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पंजाब में कर्फ्यू के कारण जरूरी चीजों से भी महरूम हुए लोग, बिना पैसे दिए रेहड़ी वालों से फल और सब्जियां छीन रहे पुलिस वाले

कोरोना वायरस के संकट से निपटने के लिए 21 दिनों के देशव्यापी लॉकडाउन के बीच पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में...
पंजाब में कर्फ्यू के कारण जरूरी चीजों से भी महरूम हुए लोग, बिना पैसे दिए रेहड़ी वालों से फल और सब्जियां छीन रहे पुलिस वाले

कोरोना वायरस के संकट से निपटने के लिए 21 दिनों के देशव्यापी लॉकडाउन के बीच पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में जनजीवन सख्त क्फर्यू के साये में खौफजदा है। पंजाब में दो दिन से लगातार कर्फ्यू में ढील न दिए जाने से घराें में बंद लोग वीरवार की सुबह जरूरत का सामान जुटाने घरों से बाहर निकले तो कई इलाकों में अफरा-तफरी मच गई। लोगों के घरों तक सब्जियों, दूध, दवाओं जैसी जरूरत की वस्तुओं की आपूर्ति का सरकार और स्थानीय प्रशासन का दावा हवाई साबित हो रहा है। घरों में रोजमर्रा की जरूरत की वस्तुएं और दवाओें की आपूर्ति के लिए स्थानीय प्रशासन ने बुधवार को शहर के दुकानदारों के मोबाइल फोन नंबर समेत सूची जारी की थी, पर ज्यादातर लोगों की शिकायत है कि उन्हें घरों में जरूरी सामान की आपूर्ति के लिए कई दुकानदार को फोन किए जाने के बावजूद आपूर्ति नहीं हो पाई है। जिन रेहड़ी वालों को क्फर्यू पास जारी किए गए हैं वे भी जरूरत का पूरा सामान नहीं दे पा रहे हैं। सबसे बड़ा संकट बीपी,शुगर,हाइपरटेंशन,सीज़र,स्ट्रोक से पीड़ित उन लोगों के लिए है जिन्हें ऐसे रोगों से बचने के लिए दवाओं का नियमित सेवन करना जरूरी है। अमृतसर के रानी बाग इलाके के बुजुर्ग शम्मी सरीन ने कुछ जरूरी दवाएं न मिलने की सूरत में सोशल मीडिया पर ही स्थानीय प्रशासन से मदद की गुहार लगाई पर उन्हें कोई मदद नहीं मिल पाई है।   

मोहाली फेज 7 के एक निवासी ने कहा कि मुझे घर पर मंगवाई गई सब्जियां अभी तक नहीं मिली हैं। मोहाली में प्रशासन ने कर्फ्यू में दो घंटे ढील की घोषणा की थी लेकिन बाद में अपना आदेश वापस ले लिया। लोग सुबह ही जरूरी सामान खरीदने के लिए बाजारों की तरफ दौड़े लेकिन अधिकतर दुकानें बंद होने से लोग निराश लौट आए। लोगों की मांग है कि राज्य सरकार जरूरी सामान उपलब्ध करवाने के पुख्ता बंदोबस्त करे। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा था कि उपायुक्त किराने का सामान, दूध, फल और सब्जियां घर-घर पहुंचाना सुनिश्चित करेंगे। अधिकारियों ने कहा कि लोगों को चयनित सब्जी विक्रेताओं, करियाने की दुकानों, दवा दुकानों के फोन नंबर दिए गए हैं पर ज्यादातार फोन नहीं उठाए जा रहे।

संकट में पुलिस के दो रूप:  

सप्लाई के लिए पुलिस ने संभाला मोर्चा:

कर्फ्यू को ध्यान में रखते हुए पंजाब पुलिस ने भी अनिवार्य वस्तुओं की सप्लाई को लेकर मोर्चा संभाल लिया है तथा डोर टू डोर सप्लाई को लेकर जोमैटो, स्विगी, वेरका, अमूल, मंडी प्रधानों, कैमिस्ट एसोसिएशनों के साथ तालमेल स्थापित किया है। डीजीपी दिनकर गुप्ता के निर्देशों पर लोगों को घरों तक अनिवार्य सेवाएं जैसे दवाइयां, राशन व सब्जियां उपलब्ध करवाने का अभियान शुरू कर दिया गया है।

उन्होंने कहा कि अनिवार्य वस्तुओं की सप्लाई करने वाले वेंडरों को पास भी दिए गए हैं। इसी तरह से दवाइयों की होम डिलीवरी सुनिश्चत करने के प्रयास हैं। डीजीपी का कहना है कि पुलिस को जब भी सोशल मीडिया या कहीं अन्य से कोई भी सूचना मिलती है तो वह त्वरित कार्रवाई कर रही है। उन्होंने बताया कि जालंधर के एक परिवार ने मधुमेह की दवाइयों को लेकर ट्वीट किया तो पुलिस ने तुरन्त कार्रवाई करते हुए दवाइयां उपलब्ध करवाईं। डीजीपी ने बताया कि कर्फ्यू उल्लंघन के 74 मामले सामने आए जबकि गत दिवस इनकी गिनती 232 थी। गत 24 घंटों में पुलिस ने राज्य में 168 एफआईआर दर्ज करते हुए 184 लोगों को गिरफ्तार किया है। उन्होंने कहा कि कर्फ्यू लागू करवाने के लिए पूरे पंजाब में 38,468 जवान ग्काम कर रहे हैं। 

अमृतसर तथा लुधियाना शहरों में स्विगी से जुड़े 650 लोगों की मदद अनिवार्य वस्तुओं की सप्लाई के लिए ली गई, जबकि पटियाला में अनिवार्य वस्तुओं की होम डिलीवरी के लिए जोमैटो व स्विगी के साथ तालमेल किया गया। संगरूर जिले में स्थानीय वालंटियर्स ने अनिवार्य वस्तुओं की 100 ट्रालियां भेजीं। गुप्ता ने कहा कि अमृतसर में फलों व सब्जियों की सप्लाई की गई तथा इसके लिए सब्जी मंडी प्रधानों के साथ तालमेल स्थापित किया गया है।

इधर पुलिस ने रेहड़ियां भी लूटी: 

रोजमर्रा की जरूरत का सामान सब्जियां, फल और दूध की आपूर्ति करने जा रहे रेहड़ी वालों से पुलिस द्वारा ही लूट के कई मामले भी सामने आए हैं। पटियाला के फाटक नंबर 22 पर नाकाबंदी के दौरान तैनात पुलिस कर्मियों ने वहां से गुजरने वाले रेहड़ी वालों से सब्जियां, दूध, बिस्किट बगैर पैसे दिए ले लिए। ऐसे ही एक मामले की विडियो गोरायां से भी वायरल हुई है।

विधायक फंसे, कर्फ्यू पास नहीं:

स्थानीय प्रशासन के स्तर पर किए जा रहे प्रबंध नाकाम साबित हो रहे हैं। कर्फ्यू के दौरान पंजाब के तमाम जिलों में स्थानीय प्रशासन का नियंत्रण जिला उपायुक्तों के हाथों में है। हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि पंजाब के विधायकों तक को कर्फ्यू के पास जारी नहीं हुए। इस कारण वे अपने क्षेत्रों तक नहीं पहुंच पाए रहे हैं। ऐसी स्थिति के मद्देनजर चंडीगढ़ में फंसे पंजाब के विधायकों की बैठक हुई जिसमें एमएलए होस्टल और फ्लैटों में फंसे राज्य के करीब 15 कांग्रेसी विधायक भी हैं। 

केंद्र व राज्य सरकार के अधिकारियों को कर्फ्यू पास की जरूरत नहीं:

केंद्र व राज्य सरकार के अधिकारियों को संकट के दिनों में कार्यालयों में अन्य स्टाफ के साथ उपस्थित रहने के निर्देश दिए हैं। इन कर्मचारियों को विशेष कर्फ्यू पास की जरूरत नहीं है। वह अपना पहचान पत्र दिखाकर कार्यालयों जा सकते हैं। इसी तरह से हरियाणा, पंजाब से यू.टी. चंडीगढ़ जाने वाले कर्मचारियों को भी बिना कर्फ्यू पास के कार्यालयों में पहुंचने की अनुमति दी गई है। 

कर्फ्यू में जाने की मंजूरी कैसे दी जाएगी?

पंजाब सरकार ने स्पष्ट किया  कि कर्फ्यू के दौरान परमिट्स को तय अवधि के लिए जारी करने की अनुमति सरकारी लैटरपैड पर दी जाएगी। इसी तरह से मीडिया, पोस्ट ऑफिस, बैंकों, रेलवे, पेट्रोल पम्पों, एल.पी.जी. सप्लायर्स को विशिष्ट पत्रों के मार्फत अनुमति दी जाएगी जिसके साथ इन संस्थाओं में काम करने वाले कर्मचारियों की सूची नत्थी होगी। उसके बाद इन कर्मचारियों को काम करने के समय कार्यालय में जाने की अनुमति होगी तथा इसके लिए वह संस्थान के पहचान पत्र का भी प्रयोग कर सकेंगे। इन पहचान पत्रों को लेकर वह बाजार में व्यक्तिगत कामों के लिए नहीं जा सकेंगे। व्यक्तिगत पास केवल आपाताकालीन परिस्थिति में जारी किए जाएंगे। इसी तरह से अस्पतालों, प्राइमरी हेल्थ सेंटरों के कर्मचारी पहचान पत्र दिखाकर काम पर जा सकेंगे। 

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