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निजी चैनलों को ‘दलित’ शब्द के इस्तेमाल से बचने की सरकार की सलाह पर विवाद

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से सभी निजी न्यूज चैनलों को सलाह दी गई है कि वे अपनी रिपोर्टों में...
निजी चैनलों को ‘दलित’ शब्द के इस्तेमाल से बचने की सरकार की सलाह पर विवाद

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से सभी निजी न्यूज चैनलों को सलाह दी गई है कि वे अपनी रिपोर्टों में 'दलित' शब्द की जगह संविधान में दिए गए 'अनुसूचित जाति' शब्द का इस्तेमाल करें। सरकार की इस नसीहत पर अब विवाद खड़ा होता दिखाई दे रहा है।

भारतीय जनता पार्टी के ही सांसद उदित राज ने इसे अनिवार्य करने को गलत बताया। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक उन्होंने कहा कि दलित का मतलब अनुसूचित जाति है। 'दलित' शब्द का व्यापक रूप से उपयोग और इसे स्वीकार किया जाता है। एक सलाह के तौर पर तो यह ठीक है लेकिन इसे अनिवार्य नहीं किया जाना चाहिए।

बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने दिया था निर्देश

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने एक परामर्श जारी कर सभी निजी टीवी चैनलों को बंबई उच्च न्यायालय के एक फैसले के आलोक में अनुसूचित जातियों से जुड़े लोगों के लिए ‘दलित’ शब्द के इस्तेमाल से बचने का आग्रह किया है।

परामर्श में चैनलों से आग्रह किया गया है कि वे अनुसूचित जाति के लोगों का उल्लेख करते हुए ‘दलित’ शब्द के इस्तेमाल से बच सकते हैं।

सात अगस्त को सभी निजी टीवी चैनलों को संबोधित करके लिखे गए पत्र में बंबई उच्च न्यायालय के जून के एक दिशा-निर्देश का उल्लेख किया गया है। उस दिशा-निर्देश में मंत्रालय को मीडिया को ‘दलित’ शब्द का इस्तेमाल नहीं करने को लेकर एक निर्देश जारी करने पर विचार करने को कहा गया था।

पंकज मेश्राम की याचिका पर बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने ये निर्देश दिया था।

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