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निर्भया केस के चार में से एक दोषी विनय का दावा- नहीं दायर की दया याचिका, तिहाड़ जेल ने नकारा

निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में चार दोषियों में से एक विनय शर्मा की दया याचिका पर विवाद शुरू हो गया...
निर्भया केस के चार में से एक दोषी विनय का दावा- नहीं दायर की दया याचिका, तिहाड़ जेल ने नकारा

निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में चार दोषियों में से एक विनय शर्मा की दया याचिका पर विवाद शुरू हो गया है। विनय के वकील ने दावा किया है कि उनके मुवक्किल ने कभी याचिका दायर नहीं की, लेकिन तिहाड़ जेल के प्रवक्ता ने कहा कि दया याचिका पर बीते साल 8 नवंबर को मामला दर्ज किया गया और दिल्ली सरकार के गृह विभाग को भेजा गया।

अभी मृत्युदंड के चार दोषियों में मुकेश सिंह की दया याचिका खारिज की जा चुकी है जबकि अन्य दो, पवन गुप्ता और अक्षय ठाकुर को राष्ट्रपति से गुहार लगाना बाकी है।

जेल प्रशासन का दावा

तिहाड़ जेल के एडिशनल आईजी राज कुमार के मुताबिक, विनय ने 8 नवंबर को अपने अंगूठे के निशान और हस्ताक्षर के साथ दया याचिका दायर की थी। खबरों के मुताबिक, इन दोषियों की याचिका को दिल्ली के उपराज्यपाल ने खारिज कर दी है और वह राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के फैसले के लिए लंबित हैं।

‘मुवक्किल के खिलाफ साजिश’

वहीं, दूसरी तरफ विनय के वकील ए पी सिंह ने दावा किया है कि तिहाड़ जेल अधिकारियों ने उनके मुवक्किल के कानूनी प्रक्रियाओं को समाप्त करने के लिए एक साजिश रची ताकि जल्द से जल्द फांसी दी जा सके।

 

वकील ने दोषी विनय के अंगूठे के निशान और हस्ताक्षर वाले एक पत्र को जारी करते हुए दावा किया कि उन्होंने 6 दिसंबर 2019 तक कोई दया याचिका दायर नहीं की थी।

विनय ने पत्र में लिखा है, “मीडिया खबरों से पता चला कि मैंने दया याचिका अपनी फांसी की सजा को बचाने के लिए लगाई है, जो पूर्ण रूप से झूठ है, असंवैधानिक है, गैरकानूनी है”।

‘दिल्ली सरकार और जेल प्रशासन की मिलीभगत’

वकील ने आरोप लगाया कि यह दिल्ली सरकार की मिलीभगत से तिहाड़ जेल अधिकारियों द्वारा रची गई साजिश है। आगे कहा, “विनय के क्यूरेटिव पिटीशन दायर करने से पहले ही तिहाड़ जेल प्रशासन ने दया याचिका दाखिल की। सिंह ने दलील दी कि जब सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर करने का विकल्प होगा, तो वह दया याचिका वाले विकल्प का लाभ क्यों उठाएगा। उन्होंने कहा कि वह इस मामले की जांच की मांग करेंगे क्योंकि यह अन्याय है।

क्या राष्ट्रपति उनकी दया याचिका या पत्र को मानेंगे?

उन्होंने कहा, ''राष्ट्रपति को फैसला करना है। मैं इस पर टिप्पणी नहीं कर सकता”, वहीं आईजी राज कुमार ने कहा कि राष्ट्रपति के पास लंबित दया याचिका दोषी विनय की है। वहीं, आईजी से यह सवाल पूछे जाने पर कि, क्या तिहाड़ जेल में दया याचिका की प्रक्रिया के समय वीडियो रिकॉर्डिंग की कोई व्यवस्था है। इस बावत उन्होंने नकारात्मक जवाब दिया।

वहीं, स्वतंत्र विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामले को और देर करने की रणनीति जैसा लग रहा है। हालांकि, विनय का कोई आरोप है तो वह जांच की मांग कर सकता है।

 

 

 

 

 

   

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