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जमानत पर छूटे बुलंदशहर हिंसा के आरोपियों का माला पहनाकर हुआ स्वागत, लगे जय श्री राम के नारे

उत्तर प्रदेश में बुलंदशहर हिंसा के आरोपी जब जमानत पर जेल से बाहर आए तो जय श्री राम और वंदे मातरम के...
जमानत पर छूटे बुलंदशहर हिंसा के आरोपियों का माला पहनाकर हुआ स्वागत, लगे जय श्री राम के नारे

उत्तर प्रदेश में बुलंदशहर हिंसा के आरोपी जब जमानत पर जेल से बाहर आए तो जय श्री राम और वंदे मातरम के नारों के बीच उनका भव्य स्वागत किया गया। शनिवार रात को जैसे ही वे बुलंदशहर जेल से बाहर आए तब  सात आरोपियों को माला पहनाई गई और 'भारत माता की जय' और 'वंदे मातरम' के नारे लगाए गए। बाद में, समर्थकों ने सातों आरोपियों के "सम्मान" में एक "स्वागत पार्टी" भी रखी।

रविवार रात को सोशल मीडिया पर 'पार्टी' का एक वीडियो साझा किए जाने के बाद यह मामला सामने आया। बता दें कि पिछले साल दिसंबर महीने को स्याना के चिंगरावटी गांव में गौकशी की अफवाह के बाद इलाके में हिंसा भड़क गई थी। इस दौरान  इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। लोगों ने सरकारी वाहन और पुलिस चौकी को आग के हवाले कर दिया था।

भारतीय जनता युवा मोर्चा (बीजेवायएम) के सदस्य शिखर अग्रवाल और सेना के एक जवान जितेंद्र मलिक जमानत पर रिहा किए गए सात आरोपियों में शामिल थे।

बुलंदशहर के स्याना के महाव गांव के पास एक गन्ने के खेत में एक गाय का शव मिलने के बाद 3 दिसंबर को हुई हिंसा के एक मामले में वे आरोपी हैं। हिंसा में स्याना के स्टेशन हाउस अधिकारी सुबोध कुमार सिंह और स्थानीय युवक सुमित कुमार की मौत हो गई थी और चिंगरावती पुलिस पिकेट में आग लग गई थी।

हिंसा के तुरंत बाद, पुलिस ने एक दर्जन से अधिक आईपीसी की धाराओं के तहत हिंसा में 27 नामजद और 60 से अधिक अज्ञात को बुक किया गया था।

 

जमानत पर रिहा किए गए लोगों पर कठोर धारा नहीं

बुलंदशहर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार सिंह ने कहा कि रिहा किए गए लोगों को कठोर धाराओं का सामना नहीं करना पड़ा और उन पर दंगा करने और हत्या का मुकदमा दर्ज नहीं किया गया।

उन्होंने कहा, "कुल 10 लोगों को जमानत दी गई है, जिनमें से सात को रिहा कर दिया गया। जमानत दिए गए आरोपियों को दंगे के लिए बुक किया गया था। हत्या के लिए बुक किए गए किसी भी आरोपी को जमानत नहीं दी गई है।"

मलिक, 22 राष्ट्रीय राइफल्स के आर्मी मैन और जम्मू-कश्मीर के सोपोर में तैनात थे उन्हें 9 दिसंबर को उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (यूपी एसटीएफ) द्वारा गिरफ्तार किया गया था। मलिक का नाम सुबोध कुमार सिंह की हत्या में मुख्य साजिशकर्ता के रूप में सामने आया था। लेकिन, उस पर हत्या का आरोप नहीं लगाया गया।

मलिक के वकील संजय शर्मा ने कहा, "हमने राहत पाने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जहां सात आरोपियों को जमानत दी गई थी। जितेंद्र मलिक ने मेरठ के बाबूगढ़ इलाके में सेना के ठिकाने की सूचना दी है।"

भारतीय जनता युवा मोर्चा के नेता अग्रवाल को इस साल जनवरी में हापुड़ जिले से गिरफ्तार किया गया था। वह एक महीने से अधिक समय तक फरार रहे थे।

हत्या-हिंसा के आरोपियों का समर्थन नई बात नहीं

हत्या या हिंसा के आरोपियों का समर्थन कोई नई बात नहीं है। 2017 में संगमरमर व्यापारी शंभू लाल रैगर के समर्थन में भी काफी लोग उतर आए थे। रैगर पर र राजस्थान में एक मुस्लिम मजदूर की हत्या का आरोप था और साथ ही क्रूर कृत्य को फिल्माया गया था।

 

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