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स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा को लेकर प्रस्तावित कानून को लागू कराने की मांग, एम्स आरडीए ने शाह को लिखा पत्र

दिल्ली के साथ-साथ देशभर में स्वास्थ्यकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार और मारपीट की घटनाओं को लेकर अखिल...
स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा को लेकर प्रस्तावित कानून को लागू कराने की मांग, एम्स आरडीए ने शाह को लिखा पत्र

दिल्ली के साथ-साथ देशभर में स्वास्थ्यकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार और मारपीट की घटनाओं को लेकर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को खत लिखा है।

केंद्रीय गृह मंत्री को लिखे पत्र में एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने उन सात मामलों का जिक्र किया है, जहां पर अपनी जिम्मेदारी निभाने के दौरान डॉक्टरों के साथ मारपीट की गई है। इसी के साथ आरडीए ने गृह मंत्री से 'स्वास्थ्य सेवा कार्मिक और नैदानिक प्रतिष्ठान (हिंसा और संपत्ति को नुकसान का निषेध) विधेयक को लागू करने की अपील भी की है।

गृह मंत्रालय की एडवाइजरी के बावजूद नहीं रुक रही हिंसा

16 अप्रैल को लिखे पत्र में आरडीए ने कहा कि डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गृह मंत्रालय द्वारा जारी एडवाइजरी के बावजूद पूरे देश में उनके खिलाफ हिंसा के कई मामले सामने आ रहे हैं।

सात घटनाओं का जिक्र

कोरोना वायरस के प्रसार के बीच स्वास्थ्यकर्मियों पर हमले की कई घटनाएं सामने आई है। पत्र में 15 अप्रैल की घटना समेत कम से कम सात मामलों का उल्लेख किया गया है जिसमें डॉक्टरों और अन्य चिकित्साकर्मियों की टीम पर भीड़ द्वारा हमला किया गया।
आरडीए ने लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल में हुई घटना का भी उल्लेख किया, जिसमें एक महिला चिकित्सक के साथ 14 अप्रैल को मरीजों द्वारा कथित तौर पर मारपीट की गई थी।

अपनी सुरक्षा की चिंता छोड़ कर रहे हैं इलाज

पत्र में उल्लेख किया गया था कि स्वास्थ्य सेवा पेशेवर संक्रमण से डरते नहीं हैं। लेकिन उपचार के दौरान उनसे मारपीट या दुर्व्यवहार किया जा रहा है। आरडीए ने कहा, "यह एक उभरता हुआ अप्रत्याशित 'व्यावसायिक खतरा' बन गया है। हम अपनी सुरक्षा के बारे में चिंतित हुए बिना घातक रोगों और संक्रमणों से पीड़ित अपने रोगियों का इलाज करते हैं लेकिन बदले में हमें जो मिलता है वह मरीजों के रिश्तेदारों की हिंसा है।" आरडीए ने आगे कहा, "हम आपसे स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित 'स्वास्थ्य सेवा कार्मिक और नैदानिक प्रतिष्ठान (हिंसा और संपत्ति को नुकसान) विधेयक' को लागू करने का अनुरोध करते हैं।"

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