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ट्रैक्टर रैली पर सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप करने से इनकार, कहा- पुलिस को आदेश जारी करने का अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर किसानों की ट्रैक्टर रैली को लेकर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है।...
ट्रैक्टर रैली पर सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप करने से इनकार, कहा- पुलिस को आदेश जारी करने का अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर किसानों की ट्रैक्टर रैली को लेकर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। बुधवार को हुई सुनवाई में चीफ जस्टिस एएस बोबड़े की ओर से कहा गया कि ये मामला पुलिस के हाथ में है, पुलिस ही इसपर अनुमति देगी। पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और दिल्ली पुलिस से इस पर फैसला लेने को कहा था। वहीं आज सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े ने कहा कि हम मामला लंबित नहीं रखेंगे। पुलिस तय करे, उसे अधिकार है।

बता दें कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। इस बीच वे गणतंत्र दिवस पर किसान ट्रैक्टर रैली निकालने पर अडिग हैं। इसी मसले पर आज दिल्ली पुलिस के अधिकारियों और किसान संगठनों के नेताओं के बीच बैठक भी तय है।


बता दें कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। इस बीच वे गणतंत्र दिवस पर किसान ट्रैक्टर रैली निकालने पर अडिग हैं। इसी मसले पर आज दिल्ली पुलिस के अधिकारियों और किसान संगठनों के नेताओं के बीच बैठक भी तय है।

सरकार का कहना है कि गणतंत्र दिवस के मौके पर यदि ऐसे हजारों लोग दिल्ली में आएंगे, तो सुरक्षा व्यवस्था में दिक्कतें होगी। जबकि किसानों का कहना है कि वो परेड समाप्त होने के बाद अपनी ट्रैक्टर रैली निकालेंगे और किसी को तकलीफ नहीं होगी।


दूसरी ओर नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शनकारी किसान संगठनों और सरकार के बीच दसवें दौर की वार्ता आज होगी। केंद्र ने कहा है कि दोनों पक्ष जल्द से जल्द गतिरोध सुलझाना चाहते हैं मगर अलग विचारधारा के लोगों की संलिप्तता के कारण इसमें देरी हो रही है। सरकार ने यह दावा किया कि नये कृषि कानून किसानों के हित में हैं और कहा कि जब भी कोई अच्छा कदम उठाया जाता है तो इसमें अड़चनें आती हैं। सरकार ने कहा कि मामले को सुलझाने में देरी इसलिए हो रही है क्योंकि किसान नेता अपने हिसाब से समाधान चाहते हैं।


केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री पुरषोत्तम रूपाला ने पीटीआई से कहा, ‘‘जब किसान हमसे सीधी बात करते हैं तो अलग बात होती है लेकिन जब इसमें नेता शामिल हो जाते हैं, अड़चनें सामने आती हैं। अगर किसानों से सीधी वार्ता होती तो जल्दी समाधान हो सकता था।’’ उन्होंने कहा कि चूंकि विभिन्न विचारधारा के लोग इस आंदोलन में प्रवेश कर गए हैं, इसलिए वे अपने तरीके से समाधान चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘दोनों पक्ष समाधान चाहते हैं लेकिन दोनों के अलग-अलग विचार हैं। इसलिए विलंब हो रहा है। कोई न कोई समाधान जरूर निकलेगा।’’

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