Advertisement

कृषि कानून: जंतर-मंतर पर आज से 'किसान संसद', सुरक्षा बलों की 100 अतिरिक्त कंपनी तैनात

कृषि कानूनों के खिलाफ एक बार फिर किसान लामबंद हो रहे हैं। राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर पर 3 कृषि कानूनों...
कृषि कानून: जंतर-मंतर पर आज से 'किसान संसद', सुरक्षा बलों की 100 अतिरिक्त कंपनी तैनात

कृषि कानूनों के खिलाफ एक बार फिर किसान लामबंद हो रहे हैं। राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर पर 3 कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के लिए जाने के लिए किसान सिंघु बॉर्डर पर इकट्ठा हो रहे हैं। किसान नेता प्रेम सिंह भंगू ने कहा, ''हम वहां विस्तार से चर्चा करेंगे, हम स्पीकर भी बनाएंगे, चर्चा होगी और प्रश्नकाल भी होगा। 200 से अधिक किसान नहीं जाएंगे।'' किसान यूनियन के एक नेता ने मंगलवार को दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद कहा कि किसान कृषि कानूनों को वापस लिये जाने की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करेंगे और कोई भी प्रदर्शनकारी संसद नहीं जाएगा जहां मानसून सत्र चल रहा है। वहीं राजधानी के बॉर्डर से लेकर जंतर-मंतर तक सुरक्षा बलों की करीब 100 अतिरिक्त कंपनियां तैनाती की गई हैं। 

गाजीपुर बॉर्डर से किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, " 200 लोग संसद जाएंगे और वहां किसान संसद लगाएंगे और पंचायत करेंगे। यह सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक चलेगा। हम यहां से सिंघु बॉर्डर जाएंगे और वहां से बसों से जंतर मंतर जाएंगे। जंतर-मंतर पर पंचायत होगी जिसे किसान संसद का नाम दिया गया है।"

राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव कुमार कक्का ने बताया कि 22 जुलाई से प्रत्येक दिन 200 किसान पहचान पत्र लगाकर सिंघू सीमा से जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन करने के लिए जाएंगे।

केंद्रीय कृषि कानूनों के विरुद्ध आंदोलन की अगुवाई कर रहे 40 से अधिक किसान यूनियन के संयुक्त निकाय संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने योजना बनाई थी कि 22 जुलाई से हर दिन लगभग 200 किसान मानसून सत्र के दौरान संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे। संसद का मानसून सत्र सोमवार को शुरू हुआ और 13 अगस्त को समाप्त होगा।

कक्का ने बताया, ‘‘हमने पुलिस को सूचित कर दिया है कि मानसून सत्र के दौरान हर दिन 200 किसान सिंघू सीमा से बसों में जंतर-मंतर जाएंगे। यह एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन होगा और प्रदर्शनकारियों के पास पहचान का बैज होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब पुलिस ने हमें प्रदर्शनकारियों की संख्या कम करने के लिए कहा, तो हमने उन्हें कानून-व्यवस्था की स्थिति पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा और आश्वासन भी दिया कि विरोध शांतिपूर्ण होगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘पुलिस को जानकारी दी गई है कि विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण होगा। हम पूर्वाह्न 10 बजे से शाम 5 बजे तक जंतर-मंतर पर बैठेंगे। कोई भी संसद नहीं जाएगा और न ही हम किसी राजनीतिक व्यक्ति को विरोध प्रदर्शन में आने दिया जाएगा।’’

बता दें कि 26 जनवरी को दिल्ली में एक ट्रैक्टर परेड, जो तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए किसान यूनियनों की मांगों को उजागर करने के लिए थी, राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर अराजक हो गई थी क्योंकि हजारों प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड तोड़ दिये थे, पुलिस से भिड़ गए थे और लाल किले की प्राचीर पर एक धार्मिक ध्वज फहराया था।

रविवार को हुई एक बैठक के दौरान, दिल्ली पुलिस ने किसान यूनियनों से विरोध प्रदर्शन में शामिल होने वाले लोगों की संख्या कम करने के लिए कहा था, मगर किसान यूनियन के नेताओं ने इसे अस्वीकार कर दिया था। इसके एक दिन बाद, एसकेएम ने दिल्ली पुलिस पर संसद के बाहर उनके विरोध प्रदर्शन को 'संसद घेराव' बताते हुए इसके बारे में दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया।

एसकेएम ने एक बयान में कहा था कि एसकेएम ने पहले ही कहा है कि संसद के घेराव की कोई योजना नहीं है और विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण और अनुशासित होगा। एसकेएम ने पहले कहा था कि मानसून सत्र शुरू होने से दो दिन पहले, सभी विपक्षी सांसदों को सदन के अंदर कृषि कानूनों का विरोध करने के लिए एक "चेतावनी पत्र" जारी किया जाएगा।

बता दें कि देशभर के हजारों किसान तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे हैं, उनका दावा है कि यह न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को समाप्त कर देगा, उन्हें बड़े कार्पोरेट घरानों की दया पर छोड़ देगा।

 

Advertisement
Advertisement
Advertisement