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किन तर्कों के आधार पर ‘निजता’ को मिला मौलिक अधिकार का दर्जा

आधार योजना को लेकर यह बहस शुरू हुई थी कि निजता मौलिक अधिकार है या नहीं?
किन तर्कों के आधार पर ‘निजता’ को मिला मौलिक अधिकार का दर्जा

सुप्रीम कोर्ट ने निजता को नागरिकों का मौलिक अधिकार करार दिया है। आधार योजना को लेकर यह बहस शुरू हुई थी कि निजता मौलिक अधिकार है या नहीं? आधार योजना को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं का कहना था कि बायोमीट्रिक डाटा और सूचनाएं एकत्र करने से उनके निजता के अधिकार का हनन होता है। सुप्रीम कोर्ट के पहले के दो फैसलों में आठ न्यायाधीशों और छह न्यायाधीशों की पीठ कह चुकी है कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है। बाद में भारत सरकार और याचिकाकर्ताओं ने निजता के अधिकार का मामला बड़ी पीठ के द्वारा सुने जाने की अपील की थी। इस पर नौ जजों की संविधान पीठ ने सुनवाई की और अपना फैसला दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया यह तर्क

-नौ जजों की संविधान पीठ ने 1954 और 1962 में दिए गए फैसलों को पलटते हुए कहा कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकारों के अंतर्गत प्रदत्‍त व्यक्तिगत जीवन के अधिकार का ही हिस्सा है।

-निजता का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत आता है।

सुनवाई के दौरान कोर्ट की दलील

-समाचार चैनल एनडीटीवी के अनुसार, सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अगर मैं अपनी पत्नी के साथ बेडरूम में हूं तो यह 'निजता' का हिस्सा है। ऐसे में पुलिस मेरे बैडरूम में नहीं दाखिल हो सकती। हालांकि यदि मैं बच्चों को स्कूल भेजता हूं तो ये 'निजता' के अंतर्गत नहीं आता है, क्योंकि यह शिक्षा के अधिकार का मामला है।

-कोर्ट ने कहा कि आप बैंक को अपनी जानकारी देते हैं। मेडिकल बीमा और लोन के लिए अपना डाटा देते हैं। यह सब कानून द्वारा संचालित होता है। यहां अधिकार की बात नहीं आती है।

- कोर्ट के मुताबिक, सरकार द्वारा गोपनीयता भंग करना एक बात है, लेकिन उदाहरण के तौर पर जैसे टैक्सी एग्रीगेटर द्वारा आपका दिया डाटा आपके ही खिलाफ इस्तेमाल कर ले, ये भ्‍ाी उतना ही खतरनाक है।

-कोर्ट ने कहा, “मैं जज के तौर पर बाजार जाता हूं और आप वकील के तौर पर मॉल जाते हैं। टैक्सी एग्रीगेटर इस सूचना का इस्तेमाल करते हैं। 'राइट टु प्राइवेसी' भी अपने आप में संपूर्ण नहीं है।”

-कोर्ट ने सरकार से पूछा कि क्या केंद्र के पास आधार के डेटा को प्रोटेक्ट करने के लिए कोई मजबूत मैकेनिज्म है? विचार करने की बात यह है कि मेरे टेलीफोन या ईमेल को सर्विस प्रोवाइडर्स के साथ शेयर क्यों किया जाए?

-कोर्ट ने कहा, हम जानते हैं कि सरकार कल्याणकारी योजनाओं के लिए आधार का डाटा जमा कर रहा है, लेकिन यह भी तय होना चाहिए कि डाटा सुरक्षित रहे।

 

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