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"कठिन समय में हम और हमारा देश "

आज हमारा देश एक बड़े संकट से गुज़र रहा है। पूरी दुनिया की नज़र भारत में महामारी के कारण उपजी चिंताओं पर...

आज हमारा देश एक बड़े संकट से गुज़र रहा है। पूरी दुनिया की नज़र भारत में महामारी के कारण उपजी चिंताओं पर है। यही वजह है कि इस बुरे समय में सऊदी अरब से लेकर सिंगापुर तक भारत को ऑक्सीजन पहुचाने में मदद कर रहे हैं। आज इसी तरह के भाईचारे और इंसानियत की सख्त जरूरत है। हमारे देश में चारों तरफ स्वास्थ्य एमरजेंसी जैसे हालात नज़र आ रहे हैं। कानपुर आई आई टी और देश के विभिन्न वैज्ञनिकों और डॉक्टरों का अनुमान बता रहा है कि आगामी मई में कोरोना अपने पीक पर होगा। अगर ऐसी स्थिति देश के समक्ष आई तो क्या हम इससे निपटने के लिए तैयार हैं? यदि नहीं, तो सरकार और देश के सभी नागरिकों का दायित्व बनता है कि अपने-अपने स्तर पर पूरी तैयारी की जाय। चूंकि ये एक बड़ी आपदा है। आपदा कहीं भी बताकर नहीं आती, आपदा से निपटने के संकेत अगर मिल रहे हैं तो मिल-जुलकर लड़ने की आवश्यकता है। अभी सरकार या किसी विशेष संगठन की आलोचना से कोई परिणाम नहीं निकलने वाला। संकट से किस प्रकार सामना किया जाय, उसकी योजना बनाना ही समय की सबसे बड़ी मांग है।

मेरे निजी विचारों से संभव है कि सभी सांसदों,विधायकों, पार्षदों, प्रधानों और गैरसरकारी संस्थाओं को असीम शक्ति मिले। इसके साथ मेरा मनना है कि उक्त सभी प्रतिनिधियों को वित्तीय स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने की इमरजेंसी छूट भी मिलनी चाहिए।

हालात दिन-ब-दिन बेकाबू होते जा रहे हैं। आज सबसे बड़ी आवश्यकता इस बात की है कि कम्युनिटी स्तर सभी अपने-अपने इलाकों में ऐसे स्थानों, शादी घरों, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च को तुरंत हॉस्पिटल में तब्दील कर दें। जितने भी विकास कार्यों के लिए धनराशि जनप्रतिनिधियों को आवंटित हैं, उसका एक बड़ा हिस्सा इस कोरोना महामारी से लड़ने के लिए तुरंत उपयोग किया जाना चाहिए। हालात को देखते हुए सभी सक्षम अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर स्वास्थ्य लाभ हेतु ऑक्सीजन, बेड और कोरोना से लड़ने के लिए उपयोगी दवाओं, वस्तुओं को तुरंत प्रभाव से मुहैय्या कराना चाहिए।

देश हम सब का है। यह समय आलोचना से बहुत दूर जा चुका है। आज हालात बेकाबू हो चुके हैं। परिस्थितियों से लड़ने के लिए सभी सामाजिक संगठनों को जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर अपने-अपने इलाकों में अतिशीघ्र काम करने और लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। पिछले वर्ष भी हमने कोरोना की रफ्तार को देखा है, लेकिन इस बार कोरोना बेकाबू होते हुए दिख रहा है। ऐसे समय में हिन्दू, मुसलमान, सिख, ईसाई सभी जिस प्रकार कम्युनिटी स्तर पर स्वास्थ्य हित में काम कर रहे हैं वो सराहनीय है। आज टीवी पर कोरोना के आंकड़े, सोशल मीडिया पर मृत्यु, और ऑक्सीजन पर केवल चर्चा करने से बेहतर होगा कि किस प्रकार हम अपने इलाकों को हस्पतालों में तब्दील कर लोगों को सुरक्षित करें। हमारा देश बेहद सम्पन्न देश है। संकट को देखते हुए सभी गैरसरकारी संस्थाओं को भी तुरंत सामने आना चाहिए और सी एस आर के सभी फण्ड को तुरंत प्रभाव से स्वास्थ्य लाभ हेतु अपने-अपने इलाकों में लगाना चाहिए। जनप्रतिनिधियों और सक्षम अधिकारियों को पायलट स्तर पर काम करने की आवश्यकता है।

कोरोना से जंग जीतने के लिए एक प्लेटफॉर्म पर रहकर लड़ना होगा। तभी हम इस पर काबू पा सकते हैं। जिस संस्कृति के लिए भारत जाना जाता है, ठीक उसी प्रकार मिल-जुलकर सतर्कता से काम करते हुए कोरोना को हराना है। पूरा देश इस बड़े संकट से जूझ रहा है। सभी राज्य कोरोना से लड़ रहे हैं। साथ ही इस वक्त समय की सबसे बड़ी मांग ये भी है कि गरीबों, मज़दूरों और ऐसे ज़रूरतमंदों को अगले एक साल तक मदद दी जाय, जिनके पास एक वक्त का खाना तो होता था मगर दूसरे वक़्त का मज़दूरी से ही मिलता था। हालांकि इन लोगों की सरकार पूरी मदद करने की कोशशि कर रही है। आज हमारा दायित्व बनता है कि हम अपने ऐसे सभी पड़ोसियों की शिनाख्त करें और व्यक्तिगत स्तर पर उनकी मदद करें केवल सरकार पर ही ज़िम्मेदारी न थोपें।

सड़कों पर सन्नटा है, लेकिन हमारा प्रयास ये होना चाहिए कि ज़रूरतमंदों की ज़िन्दगियों में सन्नाटा न हो। आइए हम भारत माँ की मिल जुलकर रक्षा करें, धर्म की कसम न खाकर इंसानियत की कसम खाएं। यही हमारी राष्ट्रीयता होगी और यही भारत माँ के प्रति सच्ची श्रद्धा होगी। इंसानियत की रक्षा हमारा कर्तव्य है। आज भारत माँ ने राष्ट्रीयता को निभाने का मौका दिया है। अब देखना होगा कि हमारी राष्ट्रभक्ति किस प्रकार लोगों की जान बचाकर भारत मां को खुश कर सकती है और अपने दायित्व का निर्वहन कर सकती है।

(लेखक दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया के हिंदी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। व्यक्त विचार इनके निजी हैं।)

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