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3 लाख 50 हजार प्रवासियों के लिए 350 ट्रेनें चलाई गई, राज्य 'श्रमिक स्पेशल' में करें सहयोग: राजीव गाबा

कैबिनेट सचिव राजीव गाबा ने कहा है कि अभी तक 3 लाख 50 हजार प्रवासी श्रमिकों को 350 से अधिक 'श्रमिक स्पेशल...
3 लाख 50 हजार प्रवासियों के लिए 350 ट्रेनें चलाई गई, राज्य 'श्रमिक स्पेशल' में करें सहयोग: राजीव गाबा

कैबिनेट सचिव राजीव गाबा ने कहा है कि अभी तक 3 लाख 50 हजार प्रवासी श्रमिकों को 350 से अधिक 'श्रमिक स्पेशल ट्रेन' से उनके अपने मूल राज्य पहुंचाया गया है। साथ ही गाबा ने राज्य सरकारों से अनुरोध किया कि वे अधिक-से-अधिक श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाए जाने में रेलवे का सहयोग करें। यह बात राजीव गौबा ने रविवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और स्वास्थ्य सचिवों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में कही है। बैठक की शुरुआत में कैबिनेट सचिव ने ‘वंदे भारत मिशन’ के तहत विदेशों से भारतीयों की वापसी पर राज्यों के सहयोग का उल्लेख किया।

 

आर्थिक गतिविधियों पर भी ध्यान देने की जरूरत

बैठक में राज्यों के मुख्य सचिवों ने अपने राज्य की स्थिति के बारे में जानकारी दी और  कहा कि कोरोना के लिए सतर्कता जरूरी है। साथ ही आर्थिक गतिविधियों को शुरू करने को लेकर भी आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।

'वंदे भारत मिशन की शुरुआत'

बता दें, आगामी 17 मई तक देशव्यापी लॉकडाउन कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए लागू किया गया है। इस बीच देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रवासी श्रमिक भारी तादात में फंसे हुए हैं जिस बाबत राज्यों के अनुरोध पर केंद्र ने स्पेशल ट्रेन से उन्हें उनके राज्य छोड़ने की अनुमति दी है। वहीं, कोरोना की वजह से विदेश में भी भारतीय फंसे हुए हैं। इसलिए पिछले दिनों ‘वंदे भारत मिशन’ के तहत आने वाले लोगों को स्वदेश वापस लाया जा रहा है।

263 ट्रेनें अपने गंतव्य तक पहुँच चुकी

रेलवे के मुताबिक 263 ट्रेनें अपने गंतव्य तक पहुँच चुकी हैं। 87 ट्रेन अभी रास्ते में हैं। 36 ट्रेनें अपने गंतव्य के लिए चलने को है। प्रत्येक श्रमिक स्पेशल ट्रेन में 24 कोच लगाई गई है। जिनमें से प्रत्येक में 72 सीटें हैं। हालांकि, सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए केवल 54 लोगों को ही बैठाने की इजाजत दी गई है। कोच के मिडिल बर्थ पर किसी भी पैसेंजर को अलॉट नहीं किया गया है। वहीं अब तक हुए खर्च को लेकर रेलवे की तरफ से कोई घोषणा नहीं की गई है। लेकिन, अधिकारियों के मुताबिक प्रति सेवा पर लगभग 80 लाख रुपए खर्च किए हैं। इससे पहले केंद्र ने कहा था कि सेवाओं की लागत का 85 फीसदी रेलवे और 15 फीसदी राज्य साझा करेंगे। हालांकि रेलवे द्वारा जारी सर्कुलर में इस तरह की बातों का उल्लेख नहीं किया गया था। 

 

 

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