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अयोध्या मामला: 1 अगस्त को रिपोर्ट सौंपेगा मध्यस्थता पैनल, 31 जुलाई थी आखिरी तारीख

अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद केस में गठित मध्यस्थता पैनल सुप्रीम कोर्ट में अपनी...
अयोध्या मामला: 1 अगस्त को रिपोर्ट सौंपेगा मध्यस्थता पैनल, 31 जुलाई थी आखिरी तारीख

अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद केस में गठित मध्यस्थता पैनल सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट कल यानी एक अगस्त को सौंपेगा। इससे पहले रिपोर्ट सौंपने की अंतिम तारीख बुधवार यानी 31 जुलाई थी। इस रिपोर्ट के आने के बाद सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले के समाधान को लेकर फैसला करेगी। सुप्रीम कोर्ट में इस पर सुनवाई की तारीख 2 अगस्त तय की गई है, उस दिन शीर्ष अदालत यह तय करेगी कि मामले का हल मध्यस्थता से होगा या अदालती सुनवाई से।

बता दें, राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले के एक पक्षकार गोपाल सिंह विशारद की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता कमेटी से रिपोर्ट तलब की थी। 18 जुलाई को मध्यस्थता कमेटी ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की। इस प्रगति रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ ने देखा। रिपोर्ट को देखने के बाद बेंच ने मध्यस्थता कमेटी को 31 जुलाई तक का समय दिया। इसके बाद 2 अगस्त को ओपन कोर्ट में मामले की सुनवाई होने की बात कही।

पक्षकार ने कोर्ट से की थी सुनवाई की मांग

पक्षकार गोपाल सिंह विशारद ने अपनी याचिका में कहा था कि मध्यस्थता कमेटी के नाम पर विवाद सुलझने के आसार बेहद कम हैं, क्योंकि इसमें तो सिर्फ समय बर्बाद हो रहा है, इसलिए कोर्ट मध्यस्थता कमेटी खत्म कर स्वयं सुनवाई करके मामले का निस्तारण करें। गोपाल सिंह के वकील पीएस नरसिम्हा ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ के सामने कहा था कि यह विवाद पिछले 69 सालों से अटका पड़ा है और मामले को हल करने के लिए शुरू की गई मध्यस्थता का रुख सकारात्मक नजर नहीं आ रहा है। 11 संयुक्त सत्र आयोजित किए जा चुके हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है। यह विवाद मध्यस्थता के जरिए सुलझाना मुश्किल है।

जस्टिस कलीफुल्ला की अध्यक्षता में बनी कमेटी

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस कलीफुल्ला की अध्यक्षता में मध्यस्थता कमेटी बनाकर इस मसले को बातचीत के जरिए आपसी सहमति से ही सुलझाने की पहल की थी। पहले शुरुआत में कमेटी को दो महीने यानी 8 हफ्ते दिए गए, फिर ये अवधि अगले 13 हफ्तों यानी 15 अगस्त तक के लिए बढ़ा दी गई थी। इसके बाद इसे 31 जुलाई कर दिया गया।

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