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ईरान परमाणु समझौते से अमेरिका अलग, ट्रम्प के फैसले से भारत पर पड़ सकता है ये असर

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते से अमेरिका के अलग होने का...
ईरान परमाणु समझौते से अमेरिका अलग, ट्रम्प के फैसले से भारत पर पड़ सकता है ये असर

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते से अमेरिका के अलग होने का ऐलान कर दिया है। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि साल 2015 में ईरान के साथ हुए समझौते के बाद आर्थिक प्रतिबंधों में जो रियायतें दी गई थीं, उन्‍हें वे दोबारा लगाएंगे। ट्रंप की इस घोषणा के बाद देश दुनिया में इसका व्यापक असर पड़ सकता है। अमेरिका के इस फैसले से भारत और ईरान के संबंधों पर भी प्रभाव दिखेगा। गैस, कच्चा तेल जैसे अहम व्यापार पर भी  नकारात्मक असर पड़ सकता है। क्योंकि अमेरिका का कहना है कि ईरान के साथ किसी तरह का संबंध न रखा जाए।

माना जा रहा है कि समझौता टूटने के बाद ईरान पर अमेरिका कई प्रतिबंध लगाएगा जिससे ईरान की क्रूड बिक्री में कटौती हो सकती है। वैश्विक तेल कंपनियों पर ईरान से तेल नहीं खरीदने का दबाव बढ़ेगा। जिससे कच्चे तेल के दामों में उछाल आने की संभावना बढ़ गई है। क्योंकि भारत अपनी आवश्यकता का 83 फीसदी तेल आयात करता है। ऐसे में क्रूड की कीमतें 80 डॉलर के पार जा सकती हैं जिससे भारत की अर्थव्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।

यह भी माना जा रहा है कि ट्रंप के फैसला लेते ही अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ तेहरान के रिश्तों में तल्खियां आनी तय हो गयी है। भारत जैसे अमेरिका के करीबी देशों ने ईरान के साथ तेल पर समझौता किया है, जो ट्रंप के फैसले से बेवजह विवाद में आएंगे।

इसके साथ ही भारत 50 करोड़ डॉलर (लगभग 3370 करोड़ रुपये) की लागत से रणनीतिक तौर पर अहम माने जाने वाले ईरान के चाबहार पोर्ट को बना रहा है। भारत-अमेरिका के बेहतर होते संबंधों के कारण हो सकता है ईरान भारत से पूरी तरह दूरी बना ले। वह चाबहार पोर्ट को तैयार करने में हो रही देरी के कारण पहले भी चीन की ओर रुख कर चुका है।

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि ट्रंप के इस फैसले ने भारत के लिए भी कई व्यापारिक अनिश्चितताओं को निमंत्रण दे दिया है। 

क्या कहता है शेयर बाजार? 

कमजोर वैश्विक रुख से बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स आज शुरुआती कारोबार में 82 अंक गिरा। ईरान परमाणु समझौते से अमेरिका के हटने की ट्रंप की घोषणा के बाद भू-राजनीतिक तनाव में वृद्धि की आशंका के चलते वैश्विक बाजार में गिरावट का रुख रहा। 

कच्चे तेल के दाम 76 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से ऊपर जाने के साथ्‍ा ही विदेशी पूंजी निकासी और रुपये में गिरावट का असर भी बाजार पर पड़ा। इसका असर अन्य एशियाई बाजारों में भी देखने को मिला। 

30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक 82.12 अंक यानी 0.23 प्रतिशत गिरकर 35,134.20 अंक पर रहा। पिछले दो कारोबारी सत्र में सेंसेक्स 300.94 अंक चढ़ा। वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी शुरुआती दौर में 27.95 अंक यानी 0.26 प्रतिशत की गिरावट के साथ 10,689.85 अंक पर आ गया। 

बढ़ सकती है महंगाई 

माना जा रहा है ‌कि ट्रंप के इस फैसले से कई देशों के साथ भारत में भी महंगाई बढ़ सकती है। दरअसल, कच्चे तेल का आयात अगर महंगा होगा तो ढुलाई भी महंगी होगी, आम जरूरतों की चीजें भी महंगी होंगी। डॉलर में होने वाले भुगतान पर भी इसका असर पड़ेगा। 

क्या है समझौता

जुलाई 2015 में ईरान और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों और जर्मनी तथा यूरोपीय संघ के बीच वियना में ईरान परमाणु समझौता हुआ था।  इस समझौते के तहत ईरान अपना परमाणु कार्यक्रम बंद करने को राजी हुआ था और बदले में ईरान पर लंबे समय से लगे आर्थिक प्रतिबंधों में ढील दी गई थी। ओबामा प्रशासन में हुए इस समझौते के अंतर्गत ईरान पर हथियार खरीदने पर 5 साल तक प्रतिबंध लगाया गया था, साथ ही मिसाइल प्रतिबंधों की समयसीमा 8 साल निश्चित की गई थी। ईरान ने भी अपने परमाणु कार्यक्रम का बड़ा हिस्सा बंद कर दिया थ्‍ाा और बचे हुए हिस्से की निगरानी अंतरराष्ट्रीय निरीक्षकों से कराने के लिए मान गया था।

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