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जज लोया मामले में तीखी बहस, जज ने कहा- कोर्ट को मछली बाजार न बनाएं

जज लोया मामले की सुनवाई के दौरान सोमवार को याचिकाकर्ताओं के वकीलों और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की...
जज लोया मामले में तीखी बहस, जज ने कहा- कोर्ट को मछली बाजार न बनाएं

जज लोया मामले की सुनवाई के दौरान सोमवार को याचिकाकर्ताओं के वकीलों और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की आपस में तीखी बहस हुई। बहस इतना बढ़ गया कि जस्टिस चंद्रचृड़ को कहना पड़ा कि सुप्रीम कोर्ट में बहस का स्तर ‘मछली-बाजार’ तक न लाया जाए।

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने दुष्यन्त दवे के तेज आवाज में बोलने पर नाराजगी जाहिर की और कहा कि जब जज बोल रहे हों तो आप बीच में न बोलें। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आप अपनी बारी का इंतजार करिए, जब आपको बहस का मौका मिले तो आप अपनी बात रखियेगा। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आप कोर्ट में होने वाली बहस को मछली बाजार के स्तर से भी नीचे नहीं ले जा सकते।

जस्टिस चंद्रचूड़ को जवाब देते हुए दवे ने कहा, “नहीं, मैं ऐसा नहीं करूंगा। माननीय न्यायाधीश महोदय आपको पल्लव सिसोदिया और हरीश साल्वे को इस केस में पेश होने से रोकना चाहिए था। आपको अपनी अतंर-आत्मा को जवाब देना होगा।” इसपर बेंच ने जवाब दिया, 'आप हमें अंतर-आत्मा के बारे में मत सिखाइये'।

बता दें कि जस्टिस चंद्रचूड़ इस मामले की सुनवाई कर रही चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच में शामिल हैं। उनके अलावा जस्टिस ए.एम. खानविल्कर भी बेंच का हिस्सा हैं। वकील पल्लव सिसोदिया महाराष्ट्र के पत्रकार बंधुराज संभाजी लोने की ओर से पेश हुए थे जिन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर लोया की मृत्यु की स्वतंत्र जांच कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया था। उन्होंने दो परस्पर विरोधी खबरों का हवाला देते हुये कहा कि इसकी वजह से 'हमारी न्यायिक प्रणाली की निष्ठा पर आक्षेप लगे हैं।' इसके बाद, सिसोदिया ने शीर्ष अदालत के चार न्यायाधीशों की पिछले महीने हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस का जिक्र करते हुये कहा कि इसने भी इस अदालत के कुछ जजों द्वारा मामले की सुनवाई पर आक्षेप लगाने का अवसर प्रदान किया। उन्होंने कहा, 'ऐसी स्थिति में स्वतंत्र जांच एकतरफा नहीं हो सकती जिसमें आरोप लगाने वाले व्यक्ति इस अदालत और न्यायपालिका की प्रतिष्ठा और आस्था को क्षति पहुंचाकर बगैर किसी जवाबदेही के हमला करके भाग निकलें।'

यह दलील वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे और इन्दिरा जयसिंह को नागवार गुजरी और उन्होंने कहा कि यदि वह (पत्रकार) जांच नहीं चाहते तो फिर याचिका दायर करने की जरूरत ही क्या थी? दवे ने कुछ कटु शब्दों का इस्तेमाल करके सिसोदिया की आलोचना भी की और कहा कि उनकी दलीलों ने उन्हें बेनकाब कर दिया है और आरोप लगाया कि यह याचिका इस मामले को दबाने के लिए ही दायर की गई थी। दवे ने आगे कहा, 'आप अमित शाह की ओर से पेश हुए थे ओर अब आप याचिकाकर्ता की ओर से पेश हो रहे हैं।' इस पर सिसोदिया ने पलट कर कहा, 'मिस्टर दवे, हमें इसकी परवाह नहीं कि आप क्या कह रहे हैं। आप जहन्नुम या जन्नत या जहां भी चाहें जाएं।'

इस पर अदालत ने हस्तक्षेप किया। जस्टिस चंद्रचूड़ ने दवे से कहा कि बात को सुनें और कार्यवाही में शालीनता बनाये रखें। उन्होंने कहा, 'आपको जज को सुनना ही पड़ेगा।' दवे ने कहा, 'मैं नहीं सुनूंगा।' उन्होंने कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया नोटिस जारी कर रही है और उनके जैसे वकील के आवाज उठाने के अधिकार में दखल दे रही है। उन्होंने कहा कि बेंच को इस मामले में इन वकीलों (साल्वे और सिसोदिया) को पेश होने से रोकना चाहिए क्योंकि उन्होंने अमित शाह का प्रतिनिधित्व किया था। इस माहौल को गंभीरता से लेते हुए बेंच ने कहा, 'यह अक्षम्य है' और उन्होंने दोनों वकीलों (दवे और सिसोदिया) से कहा कि उनकी भाषा ठीक नहीं है और इस तरह की तकरार तो मछली बाजार को भी शर्मिंदा कर देगी।

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