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जम्मू-कश्मीर में नेताओं की नजरबंदी पर कांग्रेस का सवाल, पूछा फारूक शीतकालीन सत्र में भी आ पाएंगे या नहीं

कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में मुख्यधारा के राजनीतिक नेताओं की नजरबंदी को लेकर मोदी सरकार पर हमला किया...
जम्मू-कश्मीर में नेताओं की नजरबंदी पर कांग्रेस का सवाल, पूछा फारूक शीतकालीन सत्र में भी आ पाएंगे या नहीं

कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में मुख्यधारा के राजनीतिक नेताओं की नजरबंदी को लेकर मोदी सरकार पर हमला किया है। कांग्रेस ने पूछा है कि सोमवार से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र के लिए क्या श्रीनगर से लोकसभा सदस्य फारूक अब्दुल्ला को भाग लेने की अनुमति दी जाएगी। पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता फारूक अब्दुल्ला को विवादास्पद सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत हिरासत में लिया गया था।

सहयोगियों को ही बना दिया अलगाववादी

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, "कश्मीर में पिछले 103 दिनों से तालाबंदी की स्थिति है। प्रधानमंत्री दुनिया भर में “सब कुछ ठीक है” का राग आलाप रहे हैं। सरकार को कारण बताना चाहिए कि उसने राजनीतिक दलों के नेताओं को नजरबंद क्यों रखा है। क्या उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने भारत के संविधान के तहत शपथ नहीं ली है? उमर अब्दुल्ला अटल बिहारी कैबिनेट में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं। आप लोग महबूबा मुफ्ती के साथ सरकार बना चुके हैं और आज आप लोग उन्हें अलगाववादियों की श्रेणी में रख रहे हैं।”

खेड़ा ने कहा कि कांग्रेस 18 नवंबर से 13 दिसंबर तक चलने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में मुख्यधारा के उन सभी नेताओं के लिए आवाज उठाएगी जो जम्मू और कश्मीर में नजरबंद हैं।

विदेशी नेताओं को कश्मीर जाने की अनुमति, लेकिन भारतीय नेताओं को नहीं

कांग्रेस ने केंद्र पर “कश्मीर का अंतर्राष्ट्रीयकरण” करने का भी आरोप लगाया। पार्टी का कहना है कि मोदी सरकार ने इसमें कोई कसर नहीं छोड़ी। यहां तक कि सरकार ने यूरोपीय संघ (ईयू) के सांसदों को घाटी का दौरा करने की अनुमति दी, लेकिन भारतीय नेताओं को वहां नहीं जाने दिया।

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