अधिक स्वामी शिवानंद के अनुयायी हैं। ऋषिकेश में वे एक हिंदू आध्यात्मिक गुरु थे।  उनके प्रसिद्ध शिष्यों में अद्भुद योगासन करने वाले एक पूर्व फौजी विष्णुदेवानंद थे। एक बार शिवानंद ने विष्णु से कहा,  “पश्चिम में जाओ, वे लोग योगासनों की प्रतीक्षा कर रहे हैं।”  इसके साथ ही शिवानंद के दूसरे शिष्य सत्यानंद ने 1964 में बिहार योग विद्यालय की स्थापना की। विष्णु और सत्या दोनों योग गुरु अपनी सरल योग मुद्राओं को पश्चिमी दुनिया तक विस्तार देने में बेहद सफल हुए और अमेरिका सहित पूरे महाद्वीप में उन्‍होंने कई योग केंद्र की स्थापना किए।

श्री कृष्णामाचार्य (1888-1989)

 

श्री कृष्णामाचार्य हठ योग के महान व्याख्याता रहे। उन्होंने अपने आखिरी दिनों तक हठ योग की विनियोग प्रणाली का अभ्यास किया और उसकी शिक्षा दी। वे प्रसिद्ध जिद्दू कृष्णमूर्ति और बी.के.एस.अयंगर के योग गुरु रहे।

बीकेएस अयंगर (1918-2014)

 

अयंगर को विश्व के अग्रणी योग गुरुओं में से एक माना जाता है। अयंगर का जन्म 14 दिसंबर, 1918 को कर्नाटक के बेल्लुर में हुआ था। अयंगर जब 16 साल के थे,  तब उन्होंने अपने शिक्षक बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए योग सीखा। इसके दो साल बाद उन्हें योग के प्रचार के लिए पुणे भेज दिया गया। धीरे-धीरे उन्होंने 'अयंगर योग' का विकास किया। यह 'अष्टांग शैली' आज दुनियाभर में मान्य है और इसका अभ्यास दुनियाभर के योग प्रशिक्षक करते हैं। इनकी ख्याती का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि चीन के डाक विभाग ने उनके सम्मान में वर्ष 2011 में डाक टिकट जारी किया था, जबकि सैन फ्रांसिस्को ने 3 अक्टूबर, 2005 को बीकेएस अयंगर दिवस के रूप में मनाया।

महर्षि महेश योगी (1918-2008)

 

महर्षि महेश योगी का जन्म 12 जनवरी 1918 को छत्तीसगढ़ के राजिम शहर के पास पांडुका गांव में हुआ था। सन् 1955 में उन्होने टीएम तकनीक की शिक्षा देना आरम्भ की। सन् 1957 में उनने टीएम आन्दोलन आरम्भ किया और इसके लिये विश्व के विभिन्न भागों का भ्रमण किया। इसके बाद महेश योगी का ट्रेसडेंशल मेडिटेशन अर्थात भावातीत ध्यान पूरी पश्चिमी दुनिया में लोकप्रिय हुआ। विश्व भर में उनके लाखों अनुयायी हैं। पश्चिमी दुनिया में इनका प्रभाव इस कदर रहा कि महर्षि महेश योगी की मुद्रा राम को नीदरलैंड में कानूनी मान्यता प्राप्त है। डच सेंट्रल बैंक के अनुसार राम का उपयोग क़ानून का उल्लंघन नहीं है। इसके सीमित उपयोग की अनुमति है।

धीरेन्द्र ब्रह्मचारी (1924-1994)

 

स्वामी धीरेन्द्र ब्रह्मचारी पिछली सदी के चर्चित और विवादित योग गुरू रहे। वे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के भी आध्यात्मिक गुरु रहे। कहा जाते है कि स्वामी धीरेन्द्र ब्रह्मचारी पहले आधुनिक सन्यासी थे जो योग को राजनीति के करीब लाए और योग को रोजगार की विद्या बनाया। आपातकाल के दौरान भी धीरेन्द्र ब्रह्मचारी काफी सुर्खियों में रहे। उन्होंने योग को स्कूलों तक पहुंचाने की शुरूआत की।

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